Look Inside
Numaainda Kahaaniyaan Rajinder Singh Bedi
Numaainda Kahaaniyaan Rajinder Singh Bedi
Numaainda Kahaaniyaan Rajinder Singh Bedi
Numaainda Kahaaniyaan Rajinder Singh Bedi

Numaainda Kahaaniyaan Rajinder Singh Bedi

Regular price ₹ 159
Sale price ₹ 159 Regular price ₹ 199
Unit price
Save 20%
20% off
Tax included.
Size guide

Pay On Delivery Available

Rekhta Certified

7 Day Easy Return Policy

Numaainda Kahaaniyaan Rajinder Singh Bedi

Numaainda Kahaaniyaan Rajinder Singh Bedi

Cash-On-Delivery

Cash On Delivery available

Plus (F-Assured)

7-Days-Replacement

7 Day Replacement

Product description
Shipping & Return
Offers & Coupons
Read Sample
Product description

About Book

'रेख़्ता कथा साहित्य' रेख़्ता बुक्स की नई कोशिश का नाम है जिसके तहत उर्दू के अज़ीम कहानीकारों की नुमाइन्दा कहानियाँ देवनागरी में संकलित की रही हैं| प्रस्तुत किताब 'रेख़्ता कथा साहित्य’ सिलसिले के तहत प्रकाशित मश्हूर कहानीकार राजिंदर सिंह बेदी की चुनिन्दा उर्दू कहानियों का संकलन है जिसे पाठकों के लिए देवनागरी लिपि में प्रस्तुत किया जा रहा है|

About Author

प्रेमचंद के बा’द उर्दू कहानी को नया दिल और दिमाग़ और नई ज़बान देने वाले कहानीकारों में शामिल राजिंदर सिंह बेदी 1 सितंबर, 1915 को लाहौर (पाकिस्तान) में पैदा हुए। लाहौर में पढ़ाई का सिलसिला जारी था कि हालत से मज्बूर होकर पढ़ाई छोड़ी और डाक-ख़ाने में नौकरी कर ली। लिखना उन्होंने कॉलेज के ज़माने से ही शुरूअ’ कर दिया जिससे वो बहुत जल्द कहानीकार के तौर पर स्थापित हो गए। उनका पहला कहानी-संग्रह ‘दान:-ओ-दाम’ 1940 में प्रकाशित हुआ। इसी दौरान उन्हें लाहौर की मश्हूर पत्रिका ‘अदब-ए-लतीफ़’ का संपादक बना दिया गया। 1943 में डाक-ख़ाने की नौकरी छोड़कर लाहौर रेडियो स्टेशन में स्क्रिप्ट राइटर का काम करने लगे। 1947 में विभाजन के कारण लाहौर छोड़ना पड़ा और कुछ दिन इधर-उधर रहने के बा’द जम्मू रेडियो स्टेशन के डायरेक्टर हो गए। लेकिन यहाँ वो बहुत दिन नहीं रह पाए और जल्द ही मुम्बई चले गए और वहीं के हो रहे।

बेदी साहब मुम्बई में साहित्य-साधना के साथ-साथ फ़िल्मों की दुनिया से भी जुड़े रहे जहाँ उन्होंने बहुत सी फ़िल्मों के लिए कहानियाँ, पटकथाएँ और संवाद लिखे और कई फ़िल्मों के निर्देशक और निर्माता रहे। उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार के अ’लावा तीन फ़िल्मफ़ेयर अवार्ड भी हासिल हुए। 11 नवम्बर, 1984 को मुम्बई में उन्होंने आख़िरी साँस ली।

Shipping & Return
  • Sabr– Your order is usually dispatched within 24 hours of placing the order.
  • Raftaar– We offer express delivery, typically arriving in 2-5 days. Please keep your phone reachable.
  • Sukoon– Easy returns and replacements within 7 days.
  • Dastoor– COD and shipping charges may apply to certain items.

Offers & Coupons

Use code FIRSTORDER to get 10% off your first order.


Use code REKHTA10 to get a discount of 10% on your next Order.


You can also Earn up to 20% Cashback with POP Coins and redeem it in your future orders.

Read Sample

Customer Reviews

Based on 2 reviews
100%
(2)
0%
(0)
0%
(0)
0%
(0)
0%
(0)
h
hamid
Numaainda Kahaaniyaan Rajinder Singh Bedi

Nice

j
jairam
Numaainda Kahaaniyaan Rajinder Singh Bedi

Numaainda Kahaaniyaan" Rajinder Singh Bedi ke pramukh kathakaritva ko prastut karti hai. Is pustak mein Bedi ji ne samvedansheelata aur insaaniyat ke vishay mein gehre rochak kisse prastut kiye hain. Unki kahaaniyaan samay, samaj, aur manushya ki vividhata ko prakat karti hain. Bedi ji ki lekhan shaili sambhavnaon ko vyakt karne mein sahaj aur dilchasp hai. "Numaainda Kahaaniyaan" ek mahatvapurna aur chintanjanak sahityik rachana hai, jo padhne waale ko samajik aur manasik drishti se sochne par pravrit kar sakti hai. mujhe yah bahut pasand aayi.

Related Products

Recently Viewed Products