Pratidarsh
Author | Wagish shukla |
Language | Hindi |
Publisher | Setu Prakashan |
Pages | 560 |
ISBN | 978-81-952184 -1-7 |
Book Type | Paperback |
Item Weight | 0.31 kg |
Dimensions | 129 x 198 mm |
Edition | 1st |
Pratidarsh
About Book
प्रतिदर्श संचयन है वागीश शुक्ल के अब तक के लेखन के चुनिंदा अंशों का। वे न सिर्फ विद्वान-आलोचक हैं, वे अपनी पीढ़ी और उससे पहले की पीढ़ी में भी अनोखे हैं। उनकी विद्वता संस्कृत, हिन्दी, उर्दू, फारसी, अंग्रेजी, व्याकरण, आधुनिक गणित और उत्तर आधुनिकता तक विस्तृत है । वे इसका बहुत विरल उदाहरण हैं कि इस तथाकथित उत्तर आधुनिक समय में परम्परा बल्कि कई परम्पराओं में गृहस्थ होकर साहित्य, विचार आदि पर लिखने के लिए किस तरह की कुशाग्र समझ, किस तरह के अवधारणात्मक साक्ष्य और प्रमाण, किस तरह की व्याख्या-क्षमता की दरकार होती है। उनकी आलोचना में स्मृति सदा सक्रिय रहती है, कई बार इस तरह कि मानो सारा लिखना पहले कुछ हुए को याद करना और समझना है।
वागीश शुक्ल ने ऐसे लिखा है कि हर बार सम्बन्धित विषय का कोई न कोई नया और अक्सर अप्रत्याशित पक्ष उन्मीलित होता है। यह ऐसी आलोचना-वृत्ति है जो सिर्फ दिखाती नहीं, उकसाती भी है। समकालीन आलोचना में अप्रत्याशित का ऐसा रमणीय कम है, वागीश जी के यहाँ बहुत है। उनके काम का एक हिस्सा आधुनिकता के दबाव या झोंक में परम्परा की दुर्व्याख्या या कुपाठ को प्रश्नांकित करता है। यह एक जरूरी काम इसलिए है कि यह हमें आधुनिकता की सीमाएँ पहचानने और उसके कुछ अतिचारों की शिनाख्त करने में मदद करता है।
About Author
वागीश शुक्ल
(जन्म : 1946, उत्तर प्रदेश) हिन्दी के सबसे गहरे और तीक्ष्ण सिद्धान्तकार, आलोचक, अनुवादक और उपन्यासकार। तीन पुस्तकें "चन्द्रकान्ता (सन्तति) का तिलिस्म', 'शहंशाह के कपड़े कहाँ है' और 'छन्द-छन्द पर कुमकुम' प्रकाशित। दूसरी पुस्तक में साहित्य के अनेक मूलभूत प्रश्नों पर वैचारिक निबन्ध हैं। 'छन्द-छन्द पर कुमकुम' निराला की सुदीर्घ कविता राम की शक्ति पूजा' की अद्वितीय टीका है। आधुनिक समय में ऐसा कोई वैचारिक उद्यम किसी अन्य भारतीय लेखक ने इस स्तर का नहीं किया है। यह टीका निराला की इस महत्त्वाकांक्षी कविता को भारतीय साहित्य की देशी और मार्गी परम्परा के परिवेश में अवस्थित कर उसकी अर्थ समृद्धि को सहज उद्घाटित करती है। वागीश जी ने गालिब के लगभग पूरे साहित्य की विस्तृत टीका लिख रखी है, जो आने वाले वर्षों में प्रकाशित होगी।वे पिछले कुछ वर्षों से एक सुदीर्घ उपन्यास लिखने में लगे हैं जिसके कुछ अंश हिन्दी की पत्रपत्रिकाओं में प्रकाशित हुए है। हिन्दी, संस्कृत, फ़ारसी और अंग्रेजी वाङ्मय के गहरे और गम्भीर अध्येता वागीश जी साहित्य अकादेमी की परियोजना, भारतीय काव्यशास्त्र का विश्वकोश, के मुख्य सहयोगी सम्पादक भी हैं।
- Over 27,000 Pin Codes Served: Nationwide Delivery Across India!
- Upon confirmation of your order, items are dispatched within 24-48 hours on business days.
- Certain books may be delayed due to alternative publishers handling shipping.
- Typically, orders are delivered within 5-7 days.
- Delivery partner will contact before delivery. Ensure reachable number; not answering may lead to return.
- Study the book description and any available samples before finalizing your order.
- To request a replacement, reach out to customer service via phone or chat.
- Replacement will only be provided in cases where the wrong books were sent. No replacements will be offered if you dislike the book or its language.
Note: Saturday, Sunday and Public Holidays may result in a delay in dispatching your order by 1-2 days.
Use code FIRSTORDER to get 10% off your first order.
Use code REKHTA10 to get a discount of 10% on your next Order.
You can also Earn up to 20% Cashback with POP Coins and redeem it in your future orders.