Bhumandalikaran Aur Hindi Upanyas
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Item Weight | 0.4 |
ISBN | 978-8183615037 |
Author | Pushp Pal Singh |
Language | Hindi |
Publisher | Radhakrishna Prakashan |
Pages | 288 |
Dimensions | 22*14*2 |
Publishing year | 2012 |
Edition | 3rd |

Bhumandalikaran Aur Hindi Upanyas
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भूमंडलीकरण सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक और राजनीतिक परिवर्तनों का समुच्चय है; यानी यह हमारे भीतर और बाहर, जीवन के दोनों पक्षों को प्रभावित करता है, कर रहा है।साहित्य भी इससे अछूता नहीं रह सकता, वह भी उपन्यास जो जीवन का सर्वांगीण अंकन करता है। वरिष्ठ आलोचक पुष्पपाल सिंह की यह पुस्तक हिन्दी उपन्यासों के सन्दर्भ में भूमंडलीकरण और भूमंडलीकरण के सन्दर्भ में हिन्दी की औपन्यासिक कृतियों की विवेचना करती है। एक ओर इसमें भूमंडलीकरण और उसके आनुषंगिक प्रश्नों-विचारों का, उसके आर्थिक व सांस्कृतिक पक्षों का विशद और स्पष्ट विवेचन किया गया है, दूसरी ओर 1985 से लेकर मार्च-अप्रैल 2009 तक प्रकाशित अधिकांश महत्त्वपूर्ण उपन्यासों का भी अध्ययन प्रस्तुत कि गया है। हिन्दी उपन्यासों का इतना बृहत् अध्ययन भूमंडलीकरण के सन्दर्भ में पहली बार हुआ है।निरपेक्ष और स्पष्ट समीक्षा के लिए ख्यात पुष्पपाल सिंह ने इस पुस्तक में समीक्षित उपन्यासों पर अपनी राय का निर्धारण उनकी रचनात्मकता के आधार पर ही किया है, किसी अन्य कारण से नहीं। साथ ही एक नई समीक्षा-पद्धति और कथा-समीक्षा की एक नई शाखा विकसित करने का भी प्रयास उन्होंने यहाँ किया है। अकादमिक और उबाऊ आलोचना से हटकर यह पुस्तक निश्चय ही पाठकों को एक नया पाठ-सुख प्रदान करती है और समकालीन साहित्य-परिदृश्य पर एक नई दृष्टि विकसित करने का अवसर भी देती है।
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