I- Card
Item Weight | 250 Gram |
ISBN | 9789349286962 |
Author | Paro Anand |
Language | Hindi |
Publisher | Ektara Trust |
Pages | 56 |
Dimensions | 20*25 CM |
Publishing year | 2025 |
Edition | 1st |
Return Policy | 5 days Return and Exchange |

I- Card
सोचो, किसी दिन कहीं और अपना आई कार्ड घर भूल आए हो...तो क्या आपको वहाँ प्रवेश मिल जाएगा। आप हैं
तो आपको देखकर, आपकी फोटो लेकर एक आई कार्ड बना। मगर एक दिन आई कार्ड ज़्यादा अहम हो जाता है और आप उसकी छाया। ...तो बात पहचान की है। कौन किसे कैसे पहचानता है। यह तो पहचान का एक रंग है। मगर पहचानों की और उनकी वजह से आने वाली मुश्किलों की कई रंगतें हैं। ...यह किताब आई कार्ड तरह तरह की आइडेंटिटीज़ के सिलसिले में एक कहानी कहती है।
पारो आनन्द की कहानियाँ हमारी दुनिया के तरह-तरह के द्वन्दों और झेंपों से बनी चुप्पियों से मिलने का मौका बनाती हैं | जब वो कहानियाँ उन चुप्पियों से मिलती हैं तो उन चुप्पियों को जानने और समझने के कुछ तरीकों की कल्पना के मौके बनते हैं | उन मौकों को प्रोइति रॉय के चित्रों में मौजूद छाँव जैसी ही कुछ छाँव हासिल हैं | यह कहानी संग्रह खासतौर पर किशोर वर्ग के लिए जिनके पढ़े, सुने और जाने हुए नाम, नक्शे और परिस्थितियाँ उनके मन में और पढ़ने, और जानने की इच्छा साथ लिए आते हैं |ISBN - 9789349286962
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