Itihaas-Purush Subhash
Item Weight | 250 Grams |
ISBN | 978-9383111671 |
Author | Shrikrishna Saral |
Language | Hindi |
Publisher | Prabhat Prakashan |
Book Type | Hardbound |
Publishing year | 2018 |
Return Policy | 5 days Return and Exchange |

Itihaas-Purush Subhash
जब श्रीकृष्ण सरलजी ने नेताजी सुभाष पर लेखन प्रारंभ किया तो स्वयं उन देशों का भ्रमण किया, जहाँ उन्होंने भारत की आजादी की लड़ाइयाँ लड़ी । उन्होंने उन पर्वतों की चोटियों को चूमा जहाँ आजाद हिंद फौज के वीरों ने भारतीय तिरंगा ध्वज फहराया है । उन जंगलों की खाक उन्होंने छानी, जिन्हें हमारे देशभक्तों ने रौंदा है और उन मैदानों की माटी उन्होंने अपने माथे से लगाई, जहाँ हमारे आजादी के दीवानों का खून बहा है और उन स्थलों को देखकर उनका वक्ष गर्व से फूल गया है, जहाँ हमारे लड़ाकों ने दुश्मन की लाशों पर लाशें बिछाई हैं । नेताजी के परिवारजन और उनके मित्रों से उन्होंने लंबे-लंबे साक्षात्कार किए हैं और आजाद हिंद संगठन के अवशिष्ट लोगों से या तो उनके घर जाकर या अपने घर उन्हें बुलाकर उन्होंने विश्वसनीय जानकारियाँ प्राप्त की हैं ।उनकी एक पुस्तक पर आशीर्वचन लिखते हुए आजाद हिंद फौज के महान् योद्धा कर्नल गुरुबखा सिंह ढिल्लन ने लिखा है-' सरलजी का लेखन इतिहास जैसा प्रामाणिक होता है और उनके लेखन को दस्तावेज के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है । 'प्रस्तुत ग्रंथ ' इतिहास-पुरुष सुभाष ' एक ऐसी कृति है, जिसकी प्रत्येक घटना सत्य और प्रामाणिक है । इस कृति के लेखन में लेखक ने अपनी अन्य कृतियों में से जो सर्वोत्तम लगा, वह लिया है । ऐसा करने में उनका दृष्टिकोण यही रहा है कि नेताजी सुभाष पर एक बहुत रोचक और प्रामाणिक कृति देश को दी जाय ।______________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________अनुक्रम1. मेरा काम —Pgs. 172. महाभिनिष्क्रमण —Pgs. 193. मौलवी जियाउद्दीन —Pgs. 224. पिस्कन मायूना की मसजिद में —Pgs. 285. विश्व-युद्ध के बादल —Pgs. 346. सुभाषचंद्र बोस बर्लिन में —Pgs. 357. हिटलर ने पहली बार सुभाषचंद्र बोस को 'नेताजी' कहकर पुकारा —Pgs. 368. ऐतिहासिक मिलन —Pgs. 389. अभ्यास-युद्ध —Pgs. 4210. आजाद हिंद फौज का पहला शहीद —Pgs. 4411. प्रेम-प्रसंग —Pgs. 4612. जर्मनी से नेताजी की विदाई —Pgs. 4913. अलविदा जर्मनी! —Pgs. 5114. सत्ता का हस्तांतरण —Pgs. 5715. बहादुरशाह जफर की समाधि पर —Pgs. 5916. अस्थायी आजाद हिंद सरकार की स्थापना —Pgs. 6117. आजाद हिंद सरकार निर्मित —Pgs. 6418. रानी झाँसी रेजीमेंट की स्थापना —Pgs. 6619. बाल-सेना की स्थापना —Pgs. 6920. युद्ध की घोषणा —Pgs. 7221. बृहत्तर एशिया सम्मेलन —Pgs. 7422. जापान के सम्राट् से भेंट : एक दुर्लभ सम्मान —Pgs. 7623. आजाद हिंद फौज भारत की धरती पर —Pgs. 7724. कालेपानी की काल-कोठरियाँ —Pgs. 8025. कैप्टेन रघुवंश लाल अवस्थी और उनकी आजाद हिंद फौज —Pgs. 8426. कु. मानवती पांडेय की कहानी —Pgs. 8627. कैप्टेन सूरजमल्ल की वीरता —Pgs. 8828. ले. अमर सिंह की वीरता —Pgs. 9029. कैप्टेन सूरजमल्ल ने शत्रु-सेना की कमर तोड़ी —Pgs. 9230. लेफ्टिनेंट सिकंदर खान की वीरता : अंग्रेजी ब्रिगेड को बंदी बनाया —Pgs. 9331. मेजर महमूद अहमद और कैप्टेन अमरीक सिंह की वीरता —Pgs. 9532. लेफ्टिनेंट रनजोधा सिंह की वीरता —Pgs. 9733. गजब की वीरता दिखाई अजायब सिंह ने —Pgs. 9934. मुक्तिवाहिनी का राणा साँगा कैप्टेन मनसुख लाल —Pgs. 10135. नायक मोलर सिंह की शहादत —Pgs. 10336. हवलदार रनजीत की वीरता और शहादत —Pgs. 10437. ले. कुंदन सिंह की शहादत —Pgs. 10538. सब-ऑफीसर गुरुबचन सिंह की वीरता —Pgs. 10639. हवलदार एल.एन. बोस की वीरता —Pgs. 10840. हवलदार अहमद दीन और नायक तारा सिंह की वीरता —Pgs. 10941. सब-ऑफीसर हरी सिंह की वीरता —Pgs. 11042. मेजर प्रीतम सिंह की वीरता —Pgs. 11243. ले. लाल सिंह और ले. कपूर सिंह की वीरोचित शहादत —Pgs. 11344. कर्नल रामस्वरूप की वीरता —Pgs. 11445. कैप्टेन गणेशीलाल की वीरता —Pgs. 11546. कर्नल जी.एस. ढिल्लन की कर्तव्य-परायणता —Pgs. 11647. कैप्टेन चंद्रभान का आतंक —Pgs. 11848. आजाद हिंद फौज का योद्धा : बाबूराव परांजपे —Pgs. 12049. ले. ज्ञान सिंह की अप्रतिम वीरता और अनुपम बलिदान —Pgs. 12250. इंफाल का घेरा —Pgs. 12551. इंफाल अभियान की विफलता —Pgs. 12752. नेताजी का तुलादान —Pgs. 13153. कैप्टेन रघुवंशलाल अवस्थी की शेष कहानी —Pgs. 13654. कु. मानवती पांडेय की शेष कथा —Pgs. 13755. नेताजी की विपद्-यात्रा —Pgs. 13856. सिंगापुर फिर कार्य-स्थल —Pgs. 15057. सिंगापुर का सौभाग्य —Pgs. 15158. प्रलय की परछाइयाँ —Pgs. 15959. एक जासूस लड़की की शरारत —Pgs. 16060. जापान के विरुद्ध रूस ने हथियार उठाए —Pgs. 16161. जापान ने हथियार डाले —Pgs. 16462. सिंगापुर से विदाई —Pgs. 16863. नेताजी बैंकॉक में —Pgs. 16964. नेताजी सैगोन में —Pgs. 17065. अमरत्व की ओर —Pgs. 17366. नेताजी के बाल-वीरों के बलिदान —Pgs. 17767. भारत की आजादी को नेताजी का योगदान —Pgs. 183
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