Islam Ka Janam Aur Vikas
Author | Asghar Ali Engineer |
Publishing year | 0 |

Islam Ka Janam Aur Vikas
आरम्भिक काल में इस्लामी आन्दोलन समाज के कमज़ोर और पीड़ित व्यक्तियों की आकांक्षाओं को व्यक्त करता था । इसलिए यह जाँच–परख दिलचस्पी से ख़ाली नहीं होगी कि उसके आरम्भिक समर्थक कौन से लोग थे । अब्दुल–मुतअल–अस्सईदी नाम के एक मिस्री लेखक ने इस पर शोधकार्य किया है । वे कहते हैं कि नवस्थापित इस्लाम मूलत% युवकों का आन्दोलन था । जिन लोगों की उम्रें दर्ज मिलती हैं उनमें एक बड़ा बहुमत हिजरत के समय 40 से कम उम्र का था । इन लोगों ने उससे कम–से–कम 8 या 10 साल पहले इस्लाम अपनाया था । पैग़ंबर मुहम्मद ने मक्का के अमीरों की जो तम्बीह की थी कि वे ज़ख़ीराबाज़ी न करें और अपनी दौलत पर न इठलाएँ, वह कुचले हुए लोगों, ग“ुलामों और यतीमों आदि को आकर्षक लगती थी । फिर भी उनके समर्थक सिफर्’ इन्हीं वर्गों से नहीं आए । वे सभी ख़ाली–हाथ लोग या ज़ोरदार क’बीलाई सम्बद्धताओं से वंचित तलछटिए लोग नहीं थे । वास्तव में उनमें से बहुत–से लोग अग्रणी क’बीलों के थे । जिस तरह हमारे अपने वक्“त में सामाजिक और राजनीतिक प्रक्रियाओं के प्रति जागरूक मगर वंचित होने के अहसास से भरे मध्यवर्गीय बुद्धिजीवी सामाजिक रूपान्तरण में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, उसी तरह पैग़ंबर मुहम्मद के अनुयायियों ने भी निभाई । ये लोग भी मक्का के समाज के मध्यवर्ती स्तरों से ताल्लुक’ रखते थे जहाँ एक ख़ासी बड़ी सीमा तक शत्रुतापूर्ण वर्गीय सम्बन्ध पैदा हो चुके थे ।
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