Paramhans Yoganand Ek Jeevani
Item Weight | 200 Grams |
ISBN | 978-8177212662 |
Author | Rachna Bhola 'Yamini' |
Language | Hindi |
Publisher | Prabhat Prakashan |
Book Type | Hardbound |
Publishing year | 2016 |
Edition | 1 |

Paramhans Yoganand Ek Jeevani
परम विशिष्ट आध्यात्मिक विभूतियों में से एक श्री श्री परमहंस योगानंदजी द्वारा दी गई शिक्षाएँ तथा कालजयी विचार धर्म, दर्शन, विज्ञान, मनोविज्ञान, शिक्षा आदि क्षेत्रों के लिए समान रूप से सार्थक और स्तुत्य हैं। उन्होंने विदेशों में क्रिया, योग, विज्ञान तथा अध्यात्म के क्षेत्र में जो उल्लेखनीय योगदान दिया, उसे भुलाया नहीं जा सकता।पूज्य परमहंस योगानंद ने 'योगदा सत्संग सोसाइटी' तथा 'सेल्फ रियलाइजेशन फैलोशिप' नामक संस्थाओं की स्थापना की। ये संस्थाएँ अपने जगद्गुरु के संदेशों तथा विचारों को मौलिक व प्रामाणिक रूप में पूरे विश्व में प्रचारित करने के लिए कटिबद्ध हैं। इस पुस्तक को तैयार करने में स्वामीजी की इन्हीं संस्थाओं से प्रकाशित पुस्तकों से मदद ली गई है—विशेष रूप से पूज्य स्वामीजी द्वारा लिखित 'योगी कथामृत' से। इस पुस्तक में स्वामी योगानंदजी के विचारों को ही मूर्त रूप प्रदान किया गया है।त्याग, तपस्या, संयम, योग, अध्यात्म से अनुप्राणित पूज्य स्वामी परमहंस योगानंद का अद्भुत चरित्र-चित्रण, जो सामान्य जन को प्रेरित करेगा और एक आदर्श मानव बनने का मार्ग प्रशस्त करेगा।________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________अनुक्रमदो शब्द — Pgs. 71. मुकुंद का जन्म — Pgs. 112. आध्यात्मिक जीवन की प्रथम पाठशाला — Pgs. 163. माँ का आकस्मिक निधन — Pgs. 214. अलौकिक ताबीज व संन्यास की इच्छा — Pgs. 255. हिमालय का आमंत्रण — Pgs. 326. गुप्तचर अनंत दा — Pgs. 397. स्वामी केवलानंद व अन्य संतों से भेंट — Pgs. 448. हाईस्कूल की परीक्षा — Pgs. 499. आश्रम का परिवेश — Pgs. 5310. गुरु से प्रथम भेंट — Pgs. 5711. गुरु का पावन आश्रम — Pgs. 6412. गुरुदेव का पावन सान्निध्य — Pgs. 6913. हिमालय का अदम्य आकर्षण — Pgs. 7414. समाधि का दिव्य अनुभव — Pgs. 7915. स्नातक की उपाधि — Pgs. 8616. संन्यासी स्वामी योगानंद — Pgs. 9217. सार्वजनिक जीवन में प्रवेश — Pgs. 9718. राँची का योग-विद्यालय — Pgs. 10119. दैवीय आदेश — Pgs. 10520. अमेरिका की ओर — Pgs. 10921. द सिटी ऑफ स्पार्टा — Pgs. 11322. भारत-वापसी — Pgs. 11723. राँची विद्यालय में स्वागत — Pgs. 12124. परमहंस योगानंद — Pgs. 12325. गुरुदेव का महाप्रयाण — Pgs. 12726. श्री युक्तेश्वर गिरिजी का पुनरुत्थान — Pgs. 13027. स्वामी योगानंद की गण्यमान्य हस्तियों से भेंट — Pgs. 14028. पश्चिम की ओर — Pgs. 14529. अंतिम समय — Pgs. 15030. वचनामृत — Pgs. 154
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