Ek Sadhvi ki Charitra Katha
Item Weight | 200 Grams |
ISBN | 978-9386054210 |
Author | Sukhad Ram Pandey |
Language | Hindi |
Publisher | Prabhat Prakashan |
Book Type | Hardbound |
Publishing year | 2017 |
Return Policy | 5 days Return and Exchange |

Ek Sadhvi ki Charitra Katha
• हमारी माँ सारदा देवी और हमारे ठाकुर श्रीरामकृष्ण विनय की ऐसी ही मूर्तियाँ हैं, जिनमें विशालता का सागर लहराता है और उच्चतम आदर्श का हिमालय अपनी सारी गरिमा के साथ उनके हर स्पंदन में प्रकट होता है।• माँ की कृपा से मुझे अपनत्व से भरे अजनबी मिले। पूर्व संबंधियों में तो अनेक पूर्वग्रह होते हैं, किंतु जीवन के लंबे सफर में जो लोग यूँ ही टकरा जाते हैं, वे कई मायनों में हमारे सच्चे मित्र और हितैषी होते हैं। हाल के वर्षों में मेरी सबसे ताजा स्मृति उन लोगों की है, जो माँ के काम से मेरे संपर्क में आए।• लगता है, रात बहुत लंबी है। दूर तक अँधेरा-ही-अँधेरा है। चाँद की रोशनी ने अँधेरे की तीव्रता को बहुत बढ़ा दिया है। एक ओर चाँद, दूसरी ओर अँधेरा। एक साथ ही पूनम और अमावस्या हैं।(वर्तमान पुस्तक से संदर्भित)__________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________अनुक्रम प्राकथन — 7दीपाली — 86आमंत्रण — 9रीना, शशि, मधुबाला और अवंतिका — 86दवा की दावाग्नि — 15हमारी लक्ष्मी-रश्मिजी — 87मेरी जिंदगी — 16दीपा की दृष्टि — 87मेरी अम्माँ — 17संसार-समुद्र को पी जानेवाले आधुनिक अगस्त्य — 87मेरे बाबा — 19बबली — 88शैल जी — 20मेरा वादा — 89छोटी सी तमन्ना — 21सूक्ष्म जगत् की यात्रा — 90सुशीलाजी — 22शरीर शव है — 91मैं कौन हूँ — 22संन्यास की अनिवार्यता — 93मुन्नूजी — 23जीतेजी मर जाना — 93मेरी गुड़िया — 24हमारे ठाकुर — 94सरोजजी — 25विवेकानंद केंद्र के अश्विनी — 95पाशबद्ध जीव — 26हिमाचल-दर्शन — 96स्त्री — 27शिवरामजी — 97प्रेम-आत्मा का विज्ञान — 27नित्य क्रांति का सृजन — 98मेरी माँ — 28मेरी जीवन यात्रा में तीर्थयात्राएँ — 98मैं सदा रहूँगी — 29शैलजी की शालीनता — 101माँ की वाणी — 31अँधेरे का सूर्य — 102अमरकथा — 33मेरे कितने संसार — 103प्रफुल्ल महाराज — 34संसार का मनोविज्ञान — 104प्रभु महाराज — 34दो समानांतर रेखाएँ : संसार का सत्य और सत्य का संसार — 104मेरी बातें — 35संसार का समाजशास्त्र — 105मेरा पगला बेटा — 36हबू — 105मेरी बेटी — 37सेवाभावी विक्रम — 106मेरे पति और उनका परिवार — 37एक थी सुरत्ना — 106मेरी जिंदगी का अर्थ — 39बाबाजी — 107मेरा वैवाहिक जीवन — 40घर से बाहर एक घर — 108विरोधों के बीच सीधी राह — 41एक अनौपचारिक संबंध — 109श्री गुरुदेव ने मुझे ग्रहण किया — 43जब बच्चों ने बड़ों को मिलाया — 110अपनापन — 46मनुष्य समाज का गौरव — 111गुरुदेव की दृष्टि — 47प्रकृति के सौंदर्य में मनुष्य के मुलम्मे — 111अद्वैत ही सत्य है — 47शरीर और संसार सच नहीं है — 113भगवान् बुद्ध का स्मरण — 48बच्चे को विचार और विकास की आजादी — 113शिशु की सरलता — 49सबके अपने अपने संसार — 114आनंद के पाँच दिन — 49क्षण में समग्र दर्शन — 115देह धरे करू यह फल भाई — 50उलटी-पुलटी यादों में पाठक, रामशंकर और बंशीधर — 116नाम की महिमा — 51एक रात की कहानी — 118मुझे भगवान् मिले — 53ठहरे सूरज के नाम प्रकाश में विलुप्त धरती का सपना — 118सत्संग की शति और सीख — 54माँ का घर — 119सेतु के संबंध में — 54जीवन की भाषा — 120समय की सरहदों के पार — 58पल में प्रलय — 120नारी लोक में पुरुष अधिनायकतंत्र — 58चेतना सारी क्रियाओं की जननी है — 121मेरा चरित्र अमिट है — 61जीवन का सार — 123निर्भयता के प्रहर में मेरा प्रहार — 61मेरे जीवन-ग्रंथ का सर्वम अध्याय — 124साधुन संग बैठि-बैठि — 63मठ मायके जैसा — 125कलसी की कहानी — 63श्रीमती अनीता दा एवं श्रीमती गीता चटर्जी का योगदान — 125सहो, सहो, सहो — 64श्रीमती श्यामा मेहता — 126तराजू की तुला पर जीवन और जल्दबाजी — 65सबसे बड़ी चुनौती — 126स्वामी मुतिनाथानंदजी — 66माँ स्वयं ��क��ष्मी हैं — 127स्वामी सुजयानंदजी — 67शरीर का सर्वम उपयोग-सेवा — 128मेरी मूर्खता — 67जिंदगी के चार दिन — 128मन के महल में माँ का चमत्कार — 69धन्य हैं वे, जो माँ के काम आए — 129विश्वरूप दर्शन — 70घनश्याम महाराज की रसोई — 131रामकृष्ण मठ के संन्यासी और ब्रह्मचारी — 71मेरी कल्पना साकार हुई — 131मोहन महाराज — 72जब हमारे पावँ थिरके — 133मैं अमृत हूँ — 73मैं कृतार्थ हुई — 133मेरा सौभाग्य — 74साधु संग — 135कमलेश महाराज और श्रेयस — 75एक आदर्श साधु — 136पति-पत्नी में परस्पर विरोधी धर्म के दो रूप — 76'श्री रामकृष्ण धाम' नाम सार्थक हुआ — 138बाबा-बेटी का संबंध, एक झलक — 79घर — 139मेरी मंजिल — 80सुंकी और सेतु — 141सारदा संघ की मेरी बहनें — 81सेतु और सना — 143विषयानंद से परहेज — 81बातों की डोर में बँधी माँ और मैं — 144श्री रामकृष्ण धाम में प्रवेश — 82मेरे चिंताकुल प्रश्नों का मौन उार — 145मुरादाबाद का उपहार — 83सुख-दु:ख की साथिन — 147गहनों की पोटली — 84जिंदगी एक निरंतरता है — 148भगवान् का घर — 85इति नहीं दस्तावेज़ अमर जीवन का — 151
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