गोलवलकर की ‘हम या हमारी राष्ट्रीयता की परिभाषा’ - ‘वी ऑर अवर नेशनहुड डिफ़ाइंड’ Golwalkar ki ‘Ham ya hamaari raashtreeyata ki paribhaasha’ —ek aalochanaatmak vivechana
Regular price
₹ 295
Sale price
₹ 295
Regular price
Unit price
Save
Tax included.
Language | Hindi |
Publisher | Pharos Media |
Pages | 235 |
ISBN | 978-8172211158 |
Book Type | Paperback |
Item Weight | 0.28 kg |
Edition | 1st |
शम्सुल इस्लाम दिल्ली विश्यविद्यालय में राजनीति शास्त्र के अध्यापक रहे हैं और प्रख्यात नुक्कड़ नाट्यकर्मी हैं। शम्सुल इस्लाम ने एक लेखक, पत्रकार और स्तम्भकार के तौर पर भारतीय उपमहाद्वीप में धार्मिक कट्टरता, अमानवीयकरण साम्राज्यवादी मंसूबों, महिलाओं और दलितों के दमन के खि़लाफ़ हिन्दी, उर्दू और अंग्रेज़ी में लगातार लिखा है। वे राष्ट्रवाद के उदय और उसके विकास पर मौलिक शोध कार्यों के लिए दुनिया भर में जाने जाते हैं। Dr Shamsul Islam taught political science at the University of Delhi. As an author, columnist and dramatist he has been writing against religious bigotry, dehumanization, totalitarianism, persecution of women, Dalits and minorities. He is known globally for fundamental research work on the rise of nationalism and its development in India and the world.
गोलवलकर की ‘हम या हमारी राष्ट्रीयता की परिभाषा’ - ‘वी ऑर अवर नेशनहुड डिफ़ाइंड’ Golwalkar ki ‘Ham ya hamaari raashtreeyata ki paribhaasha’ —ek aalochanaatmak vivechana
Product description
Shipping & Return
Offers & Coupons
गोलवलकर की ‘हम या हमारी राष्ट्रीयता की परिभाषा’ -- शम्सुल इस्लाम द्वारा एक आलोचनात्मक समीक्षा -- ख़ुशवंत सिंह लिखते हैं — “गोलवलकर पर सावरकर के विचारों की गहरी छाप थी, दोनों जातिवाद के समर्थक थे और हिटलर द्वारा लाखों-लाख यहूदियों के जनसंहार को जायज़ ठहराते थे। वे यहूदीवादी राज्य इज़राइल के इसलिए समर्थक थे कि इसने अपने पड़ोसी मुसलमान देशों से लगातार युद्ध छेड़ रखे थे। इस प्रकार इस्लाम से घृणा हिन्दुत्व का एक अभिन्न अंग बनकर उभरा। गोलवलकर की पुस्तक वी ऑर अवर नेशनहुड डिफ़ाइंड की मुझे जानकारी नहीं थी। अब इसे सम्पूर्ण रूप से शम्सुल इस्लाम की पुस्तक में आलोचना के साथ छापा गया है। मैंने जो कुछ कहा है इससे उसकी पुष्टि होती है।” // इधर हम आरएसएस द्वारा अपने द्वितीय सरसंघचालक एम.एस. गोलवलकर को ‘फिर से जागे भारत के मसीहा’, ‘एक संत’, ‘एक नये विवेकानंद’, ‘भारत माता के सर्वश्रेष्ठ सपूत’ और ‘बीसवीं सदी के हिन्दू समाज को मिले सबसे बड़े उपहार’ के रूप में स्थापित करने के नियमित प्रयासों के गवाह रहे हैं। यह सब इसके बावजूद प्रचारित किया जाता रहा है कि वे अपनी पूरी ज़िन्दगी हिन्दुत्व की एक ऐसी परिभाषा के प्रति समर्पित रहे, जिसका अर्थ जातिवाद, नस्लवाद तथा अधिनायकवाद में अन्तर्निहित विश्वास था। वे भारत में एक ऐसे हिन्दू राष्ट्र के पक्षधर थे, जहाँ मुसलमान और ईसाईयों जैसे अल्पसंख्यक केवल दोयम दर्जे के नागरिक की तरह रह सकते थे और सिख, जैन और बौद्ध धर्मों को यहाँ केवल हिन्दू धर्म के अंग के तौर पर ही मान्यता दी जा सकती थी। यह पुस्तक आरएसएस के प्रकाशनों और दस्तावेज़ों की रोशनी में गोलवलकर के जीवन और विचारों के बारे में वास्तविक सच्चाइयों को सामने लाने का एक प्रयास है। इस पुस्तक में गोलवलकर की 1939 में लिखी “वी ऑर अवर नेशनहुड डिफ़ाइंड” पुस्तक भी है जिसका हिंदी अनुवाद यहाँ प्रस्तुत है। यह पुस्तक 1947 के बाद उपलब्ध नहीं रही है।
- Sabr– Your order is usually dispatched within 24 hours of placing the order.
- Raftaar– We offer express delivery, typically arriving in 2-5 days. Please keep your phone reachable.
- Sukoon– Easy returns and replacements within 7 days.
- Dastoor– COD and shipping charges may apply to certain items.
Use code FIRSTORDER to get 10% off your first order.
Use code REKHTA10 to get a discount of 10% on your next Order.
You can also Earn up to 20% Cashback with POP Coins and redeem it in your future orders.