MAIN ZINDAGI KA SAATH NIBHATA CHALA GAYA (AUTOBIOGRAPHY)
Language | Hindi |
Publisher | Bodhi Prakashan |
Pages | - |
ISBN | NA |
Item Weight | 0.4 kg |
Dimensions | NA |
Edition | 1st |
MAIN ZINDAGI KA SAATH NIBHATA CHALA GAYA (AUTOBIOGRAPHY)
अतीत चाहे जैसा भी हो, उसकी स्मृतियाँ सुखद होती हैं। यादों के स्पर्श बड़े अजीब होते हैं, कोई पास ना हो फिर भी ये करीब होते हैं। लोग आत्म कथाएं क्यों लिखते हैं? आमतौर से सफल तथा प्रसिद्धि प्राप्त गणमान्य लोग ऐसा उपक्रम करते हैं या उनके चाहने वाले उनके जीवन दर्शन से प्रभावित हो उनकी ओर से इस दिशा में प्रवृत्त होते हैं, ताकि उनका जीवन और घटनाएं लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनें। लेकिन अधिकांश लोग सामान्य जीवन जीते हैं, जीवन की आपा-धापी से संघर्ष करते हुए। ऐसे लोगों की जीवन गाथा में सामान्य बातें ही होती हैं। कुछ रोमांचित या पुलकित करने वाला जैसा कुछ नहीं होता, और यदि जीवन कथा में काल्पनिक घटनाओं को पिरो दिया जाय तो वे मात्र कहानी बनकर रह जाती हैं या व्यक्ति प्रधान कथ्य अथवा आत्म कथात्मक औपन्यासिक कृति। आत्मकथाएं अपने आप को लेखक या साहित्यकार सिद्ध करने या पीड़ा की अभिव्यक्ति या उसका महिमा-मंडन करना भी आत्मकथा का लक्ष्य नहीं होता। सामान्य आदमी कठिन परिस्थितियों में जो संघर्ष करता है और इस दौरान जो अनुभव बटोरता है उन अनुभवों को बांटना ही मेरे विचार से आत्म कथा का लक्ष्य होता है। -श्यामलाल गौड़
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