Himmat Jounpuri
Author | Rahi Masoom Raza |
Publishing year | 0 |

Himmat Jounpuri
हिम्मत जौनपुरी एक ऐसे निहत्थे की कहानी है जो जीवन भर जीने का हक माँगता रहा, सपने बुनता रहा परन्तु आत्मा की तलाश और सपनों के संघर्ष में उलझ कर रह गया । यह बंबई के उस फिल्मी माहौल की कहानी भी है जिसकी भूल- भुलैया और चमक-दमक आदमी को भटका देती है और वह कहीं का नहीं रह जाता ।
राही मासूम रजा की चिर-परिचित .शैली का ही कमाल है कि इसमें केवल सपने या भूल- भुलैया का तिलस्मी यथार्थ नहीं बल्कि उस समाज की भी कहानी है, जिसमें जमुना जैसी पात्र चाहकर भी अपनी असली जिंदगी बसर नहीं कर सकती । एक तरफ इसमें व्यंग्यात्मक .शैली में सामाजिक खोखलेपन को उजागर करता यथार्थ- है तो दूसरी तरफ है भावनाओं की उत्ताल लहरें ।
राही मासूम रजा साहब ने हिम्मत जौनपुरी को माध्यम बनाकर एक ऐसे सामान्य व्यक्ति के अरमान के टूटने और बिखरने को जिंस नए अंदाज और तेवर के साथ लिखा है वह उनके अन्य उपन्यासों से बिल्कुल अलग है ।
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