Raktaranjit Jammu Kashmir
Author | Ravindra Jugran |
Language | Hindi |
Publisher | Prabhat Prakashan Pvt Ltd |
ISBN | 978-8185829999 |
Book Type | Hardbound |
Item Weight | 0.42 kg |
Edition | 1st |
Raktaranjit Jammu Kashmir
भारत ही नहीं, आज संपूर्ण विश्व-पटल पर जम्मू कश्मीर के मुद्दे को ज्वलंत समस्या बना दिया गया है । जम्मू कश्मीर की वर्तमान परिस्थितियों पर अनेक लेखकों, पत्रकारों एवं समाज-सेवकों ने अपनी लेखनी चलाई है; किंतु यह पुस्तक अपने आपमें एक अलग ही सच बयां करती है । ' रक्तरंजित जम्मू कश्मीर ' वहाँ के सामाजिक परिवेश का सजीव दस्तावेज है । लेखक रवींद्र जुगरान ने वर्षों वहाँ रहकर आतंकवाद से पीड़ित समाज के दुःखों को प्रत्यक्ष अपनी आँखों से देखा है । इस पुस्तक में लेखक ने जम्मू कश्मीर में नासूर बने आतंकवाद के सभी पहलुओं को अपने प्रत्यक्ष अनुभवों के आधार पर रेखांकित किया है । कश्मीर घाटी में शांति के प्रयासों के तहत विभिन वर्गों, उग्रवादी संगठनों तथा सरकार के बीच बातचीत के मुद्दे क्या हों, बातचीत में किनको शामिल किया जाए, बातचीत किनसे की जाए-से महत्वपूर्ण मुद्दों की ओर जनसामान्य और सरकार का ध्यान इस पुस्तक के माध्यम से आकृष्ट कराया गया है । आतंकवादियों द्वारा कश्मीर घाटी में किस प्रकार हिंदुओं एव मुसलमानों के बीच घृणा पैदा को गई; हत्या, बलात्कार, अपहरण आदि के कैसे-कैसे घिनौने तांडव किए गए-इन सबको पाठकों के सामने रखने का उद्देश्य यह है कि वे जान सकें कश्मीर का सच क्या है, शत्रु राष्ट्र का षड्यंत्र कितना और कहाँ तक सफल हो पाया है! हमें विश्वास ���ै कि यह पुस्तक राष्ट्र प्रहरियों एवं जम्मू कश्मीर के त्रस्त समाज को आतंकवादियों से लड़ने का संबल प्रदान करेगी!____________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________अनुक्रमप्रस्तावना — Pgs. ९मेरा नम्र निवेदन — Pgs. १११. भौगोलिक-सांस्कृतिक परिदृश्य — Pgs. १३२. आतंकवाद की पृष्ठभूमि — Pgs. २५३. अलगाववाद की सियासी चाल — Pgs. ४५४. आतंकवाद की तैयारी — Pgs. ५८५. आतंकवाद का स्वरूप — Pgs. ६८६. समाज की भूमिका और संघर्ष — Pgs. १००७. आतंकवादी संगठन का जालतंत्र — Pgs. ११३८. कश्मीर की स्वायत्तता का प्रस्ताव — Pgs. ११६९. भारत का शांति प्रयास — Pgs. १२११०. पाकिस्तान का रवैया — Pgs. १२५११. कश्मीर समस्या पर अंतरराष्ट्रीय समर्थन — Pgs. १३२१२. आतंकवाद का समाज पर प्रभाव — Pgs. १३९१३. सरकार, प्रशासन और पुलिस की भूमिका — Pgs. १४६१४. सामाजिक-राजनीतिक संगठनों की भूमिका — Pgs. १५९१५. आतंकवाद समाप्त करने के उपाय — Pgs. १७३१६. जनमानस के विचार — Pgs. १८४१७. आतंकवादी घटनाओं का विवरण — Pgs. १९८
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