Look Inside
Pratinidhi Kavitayen : Nagarjun
Pratinidhi Kavitayen : Nagarjun
Pratinidhi Kavitayen : Nagarjun
Pratinidhi Kavitayen : Nagarjun
Pratinidhi Kavitayen : Nagarjun
Pratinidhi Kavitayen : Nagarjun
Pratinidhi Kavitayen : Nagarjun
Pratinidhi Kavitayen : Nagarjun
Pratinidhi Kavitayen : Nagarjun
Pratinidhi Kavitayen : Nagarjun
Pratinidhi Kavitayen : Nagarjun
Pratinidhi Kavitayen : Nagarjun
Pratinidhi Kavitayen : Nagarjun
Pratinidhi Kavitayen : Nagarjun
Pratinidhi Kavitayen : Nagarjun
Pratinidhi Kavitayen : Nagarjun

Pratinidhi Kavitayen : Nagarjun

Regular price ₹ 179
Sale price ₹ 179 Regular price ₹ 199
Unit price
Save 10%
10% off
Tax included.
Size guide

Pay On Delivery Available

Rekhta Certified

7 Day Easy Return Policy

Pratinidhi Kavitayen : Nagarjun

Pratinidhi Kavitayen : Nagarjun

Cash-On-Delivery

Cash On Delivery available

Plus (F-Assured)

7-Days-Replacement

7 Day Replacement

Product description
Shipping & Return
Offers & Coupons
Read Sample
Product description

हिन्दी के आधुनिक कबीर नागार्जुन की कविता के बारे में डॉ. रामविलास शर्मा ने लिखा है : ‘‘जहाँ मौत नहीं है, बुढ़ापा नहीं है, जनता के असन्तोष और राज्यसभाई जीवन का सन्तुलन नहीं है वह कविता है नागार्जुन की। ढाई पसली के घुमन्तू जीव, दमे के मरीज़, गृहस्थी का भार—फिर भी क्या ताक़त है नागार्जुन की कविताओं में! और कवियों में जहाँ छायावादी कल्पनाशीलता प्रबल हुई है, नागार्जुन की छायावादी काव्य-शैली कभी की ख़त्म हो चुकी है। अन्य कवियों में रहस्यवाद और यथार्थवाद को लेकर द्वन्द्व हुआ है, नागार्जुन का व्यंग्य और पैना हुआ है, क्रान्तिकारी आस्था और दृढ़ हुई है, उनके यथार्थ-चित्रण में अधिक विविधता और प्रौढ़ता आई है।...उनकी कविताएँ लोक-संस्कृति के इतना नज़दीक हैं कि उसी का एक विकसित रूप मालूम होती हैं। किन्तु वे लोकगीतों से भिन्न हैं, सबसे पहले अपनी भाषा—खड़ी बोली के कारण, उसके बाद अपनी प्रखर राजनीतिक चेतना के कारण, और अन्त में बोलचाल की भाषा की गति और लय को आधार मानकर नए-नए प्रयोगों के कारण। हिन्दीभाषी...किसान और मज़दूर जिस तरह की भाषा...समझते और बोलते हैं, उसका निखरा हुआ काव्यमय रूप नागार्जुन के यहाँ है।’’ Hindi ke aadhunik kabir nagarjun ki kavita ke bare mein dau. Ramavilas sharma ne likha hai : ‘‘jahan maut nahin hai, budhapa nahin hai, janta ke asantosh aur rajyasbhai jivan ka santulan nahin hai vah kavita hai nagarjun ki. Dhai pasli ke ghumantu jiv, dame ke mariz, grihasthi ka bhar—phir bhi kya taqat hai nagarjun ki kavitaon men! aur kaviyon mein jahan chhayavadi kalpnashilta prbal hui hai, nagarjun ki chhayavadi kavya-shaili kabhi ki khatm ho chuki hai. Anya kaviyon mein rahasyvad aur yatharthvad ko lekar dvandv hua hai, nagarjun ka vyangya aur paina hua hai, krantikari aastha aur dridh hui hai, unke yatharth-chitran mein adhik vividhta aur praudhta aai hai. . . . Unki kavitayen lok-sanskriti ke itna nazdik hain ki usi ka ek viksit rup malum hoti hain. Kintu ve lokgiton se bhinn hain, sabse pahle apni bhasha—khadi boli ke karan, uske baad apni prkhar rajnitik chetna ke karan, aur ant mein bolchal ki bhasha ki gati aur lay ko aadhar mankar ne-ne pryogon ke karan. Hindibhashi. . . Kisan aur mazdur jis tarah ki bhasha. . . Samajhte aur bolte hain, uska nikhra hua kavymay rup nagarjun ke yahan hai. ’’

