Dalit Aur Prakrati
Regular price
₹ 595
Sale price
₹ 595
Regular price
₹ 595
Unit price
Save 0%
Tax included.
Author | Ashutosh Nadkar |
Publisher | Vani Prakashan |
Item Weight | 0.0 kg |
Dalit Aur Prakrati
Product description
Shipping & Return
Offers & Coupons
प्रस्तुत पुस्तक का विषय है भारत में प्रकृति और पर्यावरण की चर्चा में जाति और दलित का समावेश और पर्यावरण अध्ययन में पहली बार जाति, सत्ता, ब्राह्मणवाद और दलित स्वर के जटिल अन्तःसम्बन्धों की खोज-पड़ताल। पुस्तक तीन प्रकार से पर्यावरण में जाति जंजाल और दलित दृष्टिकोण खोजने की कोशिश करती है। पहला, आधुनिक भारत के पर्यावरणवाद की कुछ मज़बूत धाराओं में ब्राह्मणवाद की गहरी पैठ। दूसरा, दलितों के अब तक अनदेखे-अनजाने पर्यावरण, स्वर और विचार पर ध्यान जो उनके ऐतिहासिक, मिथकीय, वैचारिक और तार्किक अतीत और वर्तमान से ज़ाहिर होता है। और तीसरा, दलित, उनके संगठन और सक्रियता से एक अलग पर्यावरण संवेदना और समझ की पहचान जो निश्चित तौर पर प्राकृतिक संसाधनों की नयी संकल्पनाओं के रूप में उभरती है। पुस्तक इन तीनों धाराओं को एक-दूसरे से गूँथकर देखती है और दलितों की पर्यावरण समझ को भारतीय पर्यावरणवाद में निहित तनाव और भावी चुनौतियों के रूप में समझती है। पुस्तक मौका-ए-अध्ययन के ज़रिये दर्शाती है कि किस प्रकार देश की पर्यावरण राजनीति जाति-वर्चस्व का वरण करती है। और स्वच्छता और शौच पर काम करने वाले कुछ प्रमुख पर्यावरणीय संगठन और सोच ‘पर्या-जातिवरण' के तहत दलितों की मुक्ति और पुनरुत्थान के लिए नवहिन्दुत्ववाद का जाला बुनते हैं जिसमें ब्राह्मणवाद के स्वरूप और नेतृत्व की जय-जयकार होती है। देश के कई हिस्सों में प्रचलित विविध सांस्कृतिक विधाओं, लोकाचारों, लोकप्रिय संस्कृतिकर्मियों और उपलब्ध साहित्य के शोध के आधार पर पुस्तक में दलितों की पर्यावरण संचेतना को सघनता से चिह्नित किया गया है। साथ ही, जाति-विरोधी जाने-माने विचारकों और राजनीतिकर्मियों-पेरियार, फुले, अम्बेडकर के विचारों और कार्यों को पर्यावरण झरोखों से देखा गया है। ख़ासकर, देश की पर्यावरणीय विचार परम्परा में अम्बेडकर की प्रासंगिकता का गम्भीर विश्लेषण है। पुस्तक में पारम्परिक पर्यावरणवाद और उसकी अकादमिक अभिव्यक्ति से अलग पानी, जंगल, सामूहिक संसाधन, पर्वत, जगह, आदि पर दलितों और उनके संघर्षों से शक्ल लेने वाले नये पर्यावरणवाद की ज़मीनी समीक्षा की गयी है जो पर्यावरण और सामाजिक आन्दोलनों के लिए नयी सम्भावनाएँ रचती है। पुस्तक का निष्कर्ष है कि जैसे दुनिया में लिंग, नस्ल, आदिवासियत के शुमार से पर्यावरण राजनीति समृद्ध हुई है, वैसे ही जाति और दलित के मूल्यांकन से भारत के पर्यावरण संगठन और आन्दोलन को मज़बूती मिलेगी।
- Sabr– Your order is usually dispatched within 24 hours of placing the order.
- Raftaar– We offer express delivery, typically arriving in 2-5 days. Please keep your phone reachable.
- Sukoon– Easy returns and replacements within 7 days.
- Dastoor– COD and shipping charges may apply to certain items.
Use code FIRSTORDER to get 10% off your first order.
Use code REKHTA10 to get a discount of 10% on your next Order.
You can also Earn up to 20% Cashback with POP Coins and redeem it in your future orders.