Namak Ka Daroga
Item Weight | 0.2 |
ISBN | 9789348409133 |
Author | Premchand |
Language | Hindi |
Publisher | Ananya Prakashan |
Pages | 160 |
Dimensions | 23X14X2 |
Publishing year | 2025 |
Edition | 2025 |

Namak Ka Daroga
About Author
प्रेमचंद: कलम का जादूगर, समाज का दर्पण (जन्म: 31 जुलाई 1880 - देहांत 8 अक्टूबर 1936) मुंशी प्रेमचंद, हिंदी साहित्य के एक ऐसे रत्न थे जिनकी चमक आज भी उतनी ही तीव्र है जितनी पहले थी। वे सिर्फ एक लेखक ही नहीं थे, बल्कि एक समाज सुधारक, एक दृष्टा और एक कलम का जादूगर भी थे। समाज का आइना प्रेमचंद की रचनाएं भारतीय समाज का एक सच्चा आईना हैं। उन्होंने अपनी कलम से समाज के कोने-कोने तक पहुंचकर उस समय की सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक स्थितियों को बड़ी बारीकी से उजागर किया। उनकी कहानियां और उपन्यास ग्रामीण जीवन, जातिवाद, महिलाओं की स्थिति, सामाजिक न्याय जैसे मुद्दों पर गहराई से विचार करते हैं। साहित्यिक योगदान प्रेमचंद ने हिंदी साहित्य को अनेक अमर रचनाएं दीं। 'गोदान', 'कर्मभूमि', 'रंगभूमि', 'कफन', 'पूस की रात', 'सद्गति', 'पंच परमेश्वर', 'हीरा मोती', 'ठाकुर का कुआं' जैसी उनकी रचनाएं विश्व साहित्य में भी अत्यंत लोकप्रिय हैं। उनकी भाषा सरल और प्रभावशाली थी, जो आम लोगों तक आसानी से पहुंच पाती थी। समाज सुधारक प्रेमचंद सिर्फ एक लेखक ही नहीं, बल्कि एक समाज सुधारक भी थे। उन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम
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