Chal Gori Dohapuram
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Author | Bekal Utsahi & Edited by Dixit Dankouri |
Language | Hindi |
Publisher | Vani Prakashan |
Pages | 156 |
ISBN | 978-9350000069 |
Book Type | Hardbound |
Item Weight | 0.4 kg |
Edition | 1st |
Chal Gori Dohapuram
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इस संकलन में ऐसे कई गीत हैं, जो लोकभाषा में रचे गये हैं। यह इस बात का संकेत है कि गीतकार ‘बेकल’ उत्साही इस विश्वास को स्वीकार करते हैं कि गीत सहज मन की सरल अभिव्यक्ति है और जिसकी अभिव्यक्ति लोकभाषा को माध्यम बनाकर और भी निष्कपटता के साथ, और गहरे प्रभाव के साथ की जा सकती है। क्योंकि गीत तो पहले पहल लोकभाषाओं की अँगलियाँ पकड़कर ही आँगन से द्वार तक आया था। आज गीतों की वह भाषा बदल गयी है, लेकिन गीतों में लोकभाषाओं की छोंक को नहीं रोका जा सकता, जिसके बिना गीत अपने स्वरूप को भी हासिल करने से वंचित ही रहता है। ‘बेकल’ उत्साही जी के गीत जो सीधे-सीधे लोकभाषाओं में सृजित हैं, इन्हें छोड़ भी दें तो इनके उन गीतों में भी, जो उर्दू भाषा के हैं वहाँ भी उन्होंने लोक शब्दों की सुगन्ध को आने से नहीं रोका है। जिस प्रकार संस्कृत भाषा का अनुष्टुप, अरबी-फ़ारसी का ग़ज़ल छन्द अपनी आकारगत लघुता में जीवनानुभूति की विशाल काय नात को रस का रेशमी ताना-बाना देता रहा, उसी प्रकार हिन्दी का दोहा छन्द काव्य-क्षेत्र की व्यापक संवेदना के छवि-चित्र खींचता रहा है। ‘बेकल’ साहब के दोहे भक्ति भाव के सन्दर्भ में तुलसी और रहीम की याद दिला देते हैं जो शृंगार का सवाल उठने पर बिहारी के साथ दिखाई पड़ते हैं।
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