Jai Singh Khichi
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Item Weight | 400 Grams |
ISBN | 978-8193261255 |
Author | Akshay Kumar Derashri, Brajendra Kumar Singhal |
Language | Hindi |
Publisher | Rajasthani Granthagar |
Pages | NA |
Book Type | Paperback |
Publishing year | 0 |
Return Policy | 5 days Return and Exchange |

Jai Singh Khichi
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जयसिंह खीची : रावल जयसिंह खीची चौहान (पावा पती) चंपानेर के चौहान वंश के खीची शाखा के राजपूतो ने अपने से कहीँ ज्यादा ताकतवर गुजरात की मुस्लिम सल्तनत से संघर्ष करते हुए उसके बिलकुल जड़ में एक सदी तक स्वतंत्र शाशन किया लेकिन कभी झुकना या धर्म परिवर्तन स्वीकार नही किया। गुजरात पर उस समय मुस्लिम सल्तनत का परचम लहरा रहा था। अहमदाबाद उसकी राजधानी थी। तब चांपानेर मे खींची चौहानो का राज अपनी वीरता और वैभव के लिए मशहूर था। चांपानेर के संस्थापक गुजरात नरेश वनराजसिंह चावडा थे। 1300 ई. में चौहानों ने चांपानेर पर अधिकार कर लिया था।एक ओर चौहानो के शौर्य का रस सुल्तानी सेना चख रही थी तो दुसरी और गुजरात का सुलतान आकुल व्याकुल हो रहा था। बात यह थी की अहमदाबाद के पास ही चांपानेर मे चौहान राजपूतो का छोटा सा राज्य था और कभी उन्होने मुस्लिम सुल्तानों के आधिपत्य को स्वीकार नही किया था। इस बात से गुजरात के सुलतान चांपानेर पर धावा बोलने की योजनाए बनाते पर चौहान राजपूतो की तेज तलवारो की कल्पना मात्र से ही वे अपना मन बदल लेते। एक सदी तक चांपानेर के खिंची राजपूतो से सल्तनत की लड़ाई चलती रही, लेकिन सल्तनत उन्हें झुका या हरा नही पाई।RelatedTRUE
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