Shilantar
Item Weight | 200 Grams |
ISBN | 978-9383110179 |
Author | Vidya Bindu Singh |
Language | Hindi |
Publisher | Prabhat Prakashan |
Book Type | Hardbound |
Publishing year | 2013 |
Edition | 1 |
Return Policy | 5 days Return and Exchange |

Shilantar
बार-बार लगता है कि आज यथार्थ को देखने के लिए युधिष्ठिर की दृष्टि चाहिए, जिसे कोई बुरा व्यक्ति नहीं दिखा। वह दृष्टि चाहिए, जो गंदे नालों को भी गंगा की एक बूँद डालकर शुद्ध कर ले। उन नालों की दुर्गंध की चर्चा से दुर्गंध कम नहीं होती, बल्कि और बढ़ती है। यदि उस दुर्गंध से बचाने के लिए शुद्ध वायु का झोंका मिलता रहे तो समाज को बदलने में देर नहीं लगेगी।समाज में भी अच्छे लोगों की कमी नहीं है। साहित्य समाज का जीवंत दर्पण है, दस्तावेज है; कथाकार को यह छूट तो मिलनी ही चाहिए कि वह उन अच्छाइयों को अपनी रचना के मुख पृष्ठ पर स्थान दे। इसलिए इस उपन्यास में अच्छे लोगों की कमी नहीं है, जो राम की भूमिका में प्रस्तुत हैं। नारी पात्र अपनी अलग-अलग तेजस्वी छवियों में हमारे सामने प्रकट होते हैं और प्रेरणा का दीपक जलाकर अपने साथ ही सबका पथ प्रशस्त करते हैं।प्रस्तुत उपन्यास के अन्य पात्र अग्राह्य को अस्वीकार करके ग्राह्य को स्वीकार करते हैं। वे लोक निंदा से डरते हैं, परनिंदा के भय से अन्याय नहीं सहते, उसका प्रतिरोध करते हैं। वे सतानेवाले का प्रतिरोध करते हैं और सताए गए व्यक्ति के साथ खड़े होते हैं। जो दुष्ट प्रकृति के पात्र हैं, वे बाहरी दंड पाकर या अपनी आत्मग्लानि के दुःख से गलते हुए अपनी भूल स्वीकार करते हैं। यह भी सत्य और अच्छाई की विजय है, जो समाज को हृदय-परिवर्तन का विश्वास देती है और परिवर्तन का संकल्प भी।अँधेरे में आशा की ज्योति तथा अच्छाई को हौसला देता एक प्रेरणादायी उपन्यास।
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