Vidhyalay Ke Samuh Gaan
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| Item Weight | 400 Grams |
| ISBN | 978-8192361802 |
| Author | Dr. Datta Kshirsagar |
| Language | Hindi |
| Publisher | Rajasthani Granthagar |
| Pages | NA |
| Book Type | Paperback |
| Publishing year | 2019 |
| Return Policy | 5 days Return and Exchange |
Vidhyalay Ke Samuh Gaan
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विद्यालय के समूह गान : अपने परिवार के बाहर के जगत् के प्रथम दर्शन, बालक-बालिका को प्रायः विद्यालय में होते हैं, होने भी चाहिये। मित्रों की संगति में, अध्यापकों के मार्गदर्शन में और विद्यालय के अनुशासन में रहते हुए उसका बौद्धिक विकास होता है, जाति, समाज, धर्म, शहर-गांव, प्रदेश और देश की इकाइयों के अस्तित्व से वह रूबरू होता है। छात्र के जीवन का यही सर्वोत्कृष्ट समय है जब उसके बालमन को सुसंस्कारित किया जा सकता है। अपने देश की समृद्ध सांस्कृतिक की परम्पराओं, त्याग और बलिदान से गौरवमय हुए इतिहास, वीरों के पराक्रम, स्वतंत्रता के महत्व, मानव-मात्र की सेवा के मूल्य, भाषाओं और सहित्य, संगीत, समारेाहों, महापुरुषों की जयन्तियों और उनके पुण्यस्मरण, ईश्वर, भगवान या अल्लाह के प्रति आस्थाओं8230;इन सबको वह धीरे-धीरे जान लेता है या उसकी जिज्ञासा बढ़ती रहती है। विद्यार्थी को इस तरह का सर्वांगीण ज्ञान उसके आचार्य ही दे सकते हैं और जीवन जीने की कला सिखा सकते हैं। इस प्रक्रिया में यह गीत-संग्रह निश्चित रूप से उपादेय होगा, छात्रों के लिये भी और अध्यापकवर्ग के लिये भी, क्योंकि शिक्षा का उद्देश्य मात्र पाठ्यक्रम की औपचारिकता नहीं, जीवन का सर्वांगीण विकास करना होता है।RelatedTRUE
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