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About Book

अपने लिए उपयुक्त नाटकों का न होना हिंदी रंगमंच की शिकायत रही है लेकिन इस शिकायत को समर्थ नाटककारों ने अपने-अपने प्रयोगों से दूर करने की कोशिश की है। स्वयं प्रकाश ने अपने लेखन के प्रारंभिक दिनों में ही नाटक लिखने की आवश्यकता को महसूस कर लिया था। यह उनके आंदोलनधर्मी स्वभाव और लेखन की प्रतिबद्धता का ही परिणाम था कि 'फीनिक्स' और 'घर कैद' जैसे संपूर्ण नाटकों के बाद उन्होंने नुक्कड़, नाटक भी लिखे। 'चौबोली' उनका लोकप्रिय नाटक रहा है जिसे आशीष विद्यार्थी जैसे मंझे हुए कलाकार द्वारा अनेक बार खेला गया। राजस्थान की पड़ शैली में लोक-कथा की यह मनभावन प्रस्तुति अंततः साम्राज्यवादी मंसूबों की पहचान करवाने में सफल होती है। एक स्त्री का संघर्ष, उसकी दुर्दम्यता और जनता की सामूहिक शक्ति में उसका अटूट भरोसा इस नाटक का एक भिन्न पाठ भी रचते हैं। अपनी कहानियों की तरह स्वयं प्रकाश इस नाटक को भी भरपूर किस्सागोई और बतकही के अंदाज में प्रस्तुत करते हैं। राजा-रानी की कहानी स्वयं प्रकाश के हाथों से मेरी-तेरी-हम सबकी कहानी बन जाती है और नाटक ब्रेख्त की शैली को याद दिलाता हुआ अपनी बात भी कह जाता है।

About Author

स्वयं प्रकाश

जन्म : 20 जनवरी, 1947, इंदौर ननिहाल में (मूलतः अजमेर राजस्थान के निवासी)

कहानी संग्रहः मात्रा और भार, सूरज कब निकलेगा, आसमाँ कैसे-कैसे, अगली किताब, आयेंगे अच्छे दिन भी, आदमी जात का आदमी, चर्चित कहानियाँ, अगले जनम, आधी सदी का सफरनामा, पार्टीशन, नन्हा क़ासिद, चौथा हादसा, संकलित कहानियाँ (राष्ट्रीय पुस्तक न्यास), नैनसी का धूड़ा, एक कौड़ी, दिल से

उपन्यास : जलते जहाज पर, बीच में विनय, उत्तर जीवन कथा, ईंधन, ज्योति रथ के सारथी

निबंध : स्वांतः सुखाय, दूसरा पहलू, रंगशाला में एक दोपहर, एक कहानीकार की नोटबुक

नाटक : फीनिक्स, घर कैद, चौबोली

रेखाचित्रः हमसफ़रनामा

आत्मकथात्मक संस्मरण : धूप में नंगे पाँव

'पत्र : डाकिया डाक लाया

साक्षात्कार : और फिर बयां अपना, मेरे साक्षात्कार, कहा-सुना।

सम्मान : बाल साहित्य पुरस्कार (साहित्य अकादेमी), भवभूति सम्मान, राजस्थान साहित्य अकादमी पुरस्कार, वनमाली, स्मृति पुरस्कार, सुभद्राकुमारी चौहान पुरस्कार, पहल पुरस्कार, पाखी शिखर सम्मान

निधन : 7 दिसंबर, 2019

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