Ped Ka Pata
Item Weight | 150 Gram |
ISBN | 9788197063831 |
Author | Sushil Shukla |
Language | Hindi |
Publisher | Ektara Trust |
Pages | 30 |
Dimensions | 21*21 CM |
Publishing year | 2025 |
Edition | 1st |

Ped Ka Pata
छोटे-छोटे उन्नीस गद्यों और उतने ही चित्रों वाली किताब | वे गद्य कुछ चीज़ों, वाक़ि'आत और जगहों को याद करते हुए लिखे गए हैं | सुशील शुक्ल ने याद को अँधेरे, हवाओं, दरवाज़ों, पेड़ों, आमों, पास और दूर की, और उन सारी बातों के साथ लिखा है जो बच्चों से लेकर बड़ों तक सभी को हासिल रहती हैं | भले ही वो बीती हुई हों - ज़्यादातर गद्य एक 'था' के ज़िक्र से शुरू होते हैं | पर वो 'था' महज़ एक घटा हुआ समय नहीं है | बल्कि एक जगह है | एक पता है |
जैसे एक घर है जिसे गिराया जा रहा है। यह एक याद की कहानी है। मगर यह दुनिया के गिर रहे हरेक घर के साथ ज़िन्दा हो उठती है। तो एक ऐसी याद जो याद भी है और अभी घट भी रही है। पेड़ का न होने पर पेड़ का होना सबसे ज़्यादा सालता है। तो ये कहानियाँ किसी चीज़ के न होने की कहानियाँ हैं। जो याद बनकर ही सुनाई जा सकती थीं। इसलिए कि हमें पता चले कि हम किस तरह का कल बनाएँ कि उसकी यादें सुहावनी हों। कचोटने वाली नहीं।
पाठकों को इस पते पर तापोशी घोषाल के चित्रों की सोहबत हासिल रहेगी | वे चित्र इस तरह से बेहद उदार हैं कि वो अपने साथ-साथ पढ़नेवाले की यादों को जगह देने हर पन्ने पर काफी खुली जगह रखे चलते हैं। इन चित्रों में इन सब कहानियों के किरदार हैं, जगहें हैं।
ISBN - 9788197063831
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