Shipping & Return
  • Sabr– Your order is usually dispatched within 24 hours of placing the order.
  • Raftaar– We offer express delivery, typically arriving in 2-5 days. Please keep your phone reachable.
  • Sukoon– Easy returns and replacements within 7 days.
  • Dastoor– COD and shipping charges may apply to certain items.

Offers & Coupons

Use code FIRSTORDER to get 10% off your first order.


Use code REKHTA10 to get a discount of 10% on your next Order.


You can also Earn up to 20% Cashback with POP Coins and redeem it in your future orders.

Read Sample

क्रम


प्रतिबद्ध हूँ .......................................... 15
पछाड़ दिया मेरे आस्तिक ने ................... 17
कल्पना के पुत्र हे भगवान............................................. 19
थकित चकित-भ्रमित भग्न मन ................ 21
रहा उनके बीच मैं ................................. 22
जी हाँ, लिख रहा हूँ ............................... 23
वातें ................................................... 24
वो हमें चेतावनी देने आए थे .................. 25
सिंदूर तिलकित भाल ............................... 28
वह दंतुरित मुस्कान ............................... 30
तन गई रीढ ........................................... 31
यह तुम थीं ................................................ 32
सुबह-सुबह ............................................ 32
गुलाबी चूड़ियाँ ..................................... 33
खुद्दूरे  पैर  ......................................... 35
घिन तो नहीं आती है? ............................ 36
गीले पाँक की दुनिया गई है छोड़ ............37
'शालवनों के निबिड़ टापू में .................... 39
लालू साहू ........................................... 41
तेरी खोपड़ी के अंदर ............................. 42
चंदू, मैंने सपना देखा ............................ 46
नेवला .............................................. 47
मुर्गे ने दी बाँ ................................. 56
ध्यानमग्न वक-शिरोमणि .................. 57
बाघ आया उस रात ........................... 58
इन सलाखों से टिकाकर भाल ........... 59
क्रंदन भी भा सकता है .................... 59
उनको प्रणाम! ................................. 60
लू-शुन ........................................... 62
बर्तोल्त ब्रेख्त ................................. 62
☐ ☐
बादल को घिरते देखा है ................... 66
बरफ पड़ी है! ................................... 67
ऋत-संधि ......................................... 68
मेघ बजे ........................................... 69
घन-कुरंग ........................................ 70
फूले कदंब ........................................ 70
अब के इस मौसम में ....................... 71
बहुत दिनों के बाद .......................... 72
मेरी भी आभा है इसमें ...................... 73
फसल ................................................ 74
नीम की दो टहनियाँ ........................ 75
सिके हुए दो भुट्टे ............................ 76
फिसल रही चाँदनी ............................ 76
जान भर रहे हैं जंगल में .................. 77
शिशिर की निशा ............................... 78
पिछली रात ...................................... 79
भर रहा है चमक ............................... 80
पैने दाँतोंवाली ................................. 81
काले-काले ...................................... 81
बच्चा चिनार ................................... 83
सोनिया समंदर ............................... 83
हिम शुभ्र पठारों पे रहा है ................. 84
डियर तोताराम ................................. 84
यह तो वो नहीं है ............................... 86
फुहारोंवाली बारिश ........................... 87
शायद कोहरे में न भी दीखे .................. 89
बादल भिगो गए रातोरात ..................... 90
मन करता है ..................................... 91
भुस का पुतला ................................... 93
प्रेत का बयान .................................... 94
नया तरीका ........................................ 96
बाकी बच गया अंडा ............................ 97
अकाल और उसके बाद ......................... 98
मास्टर! .............................................. 98
चाचा भरे चाबी .................................. 101
आओ रानी, हम ढोएँगे पालकी ............ 101
भूले स्वाद बेर के ............................... 103
आए दिन बहार के .............................. 104
शासन की बंदूक ................................ 104
कर दो वमन! ..................................... 105
तीन दिन, तीन रात ............................. 106
तीनों बंदर बापू के ............................. 108
मंत्र कविता ....................................... 110
अन्न पचीसी के दोहे ........................... 113
आए दिन ........................................... 114
सत्य .................................................. 115
नथने फुला-फुलांके ............................ 116
भोजपुर ............................................. 117
अग्निबीज ......................................... 119


