Main Aavaz Hoon
| Item Weight | 400 Grams |
| ISBN | 818-8266876 |
| Author | Kusum Veer |
| Language | Hindi |
| Publisher | Prabhat Prakashan |
| Book Type | Hardbound |
| Publishing year | 2010 |
| Edition | 1st |
| Return Policy | 5 days Return and Exchange |
Main Aavaz Hoon
कुसुम वीर की कविताएँ बहुत कुछ कहती हैं । जीवन से जुड़े अनेक संघर्ष और अनुभव उनकी कविताओं में झलकते हैं । सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण चुनौती तो अभिव्यक्ति की है, जिसे उन्होंने अपनी कविता ' मैं आवाज़ हूँ ' के माध्यम से सुदृढ़ आत्मविश्वास के साथ व्यक्त किया है । कवयित्री समाज की उन शक्तियों के सामने झुकने को तैयार नहीं । दमन और अन्याय के खिलाफ़ उसकी आवाज़ बुलंद है और रहेगी, ताकि बाधाओं और अंधविश्वास की दीवारें गिराई जा सकें । कवयित्री का साहस अदम्य है और आत्मविश्वास अपराजेय । ये कविताएँ जीवन की ऊहापोह से गुजरते हुए एक निश्छल मन की अभिव्यक्तियाँ हैं । इन कविताओं में भावनाएँ विचार, रुचियाँ-उनका समूचा व्यक्तित्व परिलक्षित होता है । जैसे मनुष्य के व्यक्तित्व के अनेक पहलू होते हैं, कुसुम वीर की कविताओं के भी कई रंग हैं । एक ओर सामाजिक-सांस्कृतिक परिवेश की जकड़न का गहरा अहसास है, वहीं मन की कोमलतम संवेदनाओं को भी ये कविताएँ उजागर करती हैं । इन कविताओं का एक अहम विषय है सामाजिक एवं राजनीतिक परिवेश की विसंगतियाँ । भारत की गौरवमयी सांस्कृतिक विरासत के बावजूद वर्तमान समाज में बहुत सी बातें असहनीय हैं । उनके विरोध में कवयित्री के मन का आक्रोश कई कविताओं में मुखर हुआ है । और भी बहुत-कुछ कहा जा सकता है कुसुम वीर की कविताओं के बारे में, उनकी संभ��वनाओं के बारे में । परंतु बेहतर यह है कि पाठक सीधे कविताओं मे हो सुनें कि वे क्या कहती हैं!
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