Jeene Ki Raah Ke 125 Sootra
Author | Pt. Vijay Shankar Mehta |
Language | Hindi |
Publisher | Prabhat Prakashan Pvt Ltd |
ISBN | 978-9351868361 |
Book Type | Hardbound |
Item Weight | 0.2 kg |
Jeene Ki Raah Ke 125 Sootra
इस पुस्तक में निरूपित 125 सूत्र आपको 'जीने की राह' दिखा सकते हैं। यह शब्दों में व्यक्त विचार मात्र नहीं, बल्कि मानव जीवन के पूरे दर्शन और परंपराओं का निचोड़ प्रस्तुत करते हैं। वैसे तो किसी भी समस्या को ठीक से समझ लेना ही उसका सबसे बड़ा निदान है। जीने की राह का मतलब ही है कि हर कदम पर समस्या आएगी, लेकिन साथ में समाधान भी लाएगी। कितना ही बड़ा दुःख या परेशानी आए, जीवन रुकना नहीं चाहिए। यह पुस्तक अपने भीतर के आत्मबल को जाग्रत् कर, सेवा, सत्य, परोपकार और अहिंसा आदि जीवनमूल्यों को जगाने की सामर्थ्य रखती है। इसके अध्ययन से सद्प्रवृत्ति विकसित होगी, सद्विचार मुखर होंगे और हम आनंद, संतोष और सार्थक जीवन जी पाएँगे।जीवन को सरल-सहज बनाने के व्यावहारिक सूत्र बताती पठनीय पुस्तक।______________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________अनुक्रम 1. अहिंसा परम धर्म: — 1164. आलोचना से डरें नहीं, प्रशंसा से मोह नहीं — 742. धर्म का मार्ग : सेवा, सत्य, परोपकार और अहिंसा — 1265. जानबूझकर की गई गलती अक्षम्य है — 753. शति-संचार का अवसर हैं नवरात्र — 1366. मन से हट हृदय से जुड़ें — 764. मन को शति देनेवाली है : हनुमानचालीसा — 1467. सबका सम्मान, सबका कल्याण — 775. मौन की शति — 1568. शरीर है परमात्मा तक पहुँचने का साधन — 786. ध्यान से धैर्य उपजता है — 1669. विनम्रता से दुनिया जीत सकते हैं — 797. प्रेम को जीवन का आधार बनाएँ — 1770. बोली में अपनापन रखें — 808. अपने जन्मजात गुण को बचाकर रखें — 1871. असत्य अशांति को निमंत्रण देता है — 819. प्राणायाम से मन की शुद्धि करें — 1972. शिक्षण के साथ संस्कार भी — 8210. परमात्मा रूपी वृक्ष उगाएँ — 2073. ज्ञान बाँटने से बढ़ता है — 8311. प्रयास को परमार्थ में बदलें — 2174. गृहस्थाश्रम है सबसे महान् — 8412. असफलता में ही छिपी है सफलता — 2275. जीवन में कुछ भी स्थायी नहीं — 8513. क्रोध के साथ करुणा भी रखें — 2376. शांति-प्रसन्नता की कोई कीमत नहीं — 8614. बिना समर्पण के सत्संग नहीं — 2477. कर्म और कर्मफल का सुख — 8715. परोपकार भी निष्काम हो — 2578. अहंकार में सुख नहीं — 8816. बच्चों जैसी सरलता धारण करें — 2679. परिवार एक बगिया है — 8917. पहले आँख, फिर प्रकाश खोजें — 2780. बच्चे भगवान् का रूप — 9018. सत्संग को अपने अंदर जाग्रत् करें — 2881. बुद्धि के साथ धैर्य को जोड़ें — 9119. ईर्ष्या सद्प्रवृयों को खा जाती है — 2982. कीचड़ बनें या कमल, आप पर निर्भर — 9220. सबके नाथ हैं जगन्नाथ — 3083. अनाहत को सुनिए — 9321. आंतरिक सुख ही सच्चा सुख — 3184. संस्कार से जुड़ाव, दुराचार से बचाव — 9422. परमात्मा का परम स्थान है हृदय — 3285. सम्यक् बोध से आती है प्रसन्नता — 9523. परम शति पर भरोसा रखें — 3386. संसार में अनुपयोगी कुछ भी नहीं — 9624. भत देना जानता है, लेना नहीं — 3487. अपना आत्मविश्वास बढ़ाएँ — 9725. असफलता का दोष दूसरों पर न मढ़ें — 3588. हर समस्या का निदान