Rajput Shakhaon Ka Itihas
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Item Weight | 400 Grams |
ISBN | 978-9385593413 |
Author | Devi Singh Mandawa |
Language | Hindi |
Publisher | Rajasthani Granthaghar |
Pages | NA |
Book Type | Paperback |

Rajput Shakhaon Ka Itihas
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राजपूत शाखाओं का इतिहास : प्रस्तुत ग्रन्थ में बौद्ध धर्म का त्याग कर आने वाले क्षत्रियों और वेदोद्धार के लिये किये गये कुमारिल एवं आदि शंकराचार्य के प्रयासों का उल्लेख करके कई क्षत्रिय वंशों के विषय में प्रचलित कतिपय भ्रामक मतों का खण्डन किया गया है। यह ग्रन्थकार की सराहनीय उपलब्धि है। इस प्रकार विद्वान लेखक ने हमारे इतिहास को लिखने के लिये सांस्कृतिक गहराई में जाने की जो प्रेरणा प्रदान की है उसके लिये वह हम सब की बधाई के पात्र हैं। आशा है कि उनका इस प्रकार अध्ययन और लेखन निरन्तर जारी रहेगा। भारतीय संस्कृति के प्रेमी सज्जनों के लिये और इतिहास-लेखन में रुचि रखने वाले प्रत्येक भारतीय के लिये यह ग्रन्थ पठनीय है, क्योंकि इसमें किसी संकुचित जातिवाद की अभिव्यक्ति के स्थान पर उस व्यापक राष्ट्रवादी क्षात्र धर्म के बीज दृष्टिगत होते हैं, जो अथर्ववेदीय ‘बृहत् संवेश्यं राष्ट्रम्’ की कल्पना में प्रस्फुटित हुआ। इसीलिये यह ग्रन्थ वैदिक वर्ण व्यवस्था को महिमा मण्डित करते हुए स्पष्ट कहता है कि, ‘उस सम�� कोई जाति प्रथा नहीं थी, अपितु गुणों और कर्मों के अनुसार चार वर्णों की रचना होती थी।’ क्षत्रियों अथवा राजपूतों के इतिहास पर अब तक लिखे गये ग्रन्थों में श्री देवीसिंह मंडावा की प्रस्तुत पुस्तक ‘राजपूत शाखाओं का इतिहास’ सर्वाधिक प्रामाणिक और विश्वसनीय मानी जायेगी, ऐसा मेरा विश्वास है। लेखक के व्यापक अध्ययन और अनुशीलन के पश्चात् लिखा गया यह ग्रन्थ राजपूतों के विषय में प्रचारित अनेक भ्रमों का निवारण करता है। इस पुस्तक में जो निष्कर्ष दिये गये हैं, वे सभी अनेक ऐसे प्रमाणों पर आश्रित हैं, जिन्हें प्रस्तुत करने के लिये लेखक ने बड़े परिश्रमपूर्वक अनुसंधान कार्य किया है। विशेषत: राजपूतों को शकों, कुशानों या हूणों की सन्तान कहने वाले इतिहासकारों का खण्डन करने के लिये जो अनेक प्रमाण प्रस्तुत किये हैं, उसके लिये श्री सिंह साधुवाद के पात्र है।RelatedTRUE
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