Naukarshah Hi Nahin…
Item Weight | 206 Grams |
ISBN | 978-9353227098 |
Author | Anil Swarup |
Language | Hindi |
Publisher | Prabhat Prakashan |
Book Type | Hardbound |
Publishing year | 2019 |
Edition | 1 |
Return Policy | 5 days Return and Exchange |

Naukarshah Hi Nahin…
यह पुस्तक एक ऐसे लोकसेवक की संघर्षमय जीवन-यात्रा के बारे में बताती है, जिसने अपने कार्यकाल के दौरान उत्पन्न तमाम राजनीतिक विरोधों के बावजूद सफलता हासिल की थी। अनिल स्वरूप अपनी इस पुस्तक के माध्यम से अपने पाठकों के साथ अपने उन अनुभवों को साझा करते हैं, जिन्होंने उन्हें लोकसेवक के अपने श्रमसाध्य प्रशिक्षण के दौरान एक आकार दिया तथा व्यक्ति एवं व्यवस्था-जनित संकटों का सामना करने की शक्ति भी दी। एक लोकसेवक के रूप में अपने अड़तीस वर्षों के कार्यकाल में उनका सामना अनेक महत्त्वपूर्ण चुनौतियों से हुआ, जिनमें उत्तर प्रदेश के कोयला माफिया, बाबरी ढाँचा विध्वंस के बाद उपजा संकट तथा शिक्षा माफियाओं का सामना भी शामिल था।अनिल स्वरूप के इन संस्मरणों में उनकी श्रमसाध्य पीड़ा और संकट भी शामिल हैं, जिनमें उनकी भूमिका निर्णय लेनेवाले तथा इस व्यवस्था के आंतरिक प्रखर अवलोकनकर्ता की भी रही। वे अपनी सफलताओं और हताशा—सार्वजनिक और वैयक्तिक तौर पर जिन्हें उन्होंने जिया है—का वर्णन बख��बी करते हैं। उनकी प्रखर लेखनी में एक नौकरशाह की प्रबंधकीय कुशलता भी नजर आती है।यह पुस्तक राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर के बहुत से महत्त्वपूर्ण मुद्दों पर अनिल स्वरूप के प्रयासों और उनकी उत्साही संलिप्तता की पराकाष्ठा भी दरशाती है। ये संस्मरण नितांत व्यक्तिगत होने के साथ-साथ उनका यह विश्वास भी स्पष्ट करते हैं कि इससे अन्य लोगों में भी इसी तरह के कार्य करने की प्रेरणा जाग्रत् हो।''यह पुस्तक ईमानदारी और लगन के साथ एक ऐसे व्यक्ति ने लिखी है, जिसने जीवन भर संवेदनहीन व्यवस्था में काम किया। मैं तहे दिल से इसे पढ़ने की सलाह देता हूँ।''—गुरचरण दास, लेखक और स्तंभकार''काफी समय से हम एक नौकरशाह से शासन में प्रभावी नएपन के विषय में सुनना चाहते थे। यह उस उम्मीद को विश्वसनीय रूप से पूरा करती है।''—प्रभात कुमार, पूर्व कैबिनेट सचिव और पूर्व राज्यपाल, झारखंड''यह पुस्तक शासन में उनके कौशल का सटीक वर्णन करती है कि किस प्रकार उन्होंने सांप्रदायिक तनाव को शांत करना, पर्यावरण संबंधी स्वीकृतियों में 'अंधाधुंध कमाई' का पर्दाफाश करना सीखा।''—शेखर गुप्ता, संस्थापक संपादक, द प्रिंट और पूर्व एडिटर इन चीफ, द इंडियन एक्सप्रेस''यह तमाम तरह के अनुभवों से भरे जीवन की हैरान करने वाली सच्ची कहानी है—सभी को जरूर पढ़ना चाहिए।''—तरुण दास, मेंटर, सीआईआई''तारीफ करने में दिलदार और आलोचना में धारदार, स्वरूप हमें भारतीय प्रशासन की पेचीदा दुनिया की अंदरूनी सच्चाई दिखाते हैं।''—डॉ अंबरीश मिट्ठल, पद्म भूषण, विख्यात एंडोक्राइनोलॉजिस्ट ''सिविल सेवा में आने वाले नए लोगों को यह किताब जरूर पढ़नी चाहिए, क्योंकि लेखक ने नौकरशाही की प्रकृति और उसकी भावना की एक नई परिभाषा दी है।''—योगेंद्र नारायण, पूर्व मुख्य सचिव, उत्तर प्रदेश और पूर्व महासचिव, लोक सभा''बेहद दिलचस्प...''—परमेश्वरन अय्यर, सचिव, ग्रामीण स्वच्छता (स्वच्छ भारत), भारत सरकार____________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________अनुक्रमपुस्तक के बारे में कुछ टिप्पणियाँ —Pgs. 7भूमिका —Pgs. 13प्रस्तावना —Pgs. 15• शुरुआती वर्ष —Pgs. 21पुलिस अकादमी : बेचैनी भरे दिन और बिना नींद की रातें —Pgs. 25प्रशासन की राष्ट्रीय अकादमी : आनंददायक अनुभव —Pgs. 27ताश का खेल : जिसने मेरी दुनिया बदल दी —Pgs. 29सत्य की तलाश —Pgs. 31• विशेष प्रकार की प्रबंधकीय कुशलता —Pgs. 33शिक्षा, जो प्रबंधकीय स्कूलों में नहीं मिलती —Pgs. 35यस, चीफ मिनिस्टर —Pgs. 37उद्योग बंधु : सहूलियत देनेवाले का कार्य —Pgs. 39द पिकअप की कहानी : डूबते जहाज को बचाना —Pgs. 41दो गलत मिलकर एक सही नहीं होते —Pgs. 45चमगादड़ों और चूहों के साथ यात्रा —Pgs. 47• 6 दिसंबर, 1992 : एक विध्वंस —Pgs. 51• निर्धन से निर्धनतम की सेवा —Pgs. 57स्वास्थ्य बीमा —Pgs. 59इसकी शुरुआत कैसे हुई —Pgs. 61आर.