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Mridula Sinha Ki Lokpriya Kahaniyan
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मिलनेवाला प्रत्येक व्यक्ति व परिवार, जीवंत होनेवाली सारी परिस्थितियाँ और सामने से गुजरने वाले सभी प्राकृतिक दृश्य साहित्यकार की लेखनी से निःसृत होने के लिए अकुलाते रहते हैं। लेखक के मानस स्थित कथानकों और लेखनी में प्रतियोगिताएँ चलती ही रहती हैं। 'पहले मैं' तो 'पहले मैं' की स्थिति में सभी कथानक। मानस कितने कथानकों को सहेजता है, लेखनी कितनों को कागज पर उतारती है। लगभग चालीस दशकों से देश-विदेश के सघन दौरों के दौरान सहस्रों से मिलना हुआ। देश के चप्पे-चप्पे और व्यक्तियों में साहित्य के विषय बनने की ऊर्जा है। सुदूर सूखी नदी किनारे बसा एक गाँव, नदी के साथ बिसूर रहा है तो छलछल बहती नदियों और उफनते समुद्र के किनारे बसे सहस्र गाँव अपनी जीवंतता की कहानी कह गए। कहीं फसलों से लहलहाते खेत, मेंड़ पर खड़ा हुलसता-निहारता किसान, तो कहीं आकाश की ओर वर्षा की बूँदों के लिए आँखें टिकाए अपने दरारोंदार खेत की मेंड़ पर फटी धोती में खड़ा किसान। जल, थल, नभ पर पाँव रखने के लिए भागती बेटियाँ। उसकी उपलब्धियों से गद्गद पिता। परिवार की टूटन से बिखरे दाने चुनते दंपती। अपनी विकलांगता को नकारता पुरुषार्थ। लक्ष्मी को अपने घर में झुलाते, कहीं आकाश तक पहुँचते तो कहीं धरती पकड़े रह जाते लोग। सब ओर विषमताएँ, सब ओर समताएँ भी।प्रख्यात लेखिका श्रीमती मृदुला सिन्हा की कहानियों का यही मूल स्वर है। इस संकलन में उनकी लोकप्रियता के प्रतिमान गढ़ती कहानियाँ संकलित हैं।________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________अनुक्रमकथा की अंतर्कथा — Pgs. 51. उधार का सूरज — Pgs. 132. और उसी क्षण — Pgs. 273. एक दीये की दीवाली — Pgs. 384. अचार का घड़ा — Pgs. 445. घर का वैरागी — Pgs. 516. जब-जब होहिं धरम कै हानि — Pgs. 627. मुसाफिर काकी — Pgs. 738. स्पर्श की तासीर — Pgs. 809. शीशा फुआ — Pgs. 8610. दत्तक पिता — Pgs. 9411. अनावरण — Pgs. 10512. औलाद के निकाह पर — Pgs. 11413. बेनाम रिश्ता — Pgs. 12514. कटे हाथ में हथियार — Pgs. 13315. सहस्रपूतों वाली — Pgs. 14616. रद्दी की वापसी — Pgs. 15517. टिफिन बॉक्स — Pgs. 16518. विलमता बिलगाव — Pgs. 172
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