Garh ki Kahani, Garh ki Jubani : Kumbhalgarh
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Author | Ram Vallabh Somani |
Language | Hindi |
Publisher | Rajasthani Granthaghar |
Pages | NA |
ISBN | 978-8186103487 |
Book Type | Paperback |
Item Weight | 0.4 kg |
Garh ki Kahani, Garh ki Jubani : Kumbhalgarh
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गढ़ की कहानी, गढ़ की जुबानी : कुम्भलगढ़ : सुदृढ़ दुर्ग मध्यकालीन राजस्थान के शौर्य के साथ अविच्छिन्न रूप से जुड़े हुए थे। राजस्थान में यह मान्यता प्रचलित है कि प्रत्येक दस कोस पर एक-न-एक छोटा-बड़ा दुर्ग अवश्य निर्म��त हुआ। कुम्भलगढ़ का राजस्थान के पर्वतीय दुर्गों में अति विशिष्ट स्थान है। प्रारंभ में मौर्य सम्राट सम्प्रति द्वारा जिस छोटे से दुर्ग मत्यस्येन्द्र का निर्माण किया गया था, मेवाड़ के यशस्वी महाराणा कुम्भा ने वि.सं. 1495 में एक विशाल और सुदृढ़ दुर्ग का निर्माण प्रारम्भ किया, जो असंख्य मध्यकालीन आक्रमणों और पांच शताब्दियों की भौगोलिक विषमताओं को सहन करने के पश्चात् आज भी अडिग खड़ा है। महाराणा कुम्भा के इतिहास के मर्मज्ञ डॉ. रामवल्लभ सोमानी ने प्रस्तुत पुस्तक में कुम्भलगढ़ की समस्त विशेषताओं को अत्यन्त ही प्रभावी रूप से प्रस्तुत किया। विद्वान लेखक ने इतिहास के सामान्य पाठकों के लिए अपने ग्रंथ को रोचक बनाने की दृष्टि से ‘गढ़ की कहानी, गढ़ की जुबानी: कुम्भलगढ़’ शीर्षक के अनुरूप कुम्भलगढ़ दुर्ग के आत्मकथ्य को प्रस्तुत किया है। अपने विवरण में लेखक ने कुम्भलगढ़ की स्थापना से अपना विवरण प्रस्तुत करते हुए शताब्दियों के इतिहास को इस प्रकार गुंफित किया है, कि पाठक की जिज्ञासा बनी रहती है। महाराणा कुम्भा की सृजनात्मक आत्मा और सूत्रधार मंडन के शिल्प सम्बंधी ज्ञान के अनूठे उदाहरण कुम्भलगढ़ के स्थापत्य की एक-एक विशेषता को लेखक ने अत्यन्त ही गहराई से प्रस्तुत किया है।बावन देवलियां, तलहटी के मोहक चित्र, जैन मंदिर, महाराणा प्रताप की जन्मस्थली, गणेश व चतुर्भुज मंदिर, रामपोल, विजय पोल, भैरों पोल, नींबू पोल, हाला पोल तथा हनुमान पोल के रंगीन चित्रों से पुस्तक का महत्त्व अत्यधिक बढ़ गया है। चित्र इतने स्पष्ट है कि समस्त स्थापत्य सम्बंधी विशेषताओं को सहज ही देखा जा सकता है। रणकपुर मंदिर से सम्बंधित एक पृथक् अध्याय पुस्तक के कलेवर में समाहित कर लेखक ने महाराणा कुम्भा की सहिष्णुता तो प्रकट की ही है, साथ ही जैन स्थापत्य के इस अद्भुत नमूने से सम्बंधित ऐतिहासिक और शिल्प सम्बंधी विशेषताएं उजागर कर गहन अध्येताओं के लिए भी पुस्तक के म��त्त्व को अत्यधिक बढ़ा दिया है। निश्चय ही यह पुस्तक देश-विदेश के पर्यटकों, इतिहास और स्थापत्य के सामान्य जिज्ञासुओं और गहन गंभीर अध्येताओं के लिए समान रूप से रुचिकर और सहेजकर रखने योग्य सिद्ध होगी।RelatedTRUE
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