हिन्दू राष्ट्रवाद और आरएसएस Hindu Rashtravaad aur RSS (Hindi)
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Language | Hindi |
Publisher | Pharos Media |
Pages | 330 |
ISBN | 978-8172211240 |
Book Type | Paperback |
Item Weight | 0.365 kg |
Edition | 1st |
शम्सुल इस्लाम दिल्ली विश्वविद्यालय में राजनीति शास्त्र के अध्यापक रहे हैं और जन नाट्यकर्मी हैं। शम्सुल इस्लाम ने एक लेखक, पत्रकार और स्तम्भकार के तौर पर भारतीय उपमहाद्वीप में धार्मिक कट्टरता, अमानवीकरण, साम्राज्यवादी मंसूबों, महिलाओं और दलितों के दमन के ख़िलाफ़ हिन्दी, उर्दू और अंग्रेज़ी में लगातार लिखा है। वे राष्ट्रवाद के उदय और उसके विकास पर मौलिक शोध कार्यों के लिए दुनिया भर में जाने जाते हैं।
हिन्दू राष्ट्रवाद और आरएसएस Hindu Rashtravaad aur RSS (Hindi)
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यह पुस्तक अंतर्राष्ट्रीय पैमाने पर राष्ट्रवाद के उदय और उसके भारतीय-उपमहाद्वीप पहुंचने की लंबी और जटिल प्रक्रिया का अध्ययन है। किस तरह राष्ट्रवाद यहाँ धर्मों के आधार पर बंटा, इसकी गहरी छानबीन इस पुस्तक में की गयी है। यह पुस्तक द्विराष्ट्र सिद्धांत के पीछे छुपी तमाम सच्चाईयों को खोज निकालना चाहती है। यह बहुत ज़रूरी भी है। विभिन्न धर्मों और संस्कृतियों वाले देश हिन्दुस्तान को जिन लोगों ने सन् 1947 में खंडित किया, उनमें से बहुत से लोगों और संगठनों, जैसे कि मुहम्मद अली जिन्ना और मुस्लिम लीग के बारे में अच्छी ख़ासी जानकारी है। लेकिन और भी कई हैं जिनकी भूमिका पर पर्दा पड़ा रहा है।
इस पुस्तक के अनुसार सन् 1947 का बंटवारा कोई गयी-गुज़री बात नहीं है। आज भी इस देश में ऐसे तत्व मौजूद हैं जो विभिन्न नारों के साथ सन् 1947 को फिर दोहराना चाहते हैं। वे द्विराष्ट्र सिद्धांत के आज भी वाहक हैं। और एक बार फिर इसे कार्यान्वित करने में लगे हैं। इसीलिए यह पुस्तक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर केन्द्रित है, जिसकी हिन्दुत्व भक्ति नये-नये अवतारों में लगातार जारी रहती है। हिन्दुत्व वही दर्शन है जिसका एक धर्म निरपेक्ष-जनतांत्रिक-समतावादी भारत से पैदाइशी बैर है। इस पुस्तक में संघ और हिन्दू राष्ट्रवाद के अनय झंडाबरदारों के आंतरिक विमर्श से संबंधित मूल दस्तावेज़ों को बड़े पैमाने पर उद्धृत किया गया है, ताकि जिन विषयों, लोगों और संगठनों का अध्ययन किया जा रहा है, उनकी बात को समग्रता में समझा जा सके और ग़लतबयानी का आरोप लगने की गुंजाइश न रहे। संघ के दस्तावेज़ इतने चौंकाने वाले हैं और इन सबके बारे में इतनी कम जानकारी है कि अगर इन सब को मूल रूप में प्रस्तुत नहीं किया जाता तो विषय के साथ अन्याय होता।
इस अध्ययन के लिए हिन्दू राष्ट्रवाद और संघ से संबंधित दस्तावेज़ों को एकत्रित करने का जो काम किया गया है उसने इस पुस्तक को एक ऐसा संग्रह का रूप दे दिया है जो और किसी एक जगह उपलब्ध नहीं है। यह पुस्तक हिन्दू अलगाववाद के साथ-साथ मुसलमान अलगाववाद पर भी एक गंभीर शोध का परिणाम है।
इस पुस्तक के अनुसार सन् 1947 का बंटवारा कोई गयी-गुज़री बात नहीं है। आज भी इस देश में ऐसे तत्व मौजूद हैं जो विभिन्न नारों के साथ सन् 1947 को फिर दोहराना चाहते हैं। वे द्विराष्ट्र सिद्धांत के आज भी वाहक हैं। और एक बार फिर इसे कार्यान्वित करने में लगे हैं। इसीलिए यह पुस्तक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर केन्द्रित है, जिसकी हिन्दुत्व भक्ति नये-नये अवतारों में लगातार जारी रहती है। हिन्दुत्व वही दर्शन है जिसका एक धर्म निरपेक्ष-जनतांत्रिक-समतावादी भारत से पैदाइशी बैर है। इस पुस्तक में संघ और हिन्दू राष्ट्रवाद के अनय झंडाबरदारों के आंतरिक विमर्श से संबंधित मूल दस्तावेज़ों को बड़े पैमाने पर उद्धृत किया गया है, ताकि जिन विषयों, लोगों और संगठनों का अध्ययन किया जा रहा है, उनकी बात को समग्रता में समझा जा सके और ग़लतबयानी का आरोप लगने की गुंजाइश न रहे। संघ के दस्तावेज़ इतने चौंकाने वाले हैं और इन सबके बारे में इतनी कम जानकारी है कि अगर इन सब को मूल रूप में प्रस्तुत नहीं किया जाता तो विषय के साथ अन्याय होता।
इस अध्ययन के लिए हिन्दू राष्ट्रवाद और संघ से संबंधित दस्तावेज़ों को एकत्रित करने का जो काम किया गया है उसने इस पुस्तक को एक ऐसा संग्रह का रूप दे दिया है जो और किसी एक जगह उपलब्ध नहीं है। यह पुस्तक हिन्दू अलगाववाद के साथ-साथ मुसलमान अलगाववाद पर भी एक गंभीर शोध का परिणाम है।
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