एस.बी.वाई. का बीजारोपण —Pgs. 63त्रुटिपूर्ण आँकड़े —Pgs. 64संकल्पनात्मक संरचना और मानकों का उदय —Pgs. 65शुरुआती प्रतिक्रिया —Pgs. 69अंतरराष्ट्रीय एजेंसियाँ : आर.एस.बी.वाई. अति आभारी है —Pgs. 73आर.एस.बी.वाई. की सफलता के सहायक —Pgs. 75श्रम मंत्रालय अपने आप में एक चुनौती था —Pgs. 78आर.एस.बी.वाई. के पीछे के बड़े नाम —Pgs. 81अन्य केंद्रीय मंत्रालयों की संलिप्तता : विश्वास और अविश्वास का खेल —Pgs. 83आर.एस.बी.वाई. अभी भी जारी थी —Pgs. 86बीमा के लोग : महत्त्वपूर्ण व्यक्ति —Pgs. 87अस्पताल : निवेशकों के लिए एक बड़ा अवसर —Pgs. 90आर.एस.बी.वाई. का विपणन : केंद्रीय सरकार के सामने बड़ी चुनौती —Pgs. 92राज्यों का तैयार होना : कठिन कार्य —Pgs. 95कस्बे में आर.एस.बी.वाई. 102आर.एस.बी.वाई. के पीछे की प्रेरणा : मेरे दिल की गहराई से —Pgs. 104लाभार्थी की दुआ : अब तक का सबसे बड़ा पुरस्कार —Pgs. 105त्रुटिपूर्ण गणना : फिर भी पंजाब ने इसका स्वागत किया —Pgs. 106पहला कार्ड : हरियाणा को टिकट मिला —Pgs. 108मुख्यमंत्री का दखल : आर.एस.बी.वाई. सभी जिलों में लागू हुआ —Pgs. 109'गृह' बुला रहा था : मैंने 'श्रम' में रहने को प्राथमिकता दी —Pgs. 111पाकिस्तान ने आर.एस.बी.वाई. का स्वागत किया : कश्मीर समस्या का समाधान न हो सका —Pgs. 112पुरस्कार मिला, मगर नहीं भी मिला : अनुमति नहीं मिली —Pgs. 114• मानवोचित कथाएँ —Pgs. 115वह नवयुवक —Pgs. 117जिस दिन मुझे 'भारत रत्न' मिला —Pgs. 120• अति धनाढ्यों की सेवा —Pgs. 123आकलनकर्ता दल का प्रमुख : 'धनिकों' की सेवा —Pgs. 125अवांछित...कम-से-कम शुरुआत में —Pgs. 127पी.एम.जी....जारी रही —Pgs. 129'कर', जो कि हटाया जा सकता था —Pgs. 132• कोयला समस्या —Pgs. 135कार्य की शुरुआत और सफलता —Pgs. 137'मि. स्वरूप, क्या ऐसा ही है?' —Pgs. 139राय साहब —Pgs. 141कोल ब्लॉक आवंटन...अँधेरे से उजाले की ओर —Pgs. 143कोयले की रियल स्टोरी —Pgs. 146सी.ए.जी. के रूप में क्या विनोद की 'राय' गलत थी? —Pgs. 150चाय की प्याली के तूफान ने सूनामी पैदा की —Pgs. 155मशहूर होने की चाहत —Pgs. 157• स्कूली शिक्षा का चौंधियाता प्रकाश —Pgs. 161एक स्वाँग, जिसे 'संतुलन' कहा गया —Pgs. 165बेईमान शिक्षकों को पढ़ा रहे थे —Pgs. 169शिक्षा के अधिकार का कानून : क्या इसने अपना उद्देश्य हासिल किया? —Pgs. 174जम्मू-कश्मीर समस्या सुधारने में शिक्षा एक उपकरण —Pgs. 177पाश्तेपदा में डिजिटल क्रांति —Pgs. 181कोई भी खबर बुरी खबर है...या फिर वे उसे ऐसा ही पेश करेंगे —Pgs. 184शिक्षा के क्षेत्र के साथ क्या गलत हुआ? क्या इसका कोई उपाय है? —Pgs. 186• सहकर्मियों का बहुमूल्य साथ —Pgs. 191सही का समर्थन —Pgs. 193एक अन्य पुरस्कार —Pgs. 194श्री हरीश चंद्र गुप्ता का साथ देने का निर्णय —Pgs. 196सी.बी.एस.ई. के प्रश्न-पत्र चोरी से बाहर आए —Pgs. 198• इस्लामाबाद की उड़ान : पास होते हुए भी काफी दूर —Pgs. 205• यदि मैं पुनः जन्म लेता हूँ... —Pgs. 211
- Sabr– Your order is usually dispatched within 24 hours of placing the order.
- Raftaar– We offer express delivery, typically arriving in 2-5 days. Please keep your phone reachable.
- Sukoon– Easy returns and replacements within 5 days.
- Dastoor– COD and shipping charges may apply to certain items.
Use code FIRSTORDER to get 5% off your first order.
You can also Earn up to 10% Cashback with POP Coins and redeem it in your future orders.