Ek Aviram Yatra
| Item Weight | 216 Grams |
| ISBN | 978-8173159008 |
| Author | Jayvantiben Mehta |
| Language | Hindi |
| Publisher | Prabhat Prakashan |
| Book Type | Hardbound |
| Publishing year | 2016 |
| Edition | 1st |
| Return Policy | 5 days Return and Exchange |
Ek Aviram Yatra
ईश्वर ने प्रत्येक मनुष्य के जीवन का एक लक्ष्य निर्धारित कर रखा है। इस लक्ष्य तक पहुँचने का प्रयत्न करते रहना मनुष्य का धर्म है। ऐसा कहाँ होता है कि सबको सबकुछ इच्छानुसार उपलब्ध हो जाए। नियति पर मनुष्य का कोई नियंत्रण नहीं है। प्रारब्ध के अनुसार जो मिले, उसी में संतुष्ट रहते हुए उसे क्रमश: अधिकाधिक सुंदर बनाने का पुरुषार्थ करना अवश्य मनुष्य के हाथ में है। सतत पुरुषार्थ, अनथक परिश्रम और समर्पण भाव के साथ जनसेवा का कार्य करनेवाली जयवंतीबेन मेहता ऐसी ही एक विभूति हैं, जिनके मन ने आराम कर लेने अथवा काम को विराम देने के विचार को छुआ तक नहीं।जयवंतीबेन राजनीति में आईं तो किसी पद अथवा सत्ता के लोभवश नहीं, बल्कि इस सद्भावना की प्रेरणावश कि एक व्यक्ति की हैसियत से वे समाज के लिए क्या कर सकती हैं। वह बहुत स्थिरचित्त महिला हैं; बहुत मजबूत व्यक्तित्व की स्वामिनी हैं; न तो पलायनवादी हैं और न निराशावादी। उनके संस्मरणों का यह चित्रांकन व चरित्रांकन °•¤ ¥çßÚUæ× Øæ˜ææ उनके जीवन के अनेक पक्ष उजागर करता है। शैशव से लेकर आज तक के संस्मरण इसमें देखने को मिलेंगे; उनके पारिवारिक एवं राजनीतिक जीवन, उन्हें दिए गए पद, उनके द्वारा किए गए कार्य, उनकी सामाजिक सेवाएँ—सबका गहरा और विशद् परिचय यहाँ मिलता है। समाज-सेवा और राष्ट्र-सेवा को जीवन का मूल मंत्र मानकर उस अनंत पथ की यात्री की एक अविराम यात्रा।_______________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________अनुक्रमणिकाप्रस्तावना—पूज्य श्री मोहनजी भागवत — Pgs. 7भूमिका—डॉ. सुरेश दलाल — Pgs. 9मन की कहूँ तो 15भाग एक : पारिवारिक जीवन1. शैशव : किशोरावस्था : शिक्षण — Pgs. 212. मुंबई में आगमन : संयुक्त परिवार के बीच — Pgs. 333. पति की गंभीर रुग्णता : धैर्य की परीक्षा — Pgs. 484. हर्ष और शोक की लुका-छिपी — Pgs. 545. दुःख से धैर्य की ओर — Pgs. 596. वर्ली में गृह-प्रवेश — Pgs. 667. जीवन की ढलती साँझ — Pgs. 72भाग दो : राजनीतिक जीवन1. संघ एवं जनसंघ का सम्पर्क व राजनीति में प्रवेश — Pgs. 852. मुंबई महानगरपालिका में प्रवेश — Pgs. 993. 1975—आपात काल में जेलयात्रा : कड़ुवी-मीठी यादें — Pgs. 1104. कारावास में सजायाफ्ता स्त्रियाँ : करुण कथाएँ — Pgs. 1185. जनता पार्टी का जन्म — Pgs. 1306. भारतीय जनता पार्टी का जन्म — Pgs. 1357. 1989 लोकसभा में प्रवेश — Pgs. 1428. श्री राम जन्मभूमि आंदोलन एवं डॉ. मुरली मनोहर जोशीजी की एकता यात्रा — Pgs. 1479. श्री अटलजी के अंतरंग संस्मरण — Pgs. 15210. राजमाता विजयाराजे सिंधिया — Pgs. 15811. श्री प्रमोद महाजन — Pgs. 16312. भारत सरकार में राज्य-मंत्री — Pgs. 16813. निजी सचिव श्री बालकृष्ण पाणिग्रही — Pgs. 18414. सांसद-निधि, समाज-सेवा — Pgs. 19015. पीहर से उऋण करती समाज-सेवा — Pgs. 19316. पति की पावन स्मृति में कॉलेज की स्थापना — Pgs. 19617. सत्ता से सेवा — Pgs. 20118. राजनीतिक सहयात्री व पथप्रदर्शक — Pgs. 20319. राजनीतिक मंथन — Pgs. 21120. जागो बहनो! जागो 21521. उपसंहार — Pgs. 220संदर्भिका — Pgs. 223
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