S. Chandrasekhar
Item Weight | 367 Grams |
ISBN | 978-9350481677 |
Author | Radhika Ramnath |
Language | Hindi |
Publisher | Prabhat Prakashan |
Book Type | Hardbound |
Edition | 1st |

S. Chandrasekhar
विख्यात खगोलविज्ञानी डॉ. सुब्रह्मण्यम चंद्रशेखर का मात्र 18 वर्ष की आयु में पहला शोधपत्र 'इंडियन जर्नल ऑफ फिजिक्स' में प्रकाशित हुआ। मद्रास से प्रेसीडेंसी कॉलेज से स्नातक की उपाधि लेने तक उनके कई शोधपत्र प्रकाशित हो चुके थे। उनमें से एक 'प्रोसीडिंग्स ऑफ द रॉयल सोसाइटी' में प्रकाशित हुआ था, जो इतनी कम आयु के व्यक्ति के लिए गौरव की बात थी।24 वर्ष की अल्पायु में सन् 1934 में ही उन्होंने तारे के गिरने और लुप्त होने की अपनी वैज्ञानिक जिज्ञासा सुलझा ली थी। 11 जनवरी, 1935 को लंदन की रॉयल एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी की एक बैठक में उन्होंने अपना मौलिक शोधपत्र भी प्रस्तुत कर दिया था कि सफेद बौने तारे यानी व्हाइट ड्वार्फ तारे एक निश्चित द्रव्यमान यानी डेफिनेट मास प्राप्त करने के बाद अपने भार में और वृद्धि नहीं कर सकते, अंततः वे ब्लैक होल बन जाते हैं।एस. चंद्रशेखर ने पूर्णतः गणितीय गणनाओं और समीकरणों के आधार पर 'चंद्रशेखर सीमा' का विवेचन किया। सन् 1969 में भारत सरकार ने उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया। भौतिकी के क्षेत्र में वर्ष 1983 का नोबेल पुरस्कार उन्हें तथा डॉ. विलियम फाउलर को संयुक्त रूप से प्रदान किया गया। वे जीवन-पर्यंत अपने अनुसंधान कार्य में जुटे रहे। एक महान् वैज्ञानिक की प्रमाणिक एवं संपूर्ण जीवनगाथा।
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