Brahmand aur Telescope
Author | T N Upadhyay , Kali Shankar |
Language | Hindi |
Publisher | Prabhat Prakashan Pvt Ltd |
ISBN | 978-9380183190 |
Book Type | Hardbound |
Item Weight | 0.25 kg |
Edition | 1st |
Brahmand aur Telescope
टेलीस्कोप अथवा दूरबीन खगोल विज्ञान और सामान्य विज्ञान का एक आश्चर्यजनक अनुसंधान और करिश्मा रहा है तथा 'टेलीस्कोप' शब्द की उत्पत्ति ग्रीक सभ्यता से हुई, जहाँ उसे 'टेलीस्कोपस' के नाम से संबोधित किया जाता है जिसका अर्थ होता है—'दूर देखना'।टेलीस्कोप अथवा दूरबीन खगोल विज्ञान और सामान्य विज्ञान का एक आश्चर्यजनक अनुसंधान और करिश्मा रहा है तथा 'टेलीस्कोप' शब्द की उत्पत्ति ग्रीक सभ्यता से हुई, जहाँ उसे 'टेलीस्कोपस' के नाम से संबोधित किया जाता है जिसका अर्थ होता है—'दूर देखना'।आज ब्रह्मांड के प्रेक्षण में 'टेलीस्कोप' ने एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है तथा निभा रही है। इसीलिए विशालकाय टेलीस्कोपों—एरीकिबो, रेडियो टेलीस्कोप, रतन-600, इफेल्सबर्ग, ग्रीन बैंक टेलीस्कोप, केक टेलीस्कोप इत्यादि पृथ्वी में विभिन्न स्थलों पर स्थापित की गई हैं। खगोलिकी प्रेक्षण की सुग्राहकता और प्रभावीपन को और अधिक बढ़ाने तथा प्रेक्षण विभेदन को उच्च कोटि का बनाने के उद्देश्य से अनेक टेलीस्कोपें अंतरिक्ष में भी स्थापित की गई हैं, जैसे—हब्बल अंतरिक्ष टेलीस्कोप, चंद्रा एक्स-किरण प्रेक्षणशाला, ग्लास्ट, स्पाइजर टेलीस्कोप, कोरोट इत्यादि। भविष्य में स्थापित की जानेवाली पृथ्वी स्थित प्रेक्षणशालाओं—स्क्वायर किलोमीटर ए रे (एस.के.ए.) और आउल टेलीस्कोप तथा अंतरिक्ष स्थित प्रेक्षणशाला जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप और भी महान् प्रेक्षण करने वाली हैं।____________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________अनुक्रम1. अंतरराष्ट्रीय खगोलिकी वर्ष 2009 एवं गैलीलियो से लेकर आज तक विश्व का खगोलिकी परिदृश्य — Pgs. 15गैलीलियो : खगोलशास्त्र का महान् व्यक्तित्व और सूत्रधार — Pgs. 17गैलीलियो की टेलीस्कोप क्या थी और अब यह कहाँ है? — Pgs. 17टेलीस्कोपों के क्षेत्र में बाद के परिष्करण — Pgs. 19टेलीस्कोप क्षेत्र के कुछ अन्य महान् अधिष्ठाता — Pgs. 20अवर्ण अपवर्तक टेलीस्कोप (एक्रोमैटिक रीफ्रैक्टिंग टेलीस्कोप) 21विशालकाय प्रकाशिकी दूरबीनें — Pgs. 21अन्य तरंगदैर्घ्यों की दूरबीनें — Pgs. 22अंतरिक्ष में दूरबीन के स्थापन की आवश्यकता — Pgs. 24गैलीलियो की प्रथम टेलीस्कोप से अब तक ब्रह्मांड की प्रेक्षण क्षमता में कितनी वृद्धि हुई? — Pgs. 25निर्माण के दौर से गुजर रही विश्व की सबसे विशालकाय दूरबीन 'स्क्वायर किलोमीटर एरे' (एस.के.ए.) 26दूरबीनों के क्षेत्र में वर्तमान में हुए महान् और उच्च कोटि के अन्वेषण — Pgs. 26और अंत में चंद्रमा की सतह पर 100 मीटर व्यासवाली द्रव टेलीस्कोप लगाने की योजना — Pgs. 282. ब्रह्मांड और सौर तंत्र — Pgs. 31ब्रह्मांड के विभिन्न मॉडल — Pgs. 32खगोलिकी मॉडल — Pgs. 33ब्रह्मांड का बिग बैंग मॉडल — Pgs. 34हमारा सौर तंत्र — Pgs. 34अंतराग्रही अंतरिक्ष — Pgs. 35पार्थिव ग्रह — Pgs. 37बृहस्पति ग्रह की भाँति के ग्रह — Pgs. 373. सौर तंत्र के अन्वेषण के विभिन्न अभियान — Pgs. 38अपोलो (मानव-युक्त) चंद्र्र अभियान — Pgs. 474. अंतरिक्ष की सबसे विख्यात दूरबीन—'हब्बल स्पेस टेलीस्कोप' — Pgs. 58हब्बल स्पेस टेलीस्कोप की संकल्पना, डिजाइन और लक्ष्य — Pgs. 60फंडिंग का प्रोत्साहन — Pgs. 61निर्माण एवं इंजीनियरिंग — Pgs. 62प्रकाशिकी टेलीस्कोप असेंबली — Pgs. 62प्रारंभिक उपकरण — Pgs. 63हब्बल स्पेस टेलीस्कोप का भू-सपोर्ट — Pgs. 63स्पेस शटल चैलेंजर की दुर्घटना, विलंबन और अंततः हब्बल टेलीस्कोप का प्रमोचन — Pgs. 63दोष-युक्त दर्पण — Pgs. 65हब्बल स्पेस टेलीस्कोप के सर्विसिंग मिशन और स्थापित किए गए नए उपकरण — Pgs. 66हब्बल स्पेस टेलीस्कोप के द्वारा किए गए ऐतिहासिक प्रेक्षण और खोजें — Pgs. 69खगोलिकी विज्ञान में हब्बल टेलीस्कोप का प्रभाव — Pgs. 695. विद्युत् चुंबकीय स्पेक्ट्रम के विभिन्न क्षेत्रों में कार्य कर रही अंतरिक्ष प्रेक्षणशालाएँ — Pgs. 70रेडियो प्रेक्षणशालाएँ — Pgs. 70माइक्रोवेव प्रेक्षणशाला — Pgs. 72इन्फ्रारेड प्रेक्षणशालाएँ — Pgs. 72दृष्टिगोचर स्पेक्ट्रम प्रेक्षणशालाएँ — Pgs. 74अल्ट्रावायलेट प्रेक्षणशालाएँ — Pgs. 75चरम सीमावाली अल्ट्रावायलेट प्रेक्षणशालाएँ — Pgs. 75एक्स-किरण प्रेक्षणशालाएँ — Pgs. 76गामा-किरण प्रेक्षणशालाएँ — Pgs. 76विद्युत्-चुंबकीय स्पेक्ट्रम के विभिन्न भागों की व्याख्या — Pgs. 776. टेलीस्कोपों का विचित्र संसार और भावी जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप — Pgs. 79नासा का ग्रेट ऑब्जर्वेटरी कार्यक्रम — Pgs. 80भविष्य की योजना — Pgs. 81जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप — Pgs. 81विभिन्न अवयव — Pgs. 83पृथ्वी से दूरी — Pgs. 84कुछ प्रमुख तथ्य — Pgs. 867. एरीकिबो प्रेक्षणशाला : विश्व की सबसे बड़ी सिंगल अपर्चर रेडियो टेलीस्कोप — Pgs. 88सामान्य सूचना — Pgs. 89डिजाइन और आर्किटेक्चर — Pgs. 90अनुसंधान और खोजें — Pgs. 92अन्य प्रयोग — Pgs. 93लोकप्रिय कल्चर में एरीकिबो — Pgs. 938. पृथ्वी स्थित कुछ विशालतम और महानतम दूरबीनें — Pgs. 94ग्रीन बैंक टेलीस्कोप (जी.बी.टी.) — Pgs. 94पृथ्वी स्थित विश्व की सबसे विशाल टेलीस्को��� रतन-600 — Pgs. 96कुछ अन्य विशालकाय रेडियो टेलीस्कोपें — Pgs. 97डब्ल्यू.एम. केक प्रेक्षणशाला — Pgs. 98हाबी-एबर्ली टेलीस्कोप — Pgs. 100100 मीटर व्यास की इफेल्सबर्ग रेडियो टेलीस्कोप — Pgs. 1019. भारत में स्थित विश्व की विशालकाय मीटरवेव रेडियो टेलीस्कोप (जी.एम.आर.टी.) 103विशालकाय मीटरवेव रेडियो टेलीस्कोप (जी.एम.आर.टी.) की विशिष्टता — Pgs. 105मीटर तरंगदैर्घ्य ही क्यों चुना गया? — Pgs. 105डिजाइन की श्रेष्ठता — Pgs. 105जी.एम.आर.टी. के एंटेना और फीड — Pgs. 106जी.एम.आर.टी. एरे संयुक्तीकरण — Pgs. 10710. विश्व की सबसे विशाल टेलीस्कोप—स्क्वायर किलोमीटर एरे — Pgs. 108एस.के.ए. के लक्ष्य — Pgs. 109'एस.के.ए.' टेलीस्कोप का विज्ञान — Pgs. 110'स्क्वायर किलोमीटर एरे' टेलीस्कोप कैसी दिखेगी? — Pgs. 112'एस.के.ए.' टेलीस्कोप किन आवृत्तियों पर कार्य करेगी? — Pgs. 113एक विशिष्ट स्थल पर 'एस.के.ए.' टेलीस्कोप की स्थापन की आवश्यकता — Pgs. 113'एस.