Upanyas Ka Samajshastra
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Author | Garima Shrivastava |
Language | Hindi |
Publisher | Vani Prakashan |
Pages | 456 |
ISBN | 978-9355182432 |
Book Type | Hardbound |
Item Weight | 0.4 kg |
Edition | 1st |
Upanyas Ka Samajshastra
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साहित्य का मुख्य सरोकार मनुष्य होता है, मनुष्य का सामाजिक जगत, उस जगत के प्रति उसकी अनुकूलता तथा उसे बदलने की इच्छा साहित्य में व्यक्त होती है। उपन्यास औद्योगिक समाज की प्रमुख साहित्यिक विधा है। अतः उसमें मनुष्य का जीवन, परिवार, राजनीति एवं शासन के साथ सम्बन्ध तथा सामाजिक जगत के पुनः सृजन का ईमानदार प्रयास दिखाई देता है। उपन्यास उन्हीं समस्याओं से रूबरू होता है जिनसे समाजशास्त्र लेकिन उपन्यास सिर्फ वस्तुगत वर्णन नहीं करता बल्कि वह सामाजिक जीवन में गहरे उत्तर कर मनुष्य के आन्तरिक सत्यों का, मानवीय चरित्र का उद्घाटन करता है। इस पुस्तक में उपन्यास के समाजशास्त्र का सैद्धान्तिक और व्यावहारिक पक्ष मुकम्मल ढंग से उभारने के लिए सैद्धान्तिक से सम्बन्धित महत्त्वपूर्ण आलेख लिए गये हैं, जिनमें जार्ज लुकाच, राल्फ़ फाक्स, ल्युसिए गोल्डमान और एलेन स्विंगवुड के अलावा अज्ञेय, नामवर सिंह, निर्मल वर्मा और मैनेजर पाण्डेय शामिल हैं। पुस्तक के इस नवीन संस्करण में बहुत से बदलाव किये गये हैं और हिन्दी से आगे जाकर भारतीय औपन्यासिक परिदृश्य को समेटने के ईमानदार प्रयास के अनन्तर भोलाभाई पटेल, तनिका सरकार, पूरनचन्द्र जोशी, नामवर सिंह, प्रदीप सक्सेना, नित्यानन्द तिवारी, राजेन्द्र यादव के आलेख संकलित हैं। उपन्यास का समाजशास्त्र समझने की दिशा में यह पुस्तक अपनी उपादेयता में अनूठी है
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