Look Inside
Dhoop Mein Baithne Ke Din Aaye
Dhoop Mein Baithne Ke Din Aaye
Dhoop Mein Baithne Ke Din Aaye
Dhoop Mein Baithne Ke Din Aaye
Dhoop Mein Baithne Ke Din Aaye
Dhoop Mein Baithne Ke Din Aaye
Dhoop Mein Baithne Ke Din Aaye
share-Icon
Dhoop Mein Baithne Ke Din Aaye
Dhoop Mein Baithne Ke Din Aaye
Dhoop Mein Baithne Ke Din Aaye
Dhoop Mein Baithne Ke Din Aaye
Dhoop Mein Baithne Ke Din Aaye
Dhoop Mein Baithne Ke Din Aaye
Dhoop Mein Baithne Ke Din Aaye

Dhoop Mein Baithne Ke Din Aaye

Regular price ₹ 224
Sale price ₹ 224 Regular price ₹ 249
Unit price
Save 10%
10% off
Size guide
Icon

Pay On Delivery Available

Load-icon

Rekhta Certified

master-icon

5 Days Easy Return Policy

Dhoop Mein Baithne Ke Din Aaye

Dhoop Mein Baithne Ke Din Aaye

Regular price ₹ 224
Sale price ₹ 224 Regular price ₹ 249
Unit price
10% off
Cash-On-Delivery

Cash On Delivery available

Rekhta-Certified

Plus (F-Assured)

7-Days-Replacement

7 Day Replacement

Product description
Shipping & Return
Offers & Coupons
Read Sample
Product description

Abount the Book: धूप में बैठने के दिन आए' सुनील आफ़ताब का पहला शेरी मज्मूआ है। इस किताब में सुनील आफ़ताब ने नाज़ुक और मद्धम लहजे और सादा ज़बान में अपने एहसासात को बयान किया है, जिसका क़ारी पर कुछ अलग ही असर दिखता है।

Abount the Author: सुनील आफ़ताब का शुमार नई पीढ़ी के नुमाइन्दा शायरों में होता है।वो पंजाब की मिट्टी से ताल्लुक़ रखते हैं। उनका जन्म 23 नवम्बर, 1976 को पंजाब के पठानकोट ज़िले के गाँव शाहपुर कण्डी में हुआ। उन्होंने गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी, अमृतसर से बी.एस.सी. तथा जम्मू यूनिवर्सिटी के रामिष्ट कॉलेज से बी.एड. किया। कुछ समय तक अध्यापन करने के बाद वो अपना व्यवसाय करने लगे।

Shipping & Return
  • Sabr– Your order is usually dispatched within 24 hours of placing the order.
  • Raftaar– We offer express delivery, typically arriving in 2-5 days. Please keep your phone reachable.
  • Sukoon– Easy returns and replacements within 5 days.
  • Dastoor– COD and shipping charges may apply to certain items.

Offers & Coupons

Use code FIRSTORDER to get 5% off your first order.


You can also Earn up to 10% Cashback with POP Coins and redeem it in your future orders.

Read Sample

फ़ेहरिस्त

1. किसी के काम आने लग गए हैं .......... 18
2. मिरी ज़मीन पे ये आसमान किसका है। .......... 19
3. छोड़ ये दुनियादारी यार .......... 20
4. रंग उभर आए सब पस-ए-दीवार .......... 21
5. यहाँ से दूर का मंजर दिखाई देता है। .......... 22
6. इस फ़साने से उस फ़साने तक .......... 23
7. आँसू आँसू होने को .......... 24
8. रौशनी क्या पड़ी है कमरे में .......... 25
9. आँख में बे-ख़्वाब नींदें भर गया .......... 26
10. किस खराबे में मुझको लाया है .......... 27
11. समुन्दर के भँवर में कितने मंजर तैरते हैं .......... 28
12. तमाम अक्स अँधेरों में खो गए जैसे .......... 29
13. बिछड़ने के सिवा रस्ता नहीं था .......... 30
14. जिधर भी देखता हूँ हर तरफ़ सियासत है। .......... 31
15. वहशतों में बसर नहीं करते .......... 32
16. सभी के सामने रोता था और हँसता था .......... 33
17. उनसे हर रोज मुलाक़ात कहाँ होती है .......... 34
18. इक अँधेरा सा था जिसको रौशनी समझे थे हम .......... 35
19. कभी ज़मीन कभी आसमाँ को तकता हूँ .......... 36
20. एक तस्वीर बोलती होगी .......... 37
21. गुमसुम गुमसुम बैठे रहना .......... 38
22. कोई पर्दा नजर नहीं आता .......... 39



किसी
के काम आने लग गए हैं
सो हम भी कुछ कमाने लग गए हैं।
ये झीलें भर गई हैं बारिशों में
परिन्दे आने-जाने लग गए हैं
हवा--शहूर इधर भी  गई है
यहाँ भी कारखाने लग गए हैं
ये कोयल गा रही है हिज्र अपना
सो हम भी गुनगुनाने लग गए हैं
वही इक शेर मुझमें साँस लेगा
जिसे कहते जमाने लग गए हैं
शिकारी दाना ले कर  गया है
परिन्दे फड़फड़ाने लग गए हैं
जहाँ हम धूप से करते थे बातें
वहाँ अब शामियाने लग गए हैं


मिरी ज़मीन पे ये आसमान किसका है
सफ़र मिरा है मगर सायबान किसका है
जो तू नहीं तो ये वहम--गुमान किसका है
ये सोते-जागते दिन-रात ध्यान किसका है
ये गिरती टूटती दीवारें किसके घर की हैं
वो दूर एक नया सा मकान किसका है
कहाँ खुली है किसी पे ये वुसअत--सहरा'
सितारे किसके हैं ये आसमान किसका है
मुखालिफ़ीन' तो सब राय दे चुके अपनी
जो आया है मिरे हक़ में बयान किसका है


छोड़ ये दुनियादारी यार
दिल से मिल इक बारी यार
जीने ही कब देती है
जीने की बीमारी यार
एक तो मीलों लम्बी रात
उस पे शब-बेदारी'यार
आते आते आएगी
लफ़्ज़ों में तहदारी' यार
ऐसे उतरी कल की शाम
पड़ गई मुझपे भारी यार
एक पुरानी धुन फिर से
हो गई मुझपे तारी यार


Customer Reviews

Be the first to write a review
0%
(0)
0%
(0)
0%
(0)
0%
(0)
0%
(0)

Related Products

Recently Viewed Products