Main Mahaveer Bol Raha hoon
Item Weight | 200 Grams |
ISBN | 978-9386001412 |
Author | Dulichand Jain |
Language | Hindi |
Publisher | Prabhat Prakashan |
Book Type | Hardbound |
Publishing year | 2020 |
Edition | 1 |
Return Policy | 5 days Return and Exchange |

Main Mahaveer Bol Raha hoon
संसार के सर्वश्रेष्ठ महापुरुषों में भगवान् महावीर का नाम बड़े सम्मान के साथ लिया जाता है। भगवान् महावीर थे अहिंसा के सर्वोच्च प्रवक्ता, एक युगपुरुष, एक ऐसे युगद्रष्टा थे, जिन्होंने मानव कल्याण हेतु अपना जीवन समर्पित कर दिया।महावीर जैन धर्म में वर्तमान अवसर्पिणी काल के चौबीसवें तीर्थंकर हैं। भगवान् महावीर का जन्म करीब ढाई हजार साल पहले वैशाली के गणतंत्र राज्य क्षत्रिय कुंडलपुर में हुआ था। महावीर को 'वर्धमान', 'वीर', 'अतिवीर' और 'सन्मति' भी कहा जाता है।तीस वर्ष की आयु में गृह त्याग करके, उन्होंने एक लँगोटी तक का परिग्रह रखा। हिंसा, पशुबलि, जात-पाँत का भेदभाव जिस युग में बढ़ गया, उसी युग में भगवान् महावीर का जन्म हुआ। उन्होंने दुनिया को सत्य व अहिंसा का पाठ पढ़ाया। तीर्थंकर महावीर स्वामी ने अहिंसा को उच्चतम नैतिक गुण बताया। उन्होंने दुनिया को जैन धर्म के पंचशील सिद्धांत बताए, जो हैं—अहिंसा, सत्य, अपरिग्रह, अचौर्य (अस्तेय) और ब्रह्मचर्य। भगवान् महा��ीर ने अपने उपदेशों और प्रवचनों के माध्यम से दुनिया को सही राह दिखाई और मार्गदर्शन किया।भगवान् महावीर के अनमोल वचन न केवल प्रेरक हैं, अपितु मानव मात्र के लिए अनुकरणीय भी हैं। विचारों की ऐसी रत्न-मंजूषा है यह पुस्तक, जो पाठकों के जीवन-पथ को आलोकित कर देगी।______________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________अनुक्रम38. श्रावक (गृहस्थ) धर्म — 100भगवान् महावीर का जीवन और संदेश — 939. अहिंसा — 102मैं महावीर बोल रहा हूँ40. सत्य — 1041. आत्मा — 2541. अस्तेय (अचौर्य) — 1052. आत्म (जीव) तव — 2742. ब्रह्मचर्य — 1073. आत्मालोचन — 2843. अपरिग्रह — 1104. आत्मसंयम — 3045. तप — 1125. आत्म-विजय — 3145. क्षमा — 115ज्ञान और चारित्र46. समभाव — 1166. सम्यग्दर्शन — 3447. अनासति — 1187. सम्यग्ज्ञान — 3848. आर्जव-धर्म — 1198. सम्यक्-चारित्र — 4049. मृदुता — 1219. चार उाम (दुर्लभ) संयोग — 4350. आकिंचन्य-धर्म — 12210. मोक्षमार्ग — 4551. दान — 122तवज्ञानध्यान-सूत्र11. तवज्ञान — 4752. ध्यान — 124कषाय-विजय53. सामायिक — 12612. क्रोध — 5054. स्वाध्याय — 12813. दंभ — 52शिक्षा के सूत्र14. मोह — 5355. शिक्षा — 13015. माया — 5456. विनय — 13116. तृष्णा — 5557. विवेक — 13317. मिथ्यात्व — 5658. सहिष्णुता — 13418. परिग्रह — 5859. वाणी विवेक — 13519. रागद्वेष — 5960. अप्रमाद — 13820. चार कषाय — 6161. अभय — 140मनोनिग्रह62. आहार-विवेक — 14221. मन — 6463. सत्संग — 143कर्म सूत्र64. सदाचार — 14522. कर्म-सूत्र — 67विविध पदभावना (अनुप्रेक्षा) सूत्र65. चतुर्भङ्गी — 14723. भावना-योग — 7266. दृष्टांत — 14924. अनित्य-भावना — 7367. सूति-कण — 15025. अशरण भावना — 7568. अंतिम उपदेश — 15526. संसार-भावना — 7669. जिनवाणी का सार — 15727. एकत्व भावना — 78उाराध्ययन सूत्र से दृष्टांत और कथाएँ28. अन्यत्व-भावना — 801. कपिल केवली — 15829. अशुचि भावना — 812. नमिराजर्षि — 15930. आस्रव-भावना — 813. द्रुमपत्रक — 15931. संवर भावना — 834. इषुकारीय — 16032. निर्जरा-भावना — 855. संजयीय — 16133. दुर्लभबोधि भावना — 866. महानिर्ग्रंथ — 16134. धर्म-भावना — 877. अरिष्टनेमी — 162धर्म-मार्ग (आचार संहिता)8. रथनेमी — 16335. धर्म — 909. केशि-गौतमीय — 16336. श्रमण धर्म — 9310. हरिकेशी मुनि — 16437. श्रमण कौन? — 98शास्त्रों की संकेत-सूची — 166
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