Lokpriya Shayar Aur Unki Shayari - Akbar Allahabadi
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Author | Prakash Pandit |
Language | Hindi |
Publisher | Rajpal and Sons |
Pages | 112 Pages |
ISBN | 978-9393267078 |
Item Weight | 0.123 kg |
Dimensions | 21.59 x 13.97 x 0.71 cm |
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इस अत्यंत लोकप्रिय पुस्तक–माला की शुरुआत 1960 के दशक में हुई जब पहली बार नागरी लिपि में उर्दू की चुनी हुई शायरी के संकलन प्रकाशित कर राजपाल एण्ड सन्ज़ ने हिन्दी पाठकों को उर्दू शायरी का लुत्फ़ उठाने का अवसर प्रदान किया। श्रृंखला की हर पुस्तक में शायर के संपूर्ण लेखन में से बेहतरीन शायरी का चयन है और पाठकों की सुविधा के लिए कठिन शब्दों के अर्थ भी दिये हैं और साथ ही हर शायर के जीवन और लेखन पर रोचक भूमिका भी है।
आज तक इस पुस्तक–माला के अनगिनत संस्करण छप चुके हैं। अब इसे एक नई साज–सज्जा में प्रस्तुत किया जा रहा है।
अकबर इलाहाबादी (16 नवंबर 1846 – 9 सितंबर 1921) का पूरा नाम था सईद अकबर हुसैन और उनका जन्म इलाहाबाद से थोड़ी दूरी पर स्थित बारा नामक छोटे से कस्बे में हुआ था। स्कूली तालीम पूरी कर अकबर ने भारतीय रेलवे में नौकरी शुरू की। नौकरी के साथ उन्होंने पढ़ाई जारी रखी और बैरिस्टर बन गये। आगे जाकर सेशन कोर्ट में जज भी नियुक्त हुए। अंग्रेज़ी हुकूमत की नौकरी करते हुए भी उनकी शायरी चलती रही। उनके कई शे’र अंग्रेज़ों के खिलाफ़ इस बात का सबूत हैं कि वे कितने निर्भीक शायर थे। ग़ज़ल, मस्नवी, क़त्आ और रुबाई, सभी विधाओं में उन्होंने शायरी की और शौहरत कमाई। विशेषकर वे प्रशासन और समाज की सच्चाई को अपनी व्यंग्य–भरी तीखी शायरी के माध्यम से उजागर करने के लिए याद किए जाते हैं ।
आज तक इस पुस्तक–माला के अनगिनत संस्करण छप चुके हैं। अब इसे एक नई साज–सज्जा में प्रस्तुत किया जा रहा है।
अकबर इलाहाबादी (16 नवंबर 1846 – 9 सितंबर 1921) का पूरा नाम था सईद अकबर हुसैन और उनका जन्म इलाहाबाद से थोड़ी दूरी पर स्थित बारा नामक छोटे से कस्बे में हुआ था। स्कूली तालीम पूरी कर अकबर ने भारतीय रेलवे में नौकरी शुरू की। नौकरी के साथ उन्होंने पढ़ाई जारी रखी और बैरिस्टर बन गये। आगे जाकर सेशन कोर्ट में जज भी नियुक्त हुए। अंग्रेज़ी हुकूमत की नौकरी करते हुए भी उनकी शायरी चलती रही। उनके कई शे’र अंग्रेज़ों के खिलाफ़ इस बात का सबूत हैं कि वे कितने निर्भीक शायर थे। ग़ज़ल, मस्नवी, क़त्आ और रुबाई, सभी विधाओं में उन्होंने शायरी की और शौहरत कमाई। विशेषकर वे प्रशासन और समाज की सच्चाई को अपनी व्यंग्य–भरी तीखी शायरी के माध्यम से उजागर करने के लिए याद किए जाते हैं ।
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