Tweet Kahaniyan
| Item Weight | 250 Grams |
| ISBN | 978-9386870247 |
| Author | Lata Kadambari |
| Language | Hindi |
| Publisher | Prabhat Prakashan |
| Book Type | Hardbound |
| Publishing year | 2018 |
| Edition | 1st |
| Return Policy | 5 days Return and Exchange |
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तभी उनमें से एक इतिहास मर्मज्ञ गिद्ध चिल्लाया—इतने नीच नहीं हैं हम, जब सीता मैया का अपहरण कर रावण उन्हें लंका ले जा रहा था, तब हमारे प्रपितामाह जटायुजी ने उनकी रक्षा करने हेतु लहूलुहान होकर अपने प्राणों का परित्याग कर दिया था और ये अखबार वाले? इन नीच लड़कों की तुलना हमसे करते हैं? एक बार फिर समवेत स्वरों में वे चिल्लाने लगे।दूसरा चिल्लाया—हमारी दृष्टि की तारीफ तो सारी दुनिया करती है और एक ये हैं? कह...गुस्से में आकर अपने पंख फड़फड़ाने लगा। तभी उनके बीच से एक जागरूक बूढ़ा गिद्ध उठकर बोला—तुम सबकी बातों में दम है मेरे बच्चो, तुम सभी को अपने हक में जरूर आवाज उठानी चाहिए। माना कि हम नरभक्षी हैं, मांस हमारा प्रिय आहार है पर हम तो मरों को खाते हैं, पर ये? हरामी की औलादें तो जिंदों को ही खा डालना चाहती हैं।—इसी संग्रह सेजीवन की अव्यक्त अभिव्यक्ति को व्यक्त करने का प्रयास करती इन छोटी-छोटी ट्वीट कहानियों के माध्यम से लेखिका ने जीवन की छोटी-छोटी, लेकिन ��हत्त्वपूर्ण समस्याओं को सुलझाने के लिए जिंदगी का ताना-बाना बुनने का प्रयास किया है। इन कहानियों के कथ्य कैसे हैं? फंदे कैसे पड़े हैं? बुनावट कैसी है? कहानियों का भाषा-संयोजन कैसा है? यह देखना अब आपका काम है। वैसे भी चिड़ियों के समान ये कहानियाँ भी चहककर ट्वीट-ट्वीट कर रही हैं।ये छोटी-छोटी कहानियाँ आपको अपने आसपास के परिवेश, अपने संबंधों, अपने मनोभावों का आईना ही लगेंगी।_____________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________अनुक्रमसमीक्षा — Pgs. 7-13हृदय-स्पंदन (अपनी बात) — Pgs. 151. बूढ़ा-बुढ़िया — Pgs. 192. मोबाइल की आत्मकथा — Pgs. 213. गिद्ध — Pgs. 234. अब अभिमन्यु नहीं मरेगा — Pgs. 255. नन्हे-नादान — Pgs. 276. देवालय या मूत्रालय — Pgs. 287. वो टपकती झोंपड़ी — Pgs. 298. क्या करूँ? — Pgs. 319. निर्भया की माँ — Pgs. 3410. कंप्यूटर के सामने बैठा आदमी — Pgs. 3511. लाईक पर लाईक — Pgs. 3712. महिला-दिवस — Pgs. 3913. गुलाम — Pgs. 4014. मैं नन्ही सिंड्रेला — Pgs. 4115. टी.वी. का बालक — Pgs. 4316. कमल — Pgs. 4517. पहली चोरी — Pgs. 4718. पेड़ उगना चाहते हैं — Pgs. 4919. कविता? — Pgs. 5120. गले में घंटी — Pgs. 5221. राधा — Pgs. 5422. अंडासेल — Pgs. 5523. आँखों में समंदर — Pgs. 5724. ईश की माँ — Pgs. 5925. मन मानता क्यों नहीं — Pgs. 6226. मुसकराहटें — Pgs. 6427. 3 बी.एच.के. 6528. ए.टी.एम. मशीन — Pgs. 6829. गरल — Pgs. 7130. सफेद चादर — Pgs. 7431. माँ और गौरैया — Pgs. 7632. पता नहीं — Pgs. 7833. गुडबॉय डार्लिंग — Pgs. 8134. वैल्यू — Pgs. 8335. डबल गेम — Pgs. 8536. शायर — Pgs. 8837. छलिया — Pgs. 9038. संवेदनाओं की टोकरी — Pgs. 9239. वह पगला — Pgs. 9440. सेल्फ-मेड — Pgs. 9541. जहर — Pgs. 9742. मनमंथन — Pgs. 9843. नई पड़ोसन — Pgs. 10044. वान्या — Pgs. 10245. हड़बड़िया — Pgs. 10446. राजहंस, ओ राजहंस! — Pgs. 10647. देवत्व की प्राप्ति — Pgs. 10848. वेलेंटाइन डे — Pgs. 11049. राजलक्ष्मी — Pgs. 11250. पर डॉक्टर! — Pgs. 11351. खुशी — Pgs. 11552. अब पछतावत होत का? — Pgs. 11653. सॉरी मम्मा! — Pgs. 11854. जहरीले — Pgs. 12055. दूध पियाई — Pgs. 12156. हम औरतें — Pgs. 12257. अजनबी — Pgs. 12358. आप कहाँ हैं? — Pgs. 12459. मोबाइल बाबा — Pgs. 12560. बता जीव बता? — Pgs. 12761. वे मासूम — Pgs. 12962. राम-राम सा!! — Pgs. 13163. निर्दयी माँ — Pgs. 13364. बेताल का ताल — Pgs. 13565. निगाहें — Pgs. 13866. पत्थर के सनम — Pgs. 14067. कहानी की कहानी — Pgs. 14168. जानती हो माँ! — Pgs. 14469. उर्मिला क्यौं मौन हो? — Pgs. 14570. मदर्स डे — Pgs. 14671. रोबोट चाइल्ड — Pgs. 14872. अजब-गजब कहानी — Pgs. 15073. कैसी ये बेचैनियाँ? — Pgs. 15274. वक्त-वक्त की बातें — Pgs. 15475. पुर्चियाँ — Pgs. 15676. पर, वह चुप थी — Pgs. 15877. समोसे की अिभलाषा — Pgs. 16078. 24 घंटे नॉन स्टॉप — Pgs. 16279. खनक — Pgs. 16580. अमृतपान — Pgs. 16781. हर बार फौजी ही क्यों? — Pgs. 16982. मिठास या खटास? — Pgs. 17083. कविता की माँ — Pgs. 17184. लकीरें — Pgs. 17285. तोड़ियाँ — Pgs. 17486. शुक्रिया — Pgs. 176
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