संभव — 9826. चिंता अवसाद की जननी है — 3689. व्यति जीवन भर सीखता है — 9927. सुख-दु:ख में एकसमान रहे — 3790. सद्गुरु को जीवन में लाएँ — 10028. प्रभु को हृदय में धारण करें — 3891. भला सोचो, भला करो — 10129. निष्काम कर्मयोगी बनें — 3992. सत्यं-शिवं-सुन्दरम् का रहस्य — 10230. जहाँ श्रद्धा, वहाँ भय कहाँ — 4093. सहमति और विरोध : जीवन के दो पहलू — 10431. जाने से पहले लौटना सीखिए — 4194. गंदगी गंदगी होती है — 10532. आदतों से मुत हो जाएँ — 4295. जो भुलाने लायक है, उसे तुरंत भुला दें — 10633. प्रतिफल को साक्षी भाव से देखें — 4396. प्रभुत्व की प्रतिस्पर्धा खतरनाक है — 10734. सफलता के साथ शांत चि जरूरी — 4497. अहंकारी कभी नहीं झुकता — 10835. आत्मानुशासन परम आवश्यक है — 4598. लोग आपको आपके व्यवहार से ही जानते हैं — 10936. वैराग्य के साथ त्याग भी आता है — 4699. धर्मभीरूता से जरूरी है धर्म-भावना — 11037. सबसे बड़ा बल : आत्मबल — 47100. जिज्ञासा ज्ञान का प्रथम सोपान है — 11138. सुख बेचैन करता है — 48101. धन का दान आवश्यक है — 11239. श्रम के साथ ईमानदारी भी जरूरी — 49102. परमात्मा परमशति है — 11340. बीज वृक्ष से बड़ा नहीं हो सकता — 50103. दु:ख-सुख का चक्र गतिमान रहता है — 11441. चिंतन व चरित्र में समन्वय बनाएँ — 51104. हमारी नीयत दिखाती है हमारी सीरत — 11542. ध्यान से मन की शुद्धि — 52105. गौरव करें भी तो अहंकार-शून्य होगा — 11643. विचारशून्य होना ही है ध्यान — 53106. आलस्य एक महाशत्रु है — 11744. भगवान् को साझीदार बनाइए — 54107. मन ��ो ���ँसुओं से धोएँ — 11845. अच्छी योजना ही सुखद परिणाम देती है — 55108. भटकाव में ध्यान अपनाएँ — 11946. अच्छी बातें जहाँ भी मिलें, अपनाएँ — 56109. सच्चा पुरुषार्थी कौन? — 12047. स्वर्ग-नरक बनाना अपने हाथ है — 57110. संघर्ष से डरें नहीं — 12148. गुरु अच्छा हो और सच्चा भी — 58111. भाव-दशा में जीना सबसे अच्छी पूजा — 12249. जीवन एक खेल है, युद्ध नहीं — 59112. विलासी के लिए धन का या मोल — 12350. जीवन में सत्संग का आनंद लें — 60113. सपने जरूर देखें — 12451. विश्राम को आलस्य में न बदलें — 61114. विलास से आलस्य आता है — 12552. फकीरी एक आचरण है, आवरण नहीं — 62115. आत्मविश्वास है असली संबल — 12653. कर्म में निरंतरता जरूरी है — 63116. परमात्मा से करें आदान-प्रदान — 12754. सहयोग लें, सहयोग दें — 64117. संग्रह की अति से बचें — 12855. क्षमता का दुरुपयोग न करें — 65118. धन पर बाँध बनाएँ — 12956. परिवार में भति एकता लाती है — 66119. परेशानियाँ ज्यादा बड़ी नहीं होतीं — 13057. सफलता को सौंदर्य से भी जोड़ें — 67120. माया को भी समझें — 13158. मुसीबत में पार लगाता है अध्यात्म — 68121. सत्य की प्रतीति मौन से होती है — 13259. संकल्प के बिना कर्म कहाँ — 69122. जीवन और मृत्यु का चक्र — 13360. कल्याण में हित-अनहित दोनों साविक — 70123. संसार में रहना ईश्वरीय कार्य है — 13461. बड़प्पन तो एक दायित्व है — 71124. शालीनता है अनमोल गुण — 13562. मन और हृदय के बीच ध्यान का पुल — 72125. अहिंसा अध्यात्म की आत्मा है — 13663. आज का काम आज ही निपटाएँ — 73
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