के.ए.' टेलीस्कोप परियोजना में भारतीय खगोल-शास्त्रियों की विशिष्ट भूमिका — Pgs. 11511. 100 मीटर दर्पणवाली टेलीस्कोप 'आउल' : उत्साही मानव के असंभव सपने का सपना — Pgs. 116दूरबीनों का आविर्भाव — Pgs. 118आउल टेलीस्कोप से संबंधित कुछ विशिष्ट बातें — Pgs. 118विशालकाय टेलीस्कोपों के फायदे — Pgs. 119आउल टेलीस्कोप अंतरिक्ष टेलीस्कोपों से कैसे स्पर्धा करेगी — Pgs. 119आउल टेलीस्कोप का विभेदन — Pgs. 120आउल टेलीस्कोप का ढाँचा — Pgs. 120आउल टेलीस्कोप का ऑप्टिकल संरूपण — Pgs. 121कुछ अन्य तकनीकी तथ्य — Pgs. 122विश्व की कुछ अन्य विशालतम दूरबीनें — Pgs. 12212. अंतरिक्ष इन्फ्रारेड टेलीस्कोप का अंतरिक्ष में प्रमोचन — Pgs. 123सिर्ट्फ के वैज्ञानिक उपकरण — Pgs. 126टेलीस्कोप — Pgs. 126सिर्ट्फ का क्रायोजेनिक स्वरूप — Pgs. 127पृथ्वी से सिर्ट्फ का संपर्क — Pgs. 127उपसंहार — Pgs. 12713. हमारे सौर तंत्र के 10 अनुत्तरित रहस्य — Pgs. 129सूर्य का दक्षिणी धु्रव उत्तरी धु्रव से क्यों अधिक ठंडा है? — Pgs. 129मंगल ग्रह के उत्तरी और दक्षिणी गोलार्द्धों (हेमीस्फीयर) में इतना अधिक मूल अंतर क्यों है? — Pgs. 130तुंगुस्का की घटना कैसे हुई? — Pgs. 130यूरेनस ग्रह की विचित्रता — Pgs. 131शनि ग्रह के चंद्रमा टाइटन में वायुमंडल क्यों है? — Pgs. 131सूर्य का वायुमंडल सूर्य की सतह की तुलना में क्यों अधिक गरम है? — Pgs. 132जमे हुए (फ्रोजेन) पुच्छल तारों में भीषण तापमानों पर धूल का निर्माण कैसे होता है? — Pgs. 132कूपियर बेल्ट अचानक कैसे समाप्त होता है? — Pgs. 133पायनियर प्रोबें असामान्य रूप से क्यों ड्रिफ्ट हो रही हैं? — Pgs. 134हम कैसे जान सकें कि 'ऊर्ट क्लाइड' का अस्तित्व है? — Pgs. 13414. बिग बैंग संकल्पना के पितामह ज्योर्जेज हेनरी लेमैटे्र — Pgs. 13415. यूरोपीय अंतरिक्ष संस्था की महान् टेलीस्कोप— हर्शेल अंतरिक्ष प्रेक्षणशाला — Pgs. 140मिशन के उपकरण — Pgs. 141विज्ञान — Pgs. 143हर्शेल मिशन — Pgs. 143खास बात क्या है? — Pgs. 144अंतरिक्ष एवं दूरबीन — Pgs. 145हर्शेल प्रेक्षणशाला की यात्रा — Pgs. 145हर्शेल मिशन के भागीदार — Pgs. 146हर्शेल प्रेक्षणशाला को द्वितीय लेगरैंज बिंदु पर स्थापित करने का कारण — Pgs. 146परिशिष्ट — Pgs.क. दूरबीनों की दो प्रमुख श्रेणियाँ—रेडियो टेलीस्कोप एवं ऑप्टिकल टेलीस्कोप रेडियो टेलीस्कोप — Pgs. 148काम करने का सिद्धांत — Pgs. 149रेडियो टेलीस्कोप के निष्पादन गणक — Pgs. 150प्रकाशिकी टेलीस्कोप — Pgs. 151इतिहास — Pgs. 151प्रकाशिकी दूरबीनों से संबंधित कुछ अन्य बातें — Pgs. 153ख. पृथ्वी स्थित कुछ प्रमुख और महत्त्वपूर्ण रेडियो दूरबीनें — Pgs. 154ग. प��थ्वी स्थित कुछ प्रमुख प्रकाशिकी दूरबीनें — Pgs. 163घ. विभिन्न देशों की अंतरिक्ष स्थित प्रेक्षणशालाएँ — Pgs. 166नासा की महान् प्रेक्षणशालाएँ — Pgs. 167अन्य विख्यात अंतरिक्ष प्रेक्षणशालाएँ — Pgs. 167भावी अंतरिक्ष प्रेक्षणशालाएँ — Pgs. 169वर्ष 2015 से 2025 की अवधि तालिका के लिए यूरोपीय अंतरिक्ष संस्था की प्रस्तावित प्रेक्षणशालाएँ — Pgs. 169अंतरिक्ष दूरबीनों की सूची — Pgs. 170
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