Shraddheya
Item Weight | 153 Grams |
ISBN | 978-9353220655 |
Author | Siddhartha Shankar Gautam , Bhagwat Sharan Mathur |
Language | Hindi |
Publisher | Prabhat Prakashan |
Book Type | Hardbound |
Publishing year | 2018 |
Edition | 1st |
Return Policy | 5 days Return and Exchange |

Shraddheya
श्रद्धेय कुशाभाऊ ठाकरे भारतभूमि में मध्य प्रदेश के रत्नशीर्ष हैं। उनकी कुशाग्र मति और भ्रातृत्वशील स्वभाव सभी के लिए प्रेरणाशील रहा है। वे बाल्यकाल से ही आदर्श परिपालन के लिए उद्यत रहे और उत्कृष्ट बालसेवक के रूप में देश की सच्ची सेवा में रत हो गए। गुरु का एकल आह्वान और उनका संघ के लिए प्रचारण का आरंभ किया जाना प्रत्येक राष्ट्रवादी के लिए स्वयं प्रेरणा से कम नहीं है। अल्पकाल में ही उनका नाम श्रेष्ठ संघ-कार्यकर्ताओं में प्रगणित होना गर्व का विषय है। इसका प्रमाण है कि सन् 1956 में जैसे ही उनकी जन्मभूमि एक नवीन स्वतंत्र प्रदेश के रूप में उभरकर सामने आई तो वे मध्य प्रदेश के जनसंघ मोर्चे के संगठन मंत्री बने। कुशाभाऊ सर्वत्र सहज रहते थे। उन्होंने कारावास में भी इस प्रकार सहज पदार्पण किया, मानो वे स्वतंत्र भारत में भी आपातकाल की परतंत्रता का सहर्ष मौन विरोध कर रहे हों। उनकी यह सहिष्णुता एवं सहजता ही उनकी उदात्त छवि की प्रमुख आधारशिला थी।प्रखर राष्ट्रभक्���, अप्रतिम संघनिष्ठ कार्यकर्ता, दूरद्रष्टा एवं कोटि-कोटि कार्यकर्ताओं के प्रेरणास्रोत श्रद्धेय कुशाभाऊ ठाकरे के त्यागमय जीवन का विस्तृत वर्णन करती शब्दांजलि।________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________अनुक्रमअपनी बात —Pgs. 7मंतव्य —Pgs. 9खंड-11. ठाकरेजी को कठिन काम ही दिए जाते हैं —स्व. अटलबिहारी वाजपेयी —Pgs. 172. वे नींव भी हैं और शिखर भी —स्व. राजमाता सिंधिया —Pgs. 193. देववल्लभ दिवंगत श्री कुशाभाऊ ठाकरे —वैंकेया नायडू —Pgs. 21 —Pgs.4. हमारे कुशाभाऊ... —सुमित्रा महाजन —Pgs. 245. हिमशिला का धर्म —राजनाथ सिंह —Pgs. 286. कुशाभाऊ ठाकरे : एक सहज और स्नेही व्यक्तित्व —सुषमा स्वराज —Pgs. 307. साधारण वेश में एक असाधारण व्यक्तित्व —मृदुला सिन्हा —Pgs. 328. कुशाभाऊ ठाकरेजी : एक प्रेरणादायी एवं अनुकरणीय व्यक्तित्व —प्रो. कप्तानसिंह सोलंकी —Pgs. 379. उनकी पदों से पहचान नहीं —स्व. लखीराम अग्रवाल —Pgs. 4110. मेरे मार्गदर्शक ठाकरेजी —कैलाश जोशी —Pgs. 4311. श्री कुशाभाऊ ठाकरेजी का जीवन राष्ट्र को समर्पित —बाबूलाल गौर —Pgs. 5512. कमलपत्रमिव काम्मसा —कैलाश सारंग —Pgs. 5813. मेरे आदर्श : श्री ठाकरेजी —विक्रम वर्मा —Pgs. 6314. स्व. श्री कुशाभाऊ ठाकरेजी साथ किए काम की स्मृतियाँ —हिम्मत कोठारी —Pgs. 6715. वट होकर भी कुश रहे —महेश श्रीवास्तव —Pgs. 7116. कुशाभाऊ ठाकरे : एक महान् व्यक्तित्व —मनोहर लाल खट्टर —Pgs. 7317. प्रेरक, मार्गदर्शक और सबल संगठनकर्ता : ठाकरेजी —डॉ. रमन सिंह —Pgs. 7518. मुझे बेटी की तरह चाहा —उमा भारती —Pgs. 8019. राजनीति के अजातशत्रु —रामबहादुर राय —Pgs. 8320. व्यक्ति नहीं, संस्था थे ठाकरेजी —भगवत शरण माथुर —Pgs. 9121. राजनीति में कबीर जैसी निरपेक्षता का दीप-स्तंभ हैं ठाकरेजी —नरेंद्र सिंह तोमर —Pgs. 9322. आदरणीय कुशाभाऊ ठाकरेजी के कुछ संस्मरण —मेघराज जैन —Pgs. 9723. सात्त्विक कर्मयोगी —संजय जोशी —Pgs. 10224. एक राजनीतिक महर्षि : माननीय कुशाभाऊजी ठाकरे —कृष्णमुरारी मोघे —Pgs. 11225. कार्यकर्ता निर्माण के विश्वविद्यालय —डॉ. सच्चिदानंद जोशी —Pgs. 11726. वैचारिक मतभिन्नताओं के बावजूद मैं ठाकरेजी का प्रशंसक —रघु ठाकुर —Pgs. 12227. भाजपा के पितृपुरुष ठाकरेजी —कैलाश विजयवर्गीय —Pgs. 12628. कुशाभाऊजी के संगठन कौशल को कौन विस्मृत कर सकता है? —नंद कुमार साय —Pgs. 12929. शीर्ष शिखर बिंदु : कुशाभाऊ ठाकरे —प्रह्लाद पटेल —Pgs. 13230. निष्काम कर्मयोगी श्री ठाकरेजी —मायासिंह —Pgs. 13531. कुशाभाऊ : सेवा की आनुवंशिकी —प्रभात झा —Pgs. 13832. सार्वजनिक जीवन की दिशा-दशा बदली ठाकरेजी ने —स्व. मदनमोहन जोशी —Pgs. 14733. कुशाभाऊ ठाकरे : सत्ता और सिंहासन की रूह में संगठन का मस्तकाभिषेक —उमेश त्रिवेदी —Pgs. 15334. कुशाभाऊ ठाकरेजी ने मुझे राजनीतिक छत दी —बृजमोहन अग्रवाल —Pgs. 15735. एक निष्काम कर्मयोगी : माननीय ठाकरेजी —केशव पांडेय —Pgs. 16136. ठाकरेजी की मूर्ति के दर्शन होते हैं भा.ज.पा. की जड़ में —जयकृष्ण गौड़ —Pgs. 16337. विरले थे ठाकरेजी —फूलचंद वर्मा —Pgs. 16838. निष्काम कर्मयोगी श्रद्धेय स्व. कुशाभाऊ ठाकरे —रामप्रताप सिंह —Pgs. 16939. सरलता, विनम्रता और समर्पण की त्रिवेणी का पावन संगम-श्री कुशाभाऊ ठाकरे —धरमलाल कौशिक —Pgs. 17540. बस की यात्रा कर बैतूल गए —रघुनंदन शर्मा —Pgs. 17841. राष्ट्र आराधना के पथ पर ठाकरेजी —उदय सिंह पंड्या —Pgs. 18142. कुशल संगठनकर्ता श्री कुशाभाऊजी —अभय महाजन —Pgs. 18343. एक कर्मयोगी : कुशाभाऊ ठाकरे —अमर अग्रवाल —Pgs. 18644. वही मंदिर, वही बरगद, वही शाला —गोविंद मालू —Pgs. 19045. कुशाभाऊ ठाकरे : साधारण व्यक्तित्व-असाधारण कृतित्व —अजय प्रताप सिंह —Pgs. 19246. ठाकरेजी ने मेरी जीवन दृष्टि ही बदल दी —राजेंद्र शुक्ल —Pgs. 19647. एक निष्काम राष्ट्र समर्पित कर्मयोगी —तनवीर अहमद —Pgs. 20048. जीवनपर्यंत बेदाग रहे कुशाभाऊजी ठाकरे —सुरेंद्र पटवा —Pgs. 20449. सत्ता हमारा साध्य नहीं, के प्रणेता कुशाभाऊ ठाकरे —भरतचंद्र नायक —Pgs. 20650. मानवीय संवेदना की प्रतिमूर्ति : पितृपुरुष ठाकरेजी —मिश्रानंद पांडेय —Pgs. 20951. मेरे प्रेरणास्रोत आदरणीय कुशाभाऊ ठाकरेजी से मेरा परिचय —सर्वेंद्र कुमार —Pgs. 213खंड-2 माननीय स्व. ठाकरेजी द्वारा 'भाजपा समाचार' में लिखे गए लेख1. भा.ज.पा. 'एक अभिनव संगठन' —Pgs. 2212. आवश्यक है 'अनुशासन' —Pgs. 2243. 'कार्यकर्ता' संगठन की धुरी —Pgs. 2274. 'वनवासी' हमारी ताकत —Pgs. 2305. 'मोर्चे' और 'प्रकोष्ठ' अलग संगठन नहीं —Pgs. 2336. सामने कठिन चुनौती —Pgs. 236खंड-3 कुशाभाऊ ठाकरे व्याख्यानमाला, अवधेश प्रतापसिंह विश्वविद्यालय रीवा1. भगवत शरण माथुर, कुशाभाऊ ठाकरे एवं नरेंद्र मोदी —आचार्य अरुण दिवाकर नाथ वाजपेयी —Pgs. 2412. सामाजिक चिंतन की अभिनव परंपरा —प्रो. के.एन. सिंह यादव —Pgs. 2473. अवधेश प्रतापसिंह विश्वविद्यालय रीवा में स्व. कुशाभाऊ ठाकरे स्मृति भाषणमाला : एक विहंगावलोकन —प्रो. दिनेश कुशवाह —Pgs. 2514. विंध्य के लिए स्वर्गीय कुशाभाऊ ठाकरे स्मृति व्याख्यानमाला ज्ञान गंगा —योगेंद्र शुक्ला —Pgs. 2535. निष्ठावान स्वयंसेवकों की फौज खड़ी की ठाकरेजी ने... —बुद्धसेन पटेल —Pgs. 256खंड-4 स्व. ठाकरेजी के चुनिंदा साक्षात्कार (वरिष्ठ पत्रकार श्री उमेश त्रिवेदी द्वारा...)1. हाथ कंगन को आरसी क्या... 05 मार्च, 1992 —Pgs. 2612. छप्पर के कवेलू तो सोने के नहीं बना देगी सरकार 15 मई, 1992 —Pgs. 2663. धर्म नहीं, भाजपा को राजनीति से अलग करना चाहते हैं : ठाकरे 23 नवंबर, 1993 —Pgs. 2714. अटलजी के 'एप्रोच' से अयोध्या-आंदोलन को नुकसान नहीं... 17 जनवरी, 1993 —Pgs. 2765. उत्तर के बलबूते पर भी भाजपा सरकार संभव : कुशाभाऊ ठाकरे —24 अप्रैल, 1996 —Pgs. 2846. भाजपा की सफलता का सबब नीतियों की निरंतरता, प्रखर राष्ट्रीयता —06 अप्रैल, 2000 —Pgs. 290
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