क्रम सूची
हम्द
1. ऐ बे-नियाज मालिक मालिक है नाम तेरा - 46
2. बहारें तेरी मुर्गान-ए-चमन तेरे चमन तेरा - 47
3. कहें किस को अब कि है तू ही तू तिरी शान जल्ला-जलालुहु - 48
4. कौन है जल्वा-नुमा शाहिद-ए-वहदत के सिवा - 49
5. इश्क़ दफ्तर में पहले हम्द हो अल्लाह का - 50
ना'त
6. मिरे हाजत रवा हो-या मोहम्मद - 52
7. रहा दिल में मेरे ख़याल-ए-मोहम्मद - 53
8. दो आलम जिस का परतव है मुहिब्बो वो जमीं ये है - 54
9. मुक़द्दस हो गई दुनिया हुआ गुल शह की आमद का - 55
10. रसूलुल्लाह के रुख के बराबर हो नहीं सकता - 56
11. हरम से सफ़र आप का हो रहा है - 57
12. तू ही ख़ातिम नुबुव्वत है तू ही ख़ातिम रिसालत का - 58
13. आज फ्रश्ख़-ए-रहमत-उल-लिल-आलमी पैदा हुए - 59
14. देख कर सल्ले-अला चाँद सा मुखड़ा तेरा - 60
15. वुफूर-ए-शौक़-ए-मुज्तर है कि उन को हाय क्या कहिए - 61
16. अल्लाह रे रू-ए-मेहर-ए-अरब है माह से बढ़ कर जिस में दमक - 62
17. जब कूचा-ए-अहमद से बाद-ए-सहरी निकली - 63
18. नाजाँ है उस गली से आकर नसीम कैसी - 64
19. या खुदा! दिल में रहे शौक़-ए-लिका-ए-महबूब - 65
20. औरों से जुदा बीमार-ए-शह-ए-अबरार की हालत होती है - 66
गागर
1. ले चलीं आज सखी ख़्वाजा के दर पर गागर - 192
2. चल सखी चिश्ती नगर सर पे उठा कर गागर - 193
संदल
3. आरिफ्र-ए-रहनुमा का संदल है - 195
4. चल सखी सर पे लिए ख्वाजा का प्यारा संदल - 196
निशान
5. इस्तादा है अजल से क़ादिर निशान तेरा - 198
रुबाई
6. बंदे को निगाह-ए-लुत्फ़-ए-मौला बस है - 200
7. क्रिस्मत ने रसा हो के रसाई बख़्शी - 201
8. अमानत नाज करती है सदाक़त नाज करती है - 201
9. गिर्दाब नहीं उम्र का सफीना होगा - 201
बसंत
10. बसंत आई चमन सब्ज हैं जमीन हरी - 203
11. बसंत आई हुए मुर्ग-ए-नरमा-जा पैदा - 203
होली
12. बहार होली की पर्दे में रंग लाई है - 205
दोहा
13. बाट भली पर सॉकरी, नगर भला पर दूर - 207
14. सॉकर कुएँ पताल पानी, लाखन बूंद बिकाय - 207
15. शर्फ सिर्फ मायल करे, दर्द कछू न बसाय - 207
16. काला हंसा निरमला, बसे समंदर तीर - 207
तसद्दुक अली 'असद'
(1855-1929)
कहें किस को अब कि है तू ही तू तिरी शान जल्ला-जलालुहु1
हुए हम तो हम से ही दू-ब-दू-तिरी शान जल्ला-जलालुहु
(1 उस की महिमा महान है यानी ईश्वर 2 आमने-सामने)
तिरा हुक्म जारी है कू-ब- कू1 तूही ख़ुद-नुमा2 भी है सू-ब-सू3
सिवा तेरे कौन है रू-ब-रू तिरी शान जल्ला जलालुहु
(1 गली गली 2 स्वयं प्रकट होने वाला 3 हर तरफ)
कभी दुश्मनों पे करम किया कभी दोस्तों पे सितम1 किया
ये अजब तरह की है तेरी ख़ू2-तिरी शान जल्ला - जलालुहु
(1अत्याचार 2आदत)
न दिलों में तेरा पता लगा न बुतों में तेरा निशाँ मिला
कहाँ अब करूँ तिरी जुस्तुजू-तिरी शान जल्ला-जलालुहु
यहाँ कुर्ब1 है न तो बोद2 है यहाँ दीद3 है न शनीद4 है
मिरी बे-निशानी है चार सू' तिरी शान जल्ला - जलालुहु
(1 निकटता 2 दूरी 3 मुलाकात 4 बातचीत चारों तरफ)
ये नफख्तु फ्रीहिं1 का बहाना है वहूवा मअकुम2 का फसाना है
गुल-ए-असद3 की कुछ और ही बू-तिरी शान जल्ला-जलालुहु
(1 कुरआन की एक आयत जिसका अर्थ है मैंने यह फूंका 2 कुरआन की एक आयत
जिसका अर्थ है वो तुम्हारे साथ है 3 असद का फूल)
अफ़ज़ल हुसैन अस्दकी
(1864-1943)
इश्क़ के दफ्तर में पहले हम्द1 हो अल्लाह का
हर सतर में तब खुलेगा मा'नी2 वजहुल्लाह3 का
(1 स्तुति 2 अर्थ 3 अल्लाह का चेहरा)
दिल को मेरे देख ले नासेह1 तो फिर कुछ बोलना
तब तुझे मालूम होगा हाल बैतुल्लाह2 का
(1 उपदेशक 2 अल्लाह का घर, काना)
हम तो आशिक़ हैं नबी के ख़ास अज-रोज-ए-अजल1
जिस का आशिक़ है ख़ुदा और नूर है अल्लाह का
(1 अनादि काल से)
मौत हो हुब्ब-ए-नबी1 में जिंदगी इश्क-ए-नबी2
बार-ए-एहसों3 फातिहा4 का हो न खल्कुल्लाह5 का
(1 पैसम्बर की मोहब्बत 2 पैराम्बर का इश्क 3 एहसान का बोझ
4 बपर की जाने वाली प्रार्थना 5 ईश्वर की सृष्टि)
ऐ 'फ्रक्रीर' अपनी तमन्ना देखिए पूरी हो कब
रौजा-ए-जन्नत1 में पहुँचें हुक्म हो अल्लाह का
(1 जन्नत का बाग़)