Baul Kavi Lalan Shah : Sadhna Aur Sahitya (Paperback)
| Item Weight | 400GM |
| ISBN | 978-9355180469 |
| Author | Rameshwar Mishr |
| Language | Hindi |
| Publisher | Vani Prakashan |
| Pages | 398 |
| Book Type | Paperback |
| Dimensions | 5.30\"x8.50\" |
| Publishing year | 2021 |
| Edition | 1st |
| Return Policy | 5 days Return and Exchange |
Baul Kavi Lalan Shah : Sadhna Aur Sahitya (Paperback)
बाउल साधक-कवि लालन शाह (1774-1890 ई.) सम्पूर्ण बंगाल (प. बंगाल और बांग्लादेश) में श्रेष्ठ मानवतावादी विचारों के गायक के रूप में प्रतिष्ठित हैं। बंगाल में रवीन्द्र-संगीत, नजरुल-गीति की तरह बाउल संगीत और लालन साँई के गान भी अत्यन्त लोकप्रिय हैं। बाउल सम्प्रदाय का उद्भव 1650 के आसपास माना जाता है। यह सम्प्रदाय बंगाल में प्रचलित बौद्ध-सिद्धों तथा नाथयोगियों की हठयोगी साधना, वैष्णव सम्प्रदाय की भक्तिभावना एवं सूफ़ी सम्प्रदाय की प्रेमभावना का मिश्रित विकसित रूप है। बाउल सम्प्रदाय प्रेमोन्मादी, भावोन्मादी सम्प्रदाय है। बाउल गायक विशेष प्रकार की वेशभूषा, केशविन्यास, विशेष सुर और वाद्य (एकतारा, डुगडुगी) के साथ नृत्य (धुंघरू सहित) और गायन के द्वारा अपनी भावाभिव्यक्ति करते हैं। इनकी वाणियों में एक ओर ‘मनेर मानुष' (मन का मनुष्य) की खोज है तो दूसरी ओर जाति-पाँति, छुआछूत एवं कर्मकाण्ड तथा बाह्याडम्बरों से असहमति प्रकट की गयी है। लालन शाह ने बाउल साधना और बाउल संगीत को नयी ऊँचाई दी। अखण्ड बंगाल की सांस्कृतिक चेतना में लालन फकीर का विशिष्ट स्थान है। वस्तुतः लालन विश्वजनीन मानव महिमा के गायक हैं। जहाँ मनुष्य से श्रेष्ठ कुछ भी नहीं है। जाति, धर्म, कुल, समाज और सम्प्रदाय मनुष्यता के सामने तुच्छ हैं।
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