Dohe Mohe Sohe
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Item Weight | 300 Grams |
ISBN | 978-9362870810 |
Author | Sunil Atolia 'Kalu' |
Language | Hindi |
Publisher | Vani Prakashan |
Pages | 128 |
Edition | 1st |

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दोहे मोहे सोहे - किसी भी देश की संस्कृति में होने वाले परिवर्तन का पहला प्रभाव लिखे और पढ़े जाने वाले साहित्य पर पड़ता है। एक समय ऐसा था जब दोहे हमारे साहित्य की पहचान करते थे। तुलसी, सूर, कबीर, रहीम, रसख़ान और बिहारी के दोहे एक ज़माने हुआ मैं बच्चे-बच्चे को याद हुआ करते थे। हिन्दी विषय की पुस्तकों में दोहे विशेष रूप से पढ़े जाते थे और परीक्षा में दोहों के शब्दार्थ एवं भावार्थ पर कई प्रश्न आते थे। दोहों का महत्त्व इसलिए भी रहा कि अधिकतर दोहे जीवन में कुछ नयी सीख देने वाले हैं।
समय बदलने के साथ ही दोहों का प्रयोग कम होता चला गया और इसी कारण इसके लेखकों की संख्या भी घटती गयी है। अधिकांश लेखकों ने प्रयोगात्मक तौर पर कुछ दोहे लिखे हैं जिनमें निदा फ़ाज़ली जी के दोहे ग़ज़ल गायक जगजीत सिंह जी द्वारा गाये जाने के कारण काफ़ी मशहूर भी हुए। प्रसिद्ध हास्य व्यंग्य लेखक हुल्लड़ मुरादाबादी द्वारा सात सौ से अधिक दोहों की सतसई भी प्रकाशित हुई पर यह आश्चर्य और शोध का विषय है कि अभिव्यक्ति का इतना सशक्त माध्यम होने के बावजूद आम जीवन में दोहों का प्रयोग लगभग नगण्य हो चला है। साहित्य के विभिन्न मंचों और कवि सम्मेलनों में भी अब दोहे सुनाई नहीं देते हैं।
ग़ज़ल लिखने की असफलता के दौर में मेरा ध्यान दोहा लेखन पर गया क्योंकि शेर की तरह हर दोहा अपने आप में परिपूर्ण होता है और इसे लिखने में भी कुछ विशेष नियमों का पालन भी करना पड़ता है। कम शब्दों में कोई बात कैसे लयात्मक रूप से कही जा सकती है दोहे इसका सबसे अच्छा उदाहरण हैं। चूँकि मैं आम आदमी की भाषा में हिन्दी-उर्दू मिश्रित ग़ज़लें लिखता रहा हूँ इसलिए मेरे दोहों में भी यही मिश्रण दिखाई देता है। दोहों को पुनः आम आदमी के जीवन और साहित्य के मंचों पर स्थापित करने की दिशा में यह मेरा पहला कदम है।
कुछ वर्ष पहले जावेद अख़्तर जी द्वारा टाटा स्काई के एक पर दोहे मोहे सोहे नाम से एक कार्यक्रम आता था जिसमें दोहों की व्याख्या और गायन होता था पर यह एक अलग से भुगतान किया जाने वाला चैनल था जिसे शायद बहुत ही कम लोगों द्वारा देखा जाता था। मुझे यह कार्यक्रम बेहद पसन्द था इसलिए अपनी इस किताब के लिए इससे अच्छा शीर्षक मुझे सुझाई नहीं दिया। सो दोहे मोहे सोहे आपको इस आशा और विश्वास के साथ समर्पित कि 'दोहे सबको सोहे'।
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