फ़ेहरिस्त
1.रिवायात-ए-अलीगढ़ (नज्म)-14
2.हर्फ़-ए-सिपास -16
3.अलीगढ़ स्पिरिट -18
4.सैर-ए-चमन -27
5.हुस्न-ए-रिवायत -32
6.इंट्रोडक्शन नाइट और मड रायट -37
7. रूदाद-ए-शेरवानी-ओ-महफ़िल-ए-दस्तरख्वान -47
8.फेरी वाले खुराक रसाँ -53
9.हमारे मुआविनीन -59
10.जिक्र-ए-उजला गरौँ -61
11.तक्सीम ए ख़िताबात -67
12.अलीगढ़ की ऑफिशियल सवारी -83
13.खेलों की सरजमीन -91
14.काबुल के बाग़ात पर हॉकी -बाजों की यलगार -102
15.इलेक्शन बाजी की रौनकें -131
16.अलीगढ़ में अंग्रेज भुतना -141
17.ऐक्टिविटी (अहवाल- ए- शरारत) -149
18. महफ़िल-ए-मुशायरा -167
19. दीनियात -170
20. सीनियॉरिटी का चस्का -179
21. 1990 ई0 की नुमाइश-ए-अलीगढ़ की सैर -188
22. अलीगढ़ और इस्म-ए-मसऊद -205
23. वफ़ा-ए-अज्म -229
24. कपतान सभा -234
25. ख़ुदाई फ़िज़ाइया के तीन हवाबाज -249
26. सर सैयद अलैहिर्रहमा के मदारिज की बुलन्दी -254
27. चुटकी कॉलम्स -260
28. कमालात-ए-मीर टेंडी -268
29. जियाफ़तों की फ़ज़ीलत -305
30. घागों की महफ़िल -315
31. बाल की खाल -323
32. मिसाली दोस्तियाँ -337
33. बाब उन निसा -344
34. रहगुज़र-ए-फ़िरदौस -34
रिवायात-ए-अलीगढ़
माजी का झरोखा है " रिवायात-ए-अलीगढ़ "
यादों का खजाना है "रिवायात-ए-अलीगढ़ "
इक क्रत्र जिसे वक्त ने तामीर किया था
उस नत्र का चेहरा है "रिवायात-ए-अलीगढ़ "
सदियों में अलीगढ़ में बनी थीं जो रिवायात
उन सबका खुलासा है " रिवायात-ए-अलीगढ़ "
इक साबिना तहजीब-ओ-सलाफ़त का जरीदा
तारीख़ का हिस्सा है "रिवायात-ए-अलीगढ़ "
इक जिन्दा तिलस्मात बना कर गए सैयद
जाकिर का करिश्मा है " रिवायात-ए-अलीगढ़ "
जाकिर भी अलीगढ़ में हैं इक जिन्दा रिवायात
सब उनका ही क़िस्सा है " रिवायात-ए-अलीगढ़ "
हर्फ़-ए-सिपास
अल्लाह तआला का शुक्र कि उसके करम-ए-फ़रावाँ से “रिवायात-
ए-अलीगढ़ " मक़बूलियत के इस दर्जे पर पहुँची कि चन्द ही बरसों में इसके
कई उर्दू एडीशन आ गए, लिहाजा हम इस पसन्दीदगी को अलीगढ़ स्पिरिट
की ही एक क़िस्म क़रार दे सकते हैं, इसलिए इस हसीन मौजू पर जब भी
कोई किताब सामने आती है तो चाहने वाले अपनी चाहत का टूट कर इजहार
करते हैं। मादर-ए-दर्सगाह अलीगढ़ ने मुल्क की कहकशाँ को ऐसे दरशन्दा
सितारे फ़राहम किए जो अपनी जगह आफ़ताब-ओ-महताब से कम नहीं और
इसमें मुतलक तअल्ली नहीं अगर ये कहा जाए कि बरं- ए- सगीर के किसी
एक तालीमी इदारे को इतने जलील - उल - क्रद्र-ओ-बुलन्द क्रामत फ़रजन्दा
पैदा करने का शरफ़ नसीब नहीं हुआ। ये सब "रिवायात-ए-अलीगढ़ " की
पैदावार और नमूना थे, जिनकी विरासत नस्लन बाद नस्लिन मुन्तक्किल होती
चली आ रही है। यूँ तो सर सैयद की सबसे मुक़द्दम रिवायात फ़रोग़-ए-ताली
है इसलिए तालीम-गाहों के क्रियाम को तफ़व्वुक हासिल है, लेकिन तहरीरों
और तक़रीरों के जरिए मुआशरा साजी, मुवानसत और उखुव्वत का प्रचार भी
अलीगढ़ स्पिरिट के अहम अज्जा-ए-तर्कीबी हैं, सिपास गुज़ार की हैसियत
से हमारे बहुत से बुजुर्ग पेशरौ ओ अलीगढ़ के जय्यद फ़रज़न्दों की अजीम
क़ौमी खिदमात और उनके कारनामों से अर्सा ए-दराज से मिल्लत को रू-
शनास करते चले आ रहे हैं। यही वजह है कि हमने अपने मौज़ू को अलीगढ़
की रोजमर्रा जिन्दगी और वहाँ पर होने वाली ग़ैर-निसाबी मगर अज-हद