Jammu Kashmir Ke Jannayak Maharaja Hari Singh
Author | Kuldeep Chand Agnihotri |
Language | Hindi |
Publisher | Prabhat Prakashan Pvt Ltd |
ISBN | 978-9386231611 |
Book Type | Hardbound |
Item Weight | 0.356 kg |
Edition | 1 |
Jammu Kashmir Ke Jannayak Maharaja Hari Singh
जमू-कश्मीर के अंतिम शासक और उत्तर भारत की प्राकृतिक सीमाओं को पुनः स्थापित करने का सफल प्रयास करनेवाले महाराजा गुलाब सिंह के वंशज महाराजा हरि सिंह पर शायद यह अपनी प्रकार की पहली पुस्तक है, जिसमें उनका समग्र मूल्यांकन किया गया है। महाराजा हरि सिंह पर कुछ पक्ष यह आरोप लगाते हैं कि वे अपनी रियासत को आजाद रखना चाहते थे और इसीलिए उन्होंने 15 अगस्त, 1947 से पहले रियासत को भारत की प्रस्तावित संघीय सांविधानिक व्यवस्था का हिस्सा नहीं बनने दिया; जबकि जमीनी सच्चाई इसके बिल्कुल विपरीत है। इस पुस्तक में पर्याप्त प्रमाण एकत्रित किए गए हैं कि महाराजा हरि सिंह काफी पहले से ही रियासत को भारत की सांविधानिक व्यवस्था का हिस्सा बनाने का प्रयास करते रहे। पुस्तक में उन सभी उपलब्ध तथ्यों की नए सिरे से व्याख्या की गई है, ताकि महाराजा हरि सिंह की भूमिका को सही परिप्रेक्ष्य में समझा जा सके। महाराजा हरि सिंह पर पूर्व धारणाओं से हटकर लिखी गई यह पहली पुस्तक है, जो जम्मू-कश्मीर के अनछुए पहलुओं पर ���्रकाश डालती है।______________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________अनुक्रमप्रस्तावना — Pgs. 7भूमिका — Pgs. 171. डोगरा राजवंश की जय यात्रा — Pgs. 252. महाराजा हरि सिंह प्रारंभिक जीवन — Pgs. 383. हरि सिंह का ब्रिटिश सत्ता से संघर्ष/राजतिलक से 1935 तक — Pgs. 524. महाराजा हरि सिंह और ब्रिटिश सरकार : आमने-सामने (1935 से 1947) — Pgs. 865. महाराजा हरि सिंह का संघर्ष और अधिमिलन का प्रश्न — Pgs. 956. सुरक्षा परिषद् में जम्मू-कश्मीर और महाराजा हरि सिंह की अवहेलना — Pgs. 1537. महाराजा हरि सिंह का निष्कासन — Pgs. 1668. महाराजा हरि सिंह निष्कासन से पदमुक्ति तक — Pgs. 1879. राज्य प्रबंध और विकास कार्य — Pgs. 20610. अंतिम यात्रा — Pgs. 23511. व्यक्तित्व और मूल्यांकन — Pgs. 24512. उपसंहार — Pgs. 263तिथि-क्रम — Pgs. 273Appendix–I — Pgs. 277Appendix–II — Pgs. 279Appendix–III — Pgs. 282Appendix–IV — Pgs. 286Appendix–V — Pgs. 290Appendix–VI — Pgs. 292Appendix–VII — Pgs. 303संदर्भ ग्रंथ सूची — Pgs. 314
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