PEETH PICHHE KA AANGAN AUR ANDHERI KHIDKIYAN
Item Weight | 400 Grams |
ISBN | 978-9387252189 |
Author | ANIRUDH UMAT |
Language | Hindi |
Publisher | Surya Prakashan Mandir |
Pages | 220 |
Book Type | Paperback |
Dimensions | 16*X14*X4* |
Publishing year | 2018 |
Edition | 2018 |
Return Policy | 5 days Return and Exchange |

PEETH PICHHE KA AANGAN AUR ANDHERI KHIDKIYAN
'पीठ पीछे का आँगन' आज दिन-भर रुक-रुक कर, चाव और प्यार से, पढता रहा और तुम्हारी कलाकारी से अभिभूत होता रहा | पिछले तीन-चार सालों में शायद ही किसी उपन्यास को मैंने इतने प्यार से पढ़ा हो | पहले वाक्य ने ही मुझे जकड लिया: 'अन्तहीन काली ऊन' | अँधेरे को ऐसी अनूठी उपमा शायद ही किसी और ने दी हो | मैंने पढ़ते हुए इतने निशान लगाए हैं, इतने वाक्य के नीचे लकीरें खींची हैं कि कोई देखे तो हैरान हो | जाहिर है कि मैं तुम्हारे इस उपन्यास से बहुत प्रभावित, बहुत आश्वस्त, बहुत चमत्कृत हुआ हूँ | पहले उपन्यास (अँधेरी खिड़कियाँ) में जो संभावनाएँ थीं, इसमें वे साकार हो गई हैं | सबसे अधिक मैं इस बात से प्रभावित हूँ कि तुम सारे उपन्यास में बहुत संयत हो-और तुमने एक तरह से (फिर) स्थापित कर दिया है कि उपन्यास में अमूर्तन संभव ही नहीं, सुन्दर भी हो सकता है, कि प्रयोग अराजकता का पर्याय नहीं, कि 'प्रयोगवादी' उपन्यास भी उपन्यास ही है-साधारण यथार्थ के बगैर, भाषा और शिल्प के सहारे, आन्तरिकता के सहारे, मानवीय लाचारियों के सहारे... कहने का मतलब यह कि तुमने अपने इस काम से मुझे प्रभावित ही नहीं किया, मोह भी लिया | --कृष्ण बलदेव वैद.
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