मैथिली कविताएँ

नन्हे-नन्हे फूल .................................. 122
पका है यह कटहल! .......................... 123
जोड़ा मंदिर ......................................... 126
????? ................................................ 129
क्या लाल? क्या लाल? ......................... 131
न आए रातभर मेलट्रेन ........................ 132
एक फाँक आँख, एक फाँक नाक .......... 133
मनुपुत्र दिगंबर ................................. 134
बीच सड़क पर .................................... 134
पसीने का गुण-धर्म ............................. 135
श्यामघटा, मित बीजुरि-रेह .................. 135
सुजन नयन मनि ................................. 136
हरिजन-गाथा ....................................... 137

 

प्रतिबद्ध हूँ
प्रतिबद्ध हूँ
संबद्ध हूँ
आवद्ध हूँ 
प्रतिबद्ध हूँ, जी हाँ, प्रतिबद्ध हूँ-
बहुजन समाज की अनुपल प्रगति के निमित्त-
संकुचित 'स्व' की आपाधापी के निषेधार्थ --
अविवेकी भीड़ की 'भेड़िया-धसान' के खिलाफ़
अंध-बधिर 'व्यक्तियों' को सही राह बतलाने के लिए "
अपने आप को भी 'व्यामोह' से बारंबार उबारने की खातिर
प्रतिबद्ध हूँ, जी हाँ, शतधा प्रतिबद्ध हूँ!संबद्ध हूँ, जी हाँ, संबद्ध हूँ-
मचर-अचर सृष्टि से
शीन से, ताप से, धूप से, ओस से, हिमपात
राग से, द्वेष से, क्रोध से, घृणा से, हर्ष से, शोक से, उमंग से,
                                                                                            आक्रोश से
निश्चय-अनिश्चय से, संशय, भ्रम से, क्रम से, व्यतिक्रम से
निष्ठा-अनिष्ठा से, आस्था - अनास्था से, संकल्प-विकल्प से
जीवन से, मृत्यु से, नाश-निर्माण से, शाप-वरदान से
उत्थान से, पतन से, प्रकाश से, तिमिर से
दंभ से, मान से, अणु से, महान से

ध्यानमग्न वक-शिरोमणि
ध्यानमग्न वक-शिरोमणि
पतली टाँगों के सहारे
जमे हैं झील के किनारे
जाने कौन हैं 'इष्टदेव' आपके!
'इष्टदेव' हैं आपके
चपल-चटुल लघु-लघु मछलियाँ -
चाँदी-सी चमकती मछलियाँ -
फिसलनशील, सुपाच्य
सवेरे-सवेरे आप'
ले चुके हैं दो बार !
अपना अल्पाऽऽहार !
 रहे हैं जाने कब से
चितनमध्य मत्स्य- शिशु
भगवान नीराकार!
मनाता हूँ मन ही मन,
सुलभ हो आपको अपना शिकार
तभी तो जमेगा
आपका माध्यंदिन आहार
अभी तो महोदय,
आप
डटे रहो इसी प्रकार
झील के किनारे
अपने 'इष्ट' के ध्यान में!
अनोखा है
आपका ध्यान-योंग!
महोदय, महामहिम!!
1984

Customer Reviews

Be the first to write a review
0%
(0)
0%
(0)
0%
(0)
0%
(0)
0%
(0)

Related Products

Recently Viewed Products