Purkha patrkar ka bioscope
Author | Nagendranath gupt (anu.arvind mohan ) |
Language | Hindi |
Publisher | Setu Prakashan |
Pages | 239 |
ISBN | 978-93-89830-70-5 |
Book Type | Hardbound |
Item Weight | 0.324 kg |
Dimensions | 129 x 198 mm |
Edition | 1st |
Purkha patrkar ka bioscope
About Book
पुरोधा पत्रकार नगेन्द्रनाथ गुप्त के संस्मरणों और आत्मकथात्मक ब्यौरों का यह संग्रह आजादी से पहले के भारत का एक खास प्रत्याख्यान है। इस पुस्तक से गुजरना कई मायनों में विशेष है। एक पारखी पत्रकार की नजर से देखी दीन-दुनिया का यह ब्योरा संस्मरणों की आम पुस्तकों से वाकई भिन्न है, आप इस पुस्तक के साथ अंग्रेजी राज के समय, देश-काल वातावरण से ही रूबरू नहीं होते; शहर, लोग, उनके जीवन, उनके जीवन के सच सब आईने से साफ दीख पड़ते हैं आप लेखक के साथ-साथ एक यात्रा पर निकाल पड़ते हैं। बड़े-बड़े सच की खोज मे इन छोटे सच की पहचयन और और सच की इतिहास मे जगह दोनों विचारणीय हैं। आज पुनः लौट कर इतिहास के कालखंड को इन झरोखों से निहारने की अपनी जरूरत भी है। इससे इतिहास की हमारी समझ विस्तृत और पुख्ता होती है।इस पुस्तक में सभी के लिए कुछ न कुछ है। गंभीर अनुसंधान करने वाले से ले केर हल्का-फुल्का कुछ पढ़ने की चाहत रखने वाले सभी इस पुस्तक के मुरीद हैं ।
About Author
नगेन्द्रनाथ गुप्त
आज से लगभग डेढ सौ साल पहले अफ़सरी को तरफ़ न जाकर पत्रकार बने नगेन्द्रनाथ गुप्त हिन्दुस्तानी पत्रकारिता के विकास के प्रमुख हस्ताक्षर हैं। बिहार में जन्मे और कोलकाता में पढ़े श्री गुप्त विवेकानन्द के सहपाठी थे और आपने हैदराबाद, कराची, लाहौर तथा बॉम्बे रह कर पत्रकारिता की। काँग्रेस की स्थापना से लेकर राष्ट्रीय आन्दोलन के उभार, आर्य समाज, ब्रह्म समाज और रामकृष्ण मिशन के गठन और विकास को भी उन्होंने देखा-बताया था। वे 'ट्रिब्यून' के दूसरे और यशस्वी सम्पादक थे। उन्होंने विद्यापति की रचनाओं का पहला संकलन करने के साथ पर्याप्त साहित्य भी रचा। 1940 में उनकी मृत्यु हुई।
प्रस्तुत पुस्तक अपने युग के साथ उनके जीवन को भी बताती है।
अरविन्द मोहन
पत्रकार, लेखक और अनुवादक। पिछले चार दशक से 'जनसत्ता', 'इण्डिया टुडे', 'हिन्दुस्तान', 'अमर उजाला' और 'एबीपी न्यूज़' के माध्यम से पत्रकारिता करने वाले अरविन्द मीडिया अध्यापन में भी सक्रिय हैं। उन्होंने गाँधी के चम्पारण सत्याग्रह पर किताबें लिखने के साथ और विषयों पर भी लिखा और अनुवाद किया है। उनकी दर्जन भर से ज्यादा किताबें प्रकाशित हैं।
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