Tamasha Mere Aage
Author | Hemant Sharma |
Language | Hindi |
Publisher | Prabhat Prakashan Pvt Ltd |
ISBN | 978-9350484333 |
Book Type | Hardbound |
Item Weight | 0.177 kg |
Edition | 1 |
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Tamasha Mere Aage
तमाशा मेरे आगे' का 'कैनवास' बहुत बड़ा है। हेमंत शर्मा के लेखों का दायरा इतना व्यापक है कि समूची कायनात इसमें समा जाए। प्रकृति, समाज, उत्सव, संस्कृति, सरोकार, रिश्ते, नाते, दोस्त, देवता, दानव—क्या नहीं है इन लेखों में। विषय भले अलग-अलग हों, लेकिन सब पर एक तीखी बनारसी दृष्टि है। हेमंत शर्मा ने जो तमाशा देखा है, वही लिखा है और वही जिया है। बनारस से उनका जुड़ाव है—उस बनारस से, जो विश्वनाथ की नगरी है—दुनिया उसी की माया है। उसी तमाशे का हिस्सा है। इन लेखों में पिता, माँ, घर, परिवार, गृहस्थी जिसका भी जिक्र है, ये सब उसी तमाशे में शामिल हैं। लोकजीवन की ढेर सारी छवियाँ इस संकलन में कैद हैं।किताब की सबसे बड़ी खूबी इसकी रेंज है। कबीर चौरा से लेकर अस्सी तक इसका दायरा है, इसमें राम भी हैं, कृष्ण भी, शिव भी हैं और रावण भी। सभी ऋतुएँ हैं। वसंत है। सावन है। शरद है तो ग्रीष्म भी। कोई ऋतु नहीं बची है। पौराणिक मिथकों की भी चर्चा है।हिंदी गद्य के इतिहास में मैं जिनके गद्य को सबसे अच्छा मानता हूँ, वे हैं पं. चंद्रधर शर्मा 'गुलेरी'। 'उसने कहा था' उनकी प्रसिद्ध कहानी है। हिंदी का सर्वश्रेष्ठ गद्य मैं इसे ही मानता हूँ। ठीक ऐसी ही बोलचाल की भाषा यहाँ भी है। छोटे-छोटे वाक्य। बोलते हुए टकसाली शब्दों से गढ़े वाक्य। बिलकुल ठेठ हिंदी का ठाठ। हर वाक्य की शक्ति उसकी क्रिया में। घाव करे गंभीर। यह भाषा हेमंत शर्मा के बनारसी तत्त्व को रेखांकित करती है। हेमंत ने हिंदी के लेखक होने का हक अदा कर दिया है।—नामवर सिंह________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________क्रमहेमंत का अंदाज-ए-बयाँ और —Pgs. 7मेरी बात —Pgs. 151. कबीरचौरा —Pgs. 212. केसन असि करी —Pgs. 253. दुष्टता —Pgs. 294. महिमा मालिश की —Pgs. 335. हाशिये का पंछी —Pgs. 376. पालतू के सुख —Pgs. 417. तोता होता! —Pgs. 458. यादों में गौरैया —Pgs. 509. दिल्ली उनका परदेस —Pgs. 5410. माँ ऐसे बनती है —Pgs. 5911. चाची की याद —Pgs. 6312. बिन मामा सब सून —Pgs. 6713. मर्यादा के राम —Pgs. 7114. उन्मुत कृष्ण —Pgs. 7515. सत्य के शिव —Pgs. 7916. आज भी रावण —Pgs. 8317. मातृ रूपेण संस्थिता —Pgs. 8718. सृष्टि का यौवन बसंत —Pgs. 9119. सावन राग —Pgs. 9520. शरद का सौंदर्य —Pgs. 9921. ग्रीष्म का ताप —Pgs. 10322. कलुष होती होली —Pgs. 10823. वर्ष प्रतिपदा —Pgs. 11324. आस्था का कुंभ —Pgs. 11825. मिष्टान्न महाराज —Pgs. 12326. लोकमंगल के संवाहक —Pgs. 12727. जमाई के जलवे —Pgs. 13128. बिलाती पाती —Pgs. 13529. ताज का तिलिस्म —Pgs. 13930. वह अकेली द्रौपदी —Pgs. 14331. अपने मूल पर —Pgs. 15432. निर्भय निर्गुण गुण रे गाऊँगा —Pgs. 16133. मुँहफट बनारसी —Pgs. 16434. मैंने उन्हें देखा है —Pgs. 17035. पानी पर इतिहास —Pgs. 17436. चित्र परदेस के —Pgs. 17837. विश्वनाथ से सोमनाथ —Pgs. 18438. अथ: दखिन यात्रा —Pgs. 19039. जाहि देख रीझे नयन —Pgs. 19640. हिरिस —Pgs. 20141. तमाशा मेरे आगे —Pgs. 206
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