Mashhoor Shayaron kee Pratinidhi Shayari Momin Khan Momin
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Item Weight | 130g |
ISBN | 978-9395565028 |
Author | Momin Khan Momin |
Language | Hindi |
Publisher | Prabhakar Prakashan |
Pages | 128 |
Book Type | Paperback |
Dimensions | 19.69 x 12.7 x 0.75 cm |
Publishing year | 2020 |
Edition | 1st |

Mashhoor Shayaron kee Pratinidhi Shayari Momin Khan Momin
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"है दिल में बार उसके घर अपना न करें
हम खाक में मिलने की तमन्ना न करेंगे तौबा है कि हम इश्क़ बुतों का त करेंगे
वो करते हैं अब जो व किया था, न करेंगे
मोमित खाँ मोमित की जिन्दनी और शायरी पर दो बीजों वे गहरा प्रभाव डाला। एक इनकी रंगीन मिज़ाजी और दूसरी इनकी धार्मिकता परन्तु इनकी जिन्दगी का सबसे रोवक हिस्सा इनके प्रेम-प्रसंगों से ही है। मोहब्बत जिन्दगी का तकाजा बनकर बार-बार इनके दिलो-दिमाग़ को प्रभावित करती रही। इनकी शायरी पढ़कर मालूम होता है कि शायर किसी ख़्याली नहीं बल्कि एक जीती-जागती महबूबा के इश्क में गिरफ्तार है। मोमित की महबूबाओं में से एक थी- उम्मत-उल-फातिमा, जिनका तबकुस ""साहिब जी "" था मौसूफा पूरब की पेशेवर तवायफ थीं जो उपचार के लिए दिल्ली आयीं थीं। मोमिन हकीम थे परन्तु उनकी नब्ज़ देखते ही खुद बीमार हो गये। कई प्रेम-प्रसंग मोमिन के अस्थिर प्रवृति का भी पता देते हैं।
मौत से कुछ वर्ष पहले ये आशिकी से अपन हो गये थे। 1851 कुछ ई. में ये कोठे से गिर कर बुरी तरह घायल हो गये थे और पाँच-छह माह बाद इनका निधन हो गया।
- इसी किताब से
हम खाक में मिलने की तमन्ना न करेंगे तौबा है कि हम इश्क़ बुतों का त करेंगे
वो करते हैं अब जो व किया था, न करेंगे
मोमित खाँ मोमित की जिन्दनी और शायरी पर दो बीजों वे गहरा प्रभाव डाला। एक इनकी रंगीन मिज़ाजी और दूसरी इनकी धार्मिकता परन्तु इनकी जिन्दगी का सबसे रोवक हिस्सा इनके प्रेम-प्रसंगों से ही है। मोहब्बत जिन्दगी का तकाजा बनकर बार-बार इनके दिलो-दिमाग़ को प्रभावित करती रही। इनकी शायरी पढ़कर मालूम होता है कि शायर किसी ख़्याली नहीं बल्कि एक जीती-जागती महबूबा के इश्क में गिरफ्तार है। मोमित की महबूबाओं में से एक थी- उम्मत-उल-फातिमा, जिनका तबकुस ""साहिब जी "" था मौसूफा पूरब की पेशेवर तवायफ थीं जो उपचार के लिए दिल्ली आयीं थीं। मोमिन हकीम थे परन्तु उनकी नब्ज़ देखते ही खुद बीमार हो गये। कई प्रेम-प्रसंग मोमिन के अस्थिर प्रवृति का भी पता देते हैं।
मौत से कुछ वर्ष पहले ये आशिकी से अपन हो गये थे। 1851 कुछ ई. में ये कोठे से गिर कर बुरी तरह घायल हो गये थे और पाँच-छह माह बाद इनका निधन हो गया।
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