Kasmai Devay
Item Weight | 200 Grams |
ISBN | 978-9383111619 |
Author | Arun Mishr |
Language | Hindi |
Publisher | Prabhat Prakashan |
Book Type | Hardbound |
Publishing year | 2015 |
Edition | 1st |
Return Policy | 5 days Return and Exchange |

Kasmai Devay
''...हमारे कवियों की कविता से प्रकृति के विविध अवयव धीरे-धीरे गायब हो गए हैं। ऐसे समय में मिश्रजी की कविताएँ सुखद अनुभूति प्रदान करती हैं। उनके पास भाषा, शिल्प और शब्दों का अद्भुत भंडार है।''''श्री मिश्र प्रकृति से गहराई से जुड़े हैं, वे काव्य सृजन के लिए बार-बार प्रकृति के पास जाते हैं। प्रकृति उनके साथ पूरा सहयोग भी करती है। वे लोप होती हुई संवेदनाओं के कवि हैं।''—प्रो. कुँवर पाल सिंह_____________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________अनुक्रमआभार — Pgs. 7आत्मनिवेदन — Pgs. 9प्रथम खंड : कस्मै देवाय हविषा विधेम1. विनवहुँ मातु सरस्वति! — Pgs. 192. हे! हिरण्यगर्भा धरती माँ — Pgs. 203. द्यौ ऊर्जा का उत्स — Pgs. 224. शक्ति-रूपा अग्नि! — Pgs. 245. बनकर सोम छलकता है रस — Pgs. 276. रंग आँखों को लुभाते — Pgs. 297. झर रहे निर्झर सुरीले — Pgs. 318. कस्मै देवाय हविषा विध��म — Pgs. 339. नव-वर्ष — Pgs. 3610. रस-रंग-सिक्त-सुंदर वसंत — Pgs. 3711. फागुन रितु आई रे! — Pgs. 4012. है वसंत जीवन का उत्सव — Pgs. 4213. होली गुझिया की मीठी है इक तश्तरी — Pgs. 4414. रस-उत्सव — Pgs. 4515. क्या खूब साँवले हो! — Pgs. 4716. मोहन है, कन्हैया है, नटवर है, श्याम है — Pgs. 4817. रक्षासूत्र — Pgs. 4918. जय रामचंद्र — Pgs. 5119. चंद कंवल तुलसी पे — Pgs. 5220. दिव्य-ज्योति के शत-शत निर्झर — Pgs. 5421. अस्तंगत सूर्य को एक अर्घ्य मेरा भी — Pgs. 5622. गांधीजी ध्रुव-तारे से हैं — Pgs. 5823. गर्वित है छब्बीस जनवरी — Pgs. 5924. जय हे! भारत — Pgs. 6125. अगर अंतर्दृष्टि सुंदर — Pgs. 64द्वितीय खंड : मेरे गीत सहज तुम रहना26. हुई भोर — Pgs. 6927. कवि मन कुल की रीति न छोड़ो — Pgs. 7128. शेष आशा-अमृत अब भी — Pgs. 7329. लगता है ये घन बरसेंगे — Pgs. 7430. मेरे अवसाद के क्षण — Pgs. 7531. मेरे गीत सहज तुम रहना — Pgs. 7632. कितना तो लड़ना पड़ता है — Pgs. 7833. मीत मेरे, संग मेरे चल — Pgs. 8034. साँझ हुई है — Pgs. 8235. प्राची दिशि का दृश्य अनूठा है — Pgs. 8436. मेरा मन केदारनाथ में — Pgs. 86तृतीय खंड : नज़्म37. सौ़गात — Pgs. 9138. चाँद मुबारक — Pgs. 9439. ऐ तिरंगे! — Pgs. 9840. ख्वाबों की रुड़की — Pgs. 99चतुर्थ खंड : भावानुवाद41. रावणकृत शिवतांडवस्तोत्रम् का भावानुवाद — Pgs. 10342. श्रीमद् वल्लभाचार्य कृत मधुराष्टक का भावानुवाद — Pgs. 10743. श्री वाल्मीकि-विरचित गंगाष्टक का भावानुवाद — Pgs. 10944. श्रीमच्छङ्कराचार्य विरचित श्री यमुनाष्टकम् का भावानुवाद — Pgs. 11345. श्रीमद् शंकराचार्यकृत चर्पटपञ्जरिकास्तोत्रम् का भावानुवाद — Pgs. 11546. श्री परमहंस स्वामी ब्रह्मानंद विरचित श्री रामाष्टकका भावानुवाद — Pgs. 118पंचम खंड : विविधा47. देखें कौन उठाता है यह बीड़ा? — Pgs. 12348. सौ वर्ष तक के बच्चों के लिए मीठे जाइकू — Pgs. 13649. प्यारे बच्चे, भूखे बच्चे — Pgs. 13850. होरी कै धूम-धमाल भयो है — Pgs. 14151. भोर और साँझ — Pgs. 142
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