Jansankhya Pradushan Aur Paryavaran
Item Weight | 400 Grams |
ISBN | 818-5828229 |
Author | Harish Chandra Vyas |
Language | Hindi |
Publisher | Prabhat Prakashan |
Book Type | Hardbound |
Publishing year | 2010 |
Edition | 1st |
Return Policy | 5 days Return and Exchange |

Jansankhya Pradushan Aur Paryavaran
बिगड़ते पर्यावरण का प्रमुख कारण द्रुतगति से बढ़ती जनसंख्या है, जिसकी प्राथमिक आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं हो पा रही है । इसके लिए आधुनिक विज्ञान एवं तकनीकी का अत्यधिक इस्तेमाल किया जा रहा है जिससे पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है । मानव हित मे शुद्ध पर्यावरण के लिए हमे 'इकोनामी' एवं इकोलाजी को संतुलित करना होगा । इन कठिन समस्याओं के बारे मे हिन्दी मे पर्याप्त साहित्य उपलब्ध नहीं है । परिणाम स्वरूप हमे सही ढंग से सोचने व जन-समुदाय को प्रशिक्षित करने का अवसर नहीं मिल पा रहा है ।'जनसंख्या प्रदूषण और पर्यावरण' पुस्तक मे लेखक ने कड़ी मेहनत कर गम्भीर समस्याओं के कारणों और निदान को सरल ढंग से प्रस्तुत करने का सफल प्रयास किया है । उन्होंने मानव-मूल्यों का पर्यावरण के सापेक्ष मे सुन्दर ढंग से आकलन है । नैतिक एवं सांस्कृतिक मूल्यों का जीवन के विभिन्न पहलुओं में पर्यावरण से क्या सम्बन्ध रहा है, इसको अनुपम एवं सरस ढंग से इस पुस्तक में प्रस्तुत किया गया है । इस औद्योगिक युग में प्रकृति को नष्ट करके मानव अधिकतम सुख- सुविधाएँ प्राप्त कर रहा है, जो उसके अस्तित्व के लिए चिंता का कारण हो सकती हैं । यह पुस्तक न केवल पारिस्थितिकी विज्ञान व पर्यावरण को सैद्धांतिक रूप से समझने में सहायक होगी बल्कि पर्यावरण के संरक्षण एवं इष्टतम उपयोग (Optinization) से भी पाठकों को अवगत कराएगी ।
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