Jain Sanskriti ka Iitihas evam Darshan
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Item Weight | 400 Grams |
ISBN | 978-8186103074 |
Author | Minakshi Daga |
Language | Hindi |
Publisher | Rajasthani Granthagar |
Pages | NA |
Book Type | Paperback |

Jain Sanskriti ka Iitihas evam Darshan
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जैन संस्कृति का इतिहास एवं दर्शन : प्रस्तुत पुस्तक 8216;जैन संस्कृति का इतिहास एवं दर्शन8217; में जैन धर्म, दर्शन एवं संस्कृति की प्राचीनता व मौलिकता को विभिन्न साहित्यिक एवं पुरातात्विक साक्ष्यों द्वारा प्रमाणित करते हुए प्राचीनतम विश्व धर्म के रूप में दर्शाया गया है। इसे मानव संस्कृति का आद्य प्रणेता कहा जाय तो अतिशयोक्ति नहीं होगी, क्योंकि मानव संस्कृति के विकास में इसने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायी है। यह इतना सशक्त है, की सदियों से समय के प्रबल झंझावतों का मुकाबला करते हुए आज तक विद्यमान है।भगवान महावीर से पूर्व के जैन धर्म व दर्शन की स्थिति उसके स्वरूप तथा गौरव के साथ-साथ उसके विकास व प्रभाव की विवेचना की गई है। कर्मवाद व अनेकान्तवाद दार्शनिक जगत को अनुपम देन है। इसके अतिरिक्त ज्ञान मीमांसा, तत्व मीमांसा का वर्णन करते हुए जैनदर्शनानुसार मोक्ष प्राप्ति के लिए नव तत्व का विवेचन किया गया है। नीति मीमांसा के अन्तर्गत सभी तीर्थंकरों द्वारा प्रवर्तित नैतिक आदर्शों का वर्णन किया गया है।वस्तुत: जैन दर्शन ने अनेकान्तवाद व अहिंसा के रूप में वर्तमान युग को ऐसी जीवन दृष्टि प्रदान की है, जिससे आज युद्ध, आतंकवाद, आर्थिक विषमता, साम्प्रदायिकता इत्यादि समस्त ज्वलंत समस्याओं का सहज समाधान किया जा सकता है।RelatedTRUE
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