Mritunjaya Bhagat Singh
Author | Rajshekhar Vyas |
Language | Hindi |
Publisher | Prabhat Prakashan Pvt Ltd |
ISBN | 978-9383110575 |
Book Type | Hardbound |
Item Weight | 0.312 kg |
Edition | 1st |
Mritunjaya Bhagat Singh
'आजादी के मायने यह नहीं होते कि सत्ता गोरे हाथों से काले हाथों में आ जाए, यह तो सत्ता का हस्तांतरण हुआ। असली आजादी तो तब आएगी जब वह आदमी, जो खेतों में अन्न उपजाता है, भूखा नहीं सोए; वह आदमी, जो कपड़े बुनता है, नंगा नहीं रहे; वह आदमी, जो मकान बनाता है, स्वयं बेघर नहीं रहे।'—ऐसे विचारोत्तेजक उद्गार थे अमर शहीद सरदार भगतसिंह के।उनका मानना था कि क्रांति तो विचारों की सान पर तेज होती है। मनुष्य द्वारा मनुष्य के शोषण के खिलाफ खड़ा वह क्रांतिद्रष्टा, जो फाँसी के फंदे को ही विचार का मंच मानता था—भारत का मार्क्स और लेनिन—अपने समकालीन सभी विचारकों से सोच में आगे था और अन्याय, अत्याचार, शोषण, राजनीति एवं धर्म के पाखंड पर प्रहार करनेवाला महान् क्रांतिकारी विचारक था।सरदार भगतसिंह के अनछुए पहलू, विचार और चिंतन पर विद्रोही लेखक राजशेखर व्यास की पैनी कलम से नि:सृत है।—'मृत्युंजय भगतसिंह'।'अगर मैं ईश्वर को मानता तोभगतसिंह की पूजा करता।उनकी भविष्यवाणियाँ अबसत्य सिद्ध हो रही हैं।”—शिव वर्मा